एडवेंचर आफ टाम सायर और हकलबेरी फिन जैसी लोकप्रिय पुस्तकों के लेखक मार्क ट्वेन की आत्मकथा जल्द ही बाजार में दस्तक देने वाली है। मजेदार बात ये है कि मृत्यु के सौ साल बाद मार्क ट्वेन की आत्मकथा प्रकाशित हो रही है। 21 अप्रैल 1910 को मार्क ट्वेन की मृत्यु हुई थी। मार्क ट्वेन अपने जीवन में वसीयत कर गए थे कि उनकी आत्मकथा मृत्यु के सौ साल बाद ही प्रकाशित होनी चाहिए। कैलोफोर्निया यूनीवर्सिटी ट्वेन की आत्मकथा की पहली प्रति इसी साल नवंबर में जारी करेगी। उन्नीसवीं सदी के लोकप्रिय लेखक मार्क ट्वेन की आत्मकथा में पांच लाख शब्द होंगे। मार्क ट्वेने ने जीवन में काफी उतार चढ़ाव देखा था लिहाजा उनकी आत्मकथा के भी काफी रोचक होने के आसार हैं।
मार्क ट्वेन के पन्नों से : 1870 में लेखन शुरू करने वाले ट्वेन ने 1906 में टाइप करने के लिए लियोन को स्टेनोग्राफर नियुक्ति किया। लियोन ट्वेन के काफी करीब आ गईं थी। 1909 यानी अपनी मृत्यु से एक साल पहले ट्वेन ने लियोन को लताड़ लगाते हुए निकाल दिया। उनका कहना था कि वह उनकी संपत्ति की पावर आफ अटार्नी हासिल करने के लिए सम्मोहित कर रही थीं। ट्वेन की आत्मकथा से लियोन के साथ उनके रिश्ते के बारे में काफी कुछ पता चलेगा।
सैमुएल क्लीमेंस यानी मार्क ट्वेन का जन्म फ्लोरिडा में वर्ष 1835 में हुआ था। शरारत करने में क्लीमेंस का पहला नंबर आता था। पढ़ने-लिखने के नाम से उसे बुखार आ जाता था। जब वह बारह साल का हुआ तो पिता की मृत्यु हो गई। अब क्लीमेंस को पढ़ाई के साथ मजदूरी भी करनी पड़ी। बाईस साल की उम्र में उसने एक नाविक की नौकरी की। फिर उसे छोड़कर एक समाचार पत्र का संवाददाता बन गया। सन्1870 में वह एक पत्र का संपादक बन गया। इसी बीच वह हास्य व्यंग्य की कहानियाँ लिखने लगा।
एक दिन उसने सोचा कि क्यों न अपने बचपन के शैतानी भरे जीवन पर एक उपन्यास लिखूँ। उसने एक छद्म नाम से लिखना चाहा। तभी उसे 'मार्क ट्वेन' वाले बाँस की घटना उसे याद आई। और उसने अपना नाम रखा 'मार्क ट्वेन।' उसने अपने उपन्यास का नाम रखा 'टॉम सायर'। जब यह प्रकाशित हुआ तो उसे दुनिया भर के बच्चों ने पसंद किया। वह विश्व बाल साहित्य का कालजयी उपन्यास है। टॉम एक ऐसा चरित्र बन गया है जो शरारती और नटखट होकर भी चतुर है और वह अच्छे काम करना भी पसंद करता है। मार्क ट्वेन के व्यंग्य भी अंग्रेजी साहित्य की धरोहर स्वीकार किए गए।
मार्क ट्वेन के पन्नों से : 1870 में लेखन शुरू करने वाले ट्वेन ने 1906 में टाइप करने के लिए लियोन को स्टेनोग्राफर नियुक्ति किया। लियोन ट्वेन के काफी करीब आ गईं थी। 1909 यानी अपनी मृत्यु से एक साल पहले ट्वेन ने लियोन को लताड़ लगाते हुए निकाल दिया। उनका कहना था कि वह उनकी संपत्ति की पावर आफ अटार्नी हासिल करने के लिए सम्मोहित कर रही थीं। ट्वेन की आत्मकथा से लियोन के साथ उनके रिश्ते के बारे में काफी कुछ पता चलेगा।
सैमुएल क्लीमेंस यानी मार्क ट्वेन का जन्म फ्लोरिडा में वर्ष 1835 में हुआ था। शरारत करने में क्लीमेंस का पहला नंबर आता था। पढ़ने-लिखने के नाम से उसे बुखार आ जाता था। जब वह बारह साल का हुआ तो पिता की मृत्यु हो गई। अब क्लीमेंस को पढ़ाई के साथ मजदूरी भी करनी पड़ी। बाईस साल की उम्र में उसने एक नाविक की नौकरी की। फिर उसे छोड़कर एक समाचार पत्र का संवाददाता बन गया। सन्1870 में वह एक पत्र का संपादक बन गया। इसी बीच वह हास्य व्यंग्य की कहानियाँ लिखने लगा।
एक दिन उसने सोचा कि क्यों न अपने बचपन के शैतानी भरे जीवन पर एक उपन्यास लिखूँ। उसने एक छद्म नाम से लिखना चाहा। तभी उसे 'मार्क ट्वेन' वाले बाँस की घटना उसे याद आई। और उसने अपना नाम रखा 'मार्क ट्वेन।' उसने अपने उपन्यास का नाम रखा 'टॉम सायर'। जब यह प्रकाशित हुआ तो उसे दुनिया भर के बच्चों ने पसंद किया। वह विश्व बाल साहित्य का कालजयी उपन्यास है। टॉम एक ऐसा चरित्र बन गया है जो शरारती और नटखट होकर भी चतुर है और वह अच्छे काम करना भी पसंद करता है। मार्क ट्वेन के व्यंग्य भी अंग्रेजी साहित्य की धरोहर स्वीकार किए गए।
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