Wednesday 30 December 2009

बच्चों के बदलते खिलौने

मैं तो चांद खिलौना लूंगा। अब यह कहावत पुरानी पड़ चुकी है। बच्चे बदलते जमाने के साथ नए ढंग के खिलौने के संग खेलना चाहते हैं। अब उन्हें मिट्टी की गाड़ी देकर बहलाया नहीं जा सकता। आजकल छोटे बच्चों में मोबाइल फोन खिलौने के रूप में काफी लोकप्रिय हो रहा है। गांवों में और खासतौर पर पुराने समय में बच्चों के बीच मिट्टी का खिलौना काफी लोकप्रिय होता था। बच्चों को मिट्टी की बनी हाथी मिट्टी के बने घोड़े आदि खेलने के लिए दिए जाते थे। खिलौने बनाने वाला कुम्हार इन्हें आकर्षक रंगों से रंग भी देता था। ये मिट्टी के खिलौन पटकने पर टूट जाते थे। खिलौने के टूटने पर बच्चा रुठ जाता है। किसी शायर ने लिखा है-
और ले आएंगे बाजार से जो टूट गया, चांदी के खिलौने से मेरा मिट्टी का खिलौना अच्छा।

मिट्टी और लकड़ी का गया दौर - पर अब मिट्टी की जगह प्लास्टिक के बने खिलौनों ने ले ली है। ये खिलौने जल्दी टूटते भी नहीं हैं। बीच में लकड़ी के बने खिलौनों का भी दौर रहा। अभी भी भारत के कुछ शहरों में बच्चों के लिए लकड़ी के बने खिलौने मिलते हैं। खिलौने के इस बदलते स्वरुप के साथ बच्चों की मांग भी बदलती जा रही है। पहले बच्चे मिट्टी के हाथी मांगने की जिद करते थे। हाथी मिल जाए तो मिट्टी का गुल्लक मांगते थे। आसमान में चंदा मामा को देखर बच्चे चांद को खिलौने के रुप में मांगने की जिद पर भी आ जाते थे। मैं चांद खिलौने लेहों यह कहावत बहुत मशहूर हुआ। पर अब यह कहावत नए रुप में कही जानी चाहिए- मैं मोबाइल खिलौना लेहों....अब बड़ों के पास हर जगह हाथों में मोबाइल देखकर बच्चे मोबाइल फोन को ही खिलौने के रुप में मांगते हैं। बाजार चीन के बने हुए मोबाइल खिलौने से पटा पड़ा है। बीस रुपए में मिलने वाले मोबाइल खिलौने में बैटरी भी लगी होती है। इसमें कई तरह के रिंग टोन भी होते हैं। बिल्कुल असली मोबाइल के तरह ही। इसे देखकर बच्चे को अपने पास असली मोबाइल होने का भ्रम होता है। जो बजते बजते बैटरी खत्म हो गई तो बैटरी बजल डालिए। पर छोटा सा बच्चा अपने गले मोबाइल फोन देखकर गर्वान्वित महसूस करता है।

उम्र के अनुरूप दें खिलौने - वैसे बाजार में बच्चों की उम्र के हिसाब से कई तरह के खिलौने मौजूद हैं। कई खिलौना कंपनियां बच्चों की उम्र और उसके द्वारा उपयोग किए जाने वाले दिमाग को ध्यान में रखकर खिलौने बनाती हैं। जैसे नन्हें बच्चों को रंग पहचानने वाले खिलौने दिए जाते हैं। बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाए तो उसे गिनती गिनने वाले खिलौने दिए जाते हैं। बच्चों को जानवरों और फलों की पहचान कराने के लिए उनकी प्रतिकृति खिलौने के रुप में दी जाती है। जब आप बाजार में अपने बच्चे के लिए खिलौने खरीदने जाएं तो उनकी उम्र का ख्याल रखें और उसके अनुरूप ही खिलौने लाकर उन्हें दें। इसके साथ ही बच्चों के साथ बैठकर उन्हें खिलौने के संग खेलना भी सीखाएं।

छोटे बच्चों को बहुत बड़े आकार के खिलौने न दें। कई बार बच्चे इस तरह के खिलौने से डर जाते हैं। बच्चों को ऐसे खिलौने ही दें जिन्हें वे अपना दोस्त समझें न कि उनके मन में किसी तरह का डर बैठ जाए। बच्चे म्यूजिकल खिलौने भी पसंद करते हैं। आप उनकी रुचि को समझकर ऐसा कोई चयन कर सकते हैं। आप अपने बच्चे की पसंद नापसंद का सूक्ष्मता से अध्ययन करें। उसके अनुरूप ही उसके लिए खिलौनों का चयन करें तो बेहतर होगा।
-माधवी रंजना madhavi.ranjana@gmail.com




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