भारत एक वैश्विक शक्ति
के रुप में स्थापित हो रहा है
इसका बेहतर अंदाजा हम हाल की
कि कुछ खबरों से लगा सकते हैं।
पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति
जार्ज बुश ने अमेरिका के
स्कूली बच्चों को चेताया
कि सावधान हो जाओ वरना सारी
नौकरियां भारतीय ले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी
छात्रों से कहा कि खुद को
भारतीय छात्रों से प्रतिस्पर्धा
करने के लिए तैयार करें। बुश को
ऐसा इसलिए कहना पड़ा क्योंकि
अमेरिका में आज की तारीख
में सबसे अधिक आमदनी वाला जातीय
समूह भारतीय हैं।
अमेरिका में
प्रोफेशनल व अन्य सेवाओं की 60 फीसदी नौकिरयों में
भारतीयों का दबदबा है। इसी तरह
अमेरिकी लेबर फोर्स में 80 फीसदी तक भारतीय हैं।
भारत के टेक्नोक्रेट दुनिया
भर में देश की इमेज को
बेहतर बनाने में लगे हैं। 90 के दशक के बाद आए
सूचना क्रांति के बूम ने भारत को
वैश्विक शक्ति के रुप में
स्थापित करने में काफी मदद की
है। आज दुनिया के सभी विकसित
देशों की नजर भारत की ओर है। वे
भारत की एक अरब आबादी जिसमें
बड़ी संख्या में मध्यम वर्ग है
जो खर्च करने की क्षमता
रखता है उसे एक बड़े बाजार में
के रुप में देखते हैं।
सिर्फ
इतना ही नहीं भारतीय दिमाग ने
जापान, जर्मनी, इंग्लैंड व अमेरिका के सभी
बड़ी कंपनियों में अपने मेधा, प्रतिभा और झमता का लोहा
मनवाया है।
भारत की एनआरआई
कम्युनिटी ने भी अपने उद्योगों से
भारत का सम्मान विश्व पटल
पर बढ़ाया है। इनमें स्टील
किंग लक्ष्मी नारायण मित्तल का
नाम प्रमुख है जिन्हें फोर्ब्स
मैगजीन ने यूरोप का तीसरा
सबसे बड़ा अमीर घोषित किया
है। इसके अलावा ब्रिटेन के
लार्ड स्वराज पाल, होटलियर विक्रम चटवाल, ब्रिटेन की सबसे बड़ी
मोबाइल कंपनी वोडाफोन के मालिक
भी भारतीय मूल के हैं। अब
भारतीयों की बदलती छवि न सिर्फ
कुशल मजदूर की है बल्कि वे सफल
उद्यमी भी हैं।
भारतीय परिवेश में भी
बदलाव आया है। उन्नत दूर संचार
सेवाओं के कारण अब भारतीय शहर
दुनिया के अच्छे शहरों में
गिने जा रहे हैं। दिल्ली
में मेट्रो रेल, मिलेनियम सिटी गुड़गांव जहां
दुनिया की सभी प्रमुख
कंपनियों के काल सेंटर काम कर
रहे हैं, साइबर सिटी हैदराबाद, इन्फारमेशन टेक्नोलाजी का शहर
बेंगलूर, इन्फो सिटी के रुप में
विकसित होता मोहाली ने भारत की
छवि और शक्ति दोनों को नया आयाम
दिया है। भारत जो दुनिया का
सबसे बड़ा लोकतंत्र है वहां
देश ने राष्ट्रपति के रुप
में एपीजे कलाम को पाया है
जिनकी गिनती दुनिया के जानेमाने
वैज्ञानिकों में होती है। वहीं
प्रधानमंत्री के रुप में मनमोहन
सिंह मिले हैं जो कुशल
अर्थशास्त्री हैं। इस संयोजन ने
भी भारत को मजबूत देश बनाने
में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
दुनिया में भारत को एक मजबूत
होती अर्थव्यवस्था
के रुप में देखा जा
रहा है। विदेशी निवेशकों को
विश्वास भारतीय शेयर बाजार
में बढ़ा है। तभी तो मुंबई
शेयर सूचकांक ने 12 हजार का आंकड़ा पार कर
लिया है।
देश की अर्थव्यवस्था 8 फीसदी की गति से बढ़ रही
है। प्रधनमंत्री मनमोहन सिंह चाहते
हैं कि हम 10 फीसदी का विकास लक्ष्य
हासिल करें। अगर सब कुछ ठीक रहा
तो हम इस विकास लक्ष्य को
प्राप्त भी कर लेंगे। एक
सर्वेक्षण तो यह भी बताता है कि
आने वाले दस सालों में हम चीन
को भी पीछे छोड़ देंगे। यानी की
ड्रेगन (चीन) को उपर हाथी (भारत) बैठा हुआ होगा। जरूरत
सिर्फ इस बात की है कि हम भारतीय
उत्पादों को विश्व बाजार के
लायक बनाएं और कानून व्यवस्था
में सुधार लाकर भारत के इमेज
को और चमकदार बनाएं।
-
विद्युत प्रकाश मौर्य
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