Thursday, 20 May 2010

नहीं रहे आचार्य राममूर्ति

जाने माने गांधीवादी शिक्षाविद और समाजसेवी आचार्य राममूर्ति का निधन हो गया है। 98 साल के उम्र में पटना में उन्होने अंतिम सांस ली। आचार्य राम मूर्ति जय प्रकाश नारायण के सहयोगी थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आचार्य राममूर्ति के निधन पर शोक संवेदना जताते हुए उनकी राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि कराने की घोषणा की है। आचार्य जी के निधन पर आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने भी शोक जताया है। आचार्य राममूर्ति का आश्रम जमुई में था लेकिन उनकी तबीयत कई महीनों से खराब थी और पटना के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में उनका इलाज चल रहा था। 1938 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए इतिहास में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद आचार्य राम मूर्ति ने बनारस के क्वींस कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। 1954 में कॉलेज की नौकरी छोड़कर वे धीरेंद्र मजूमदार के आह्वान पर श्रमभारती खादीग्राम मुंगेर, बिहार पहुंचे, जहां उन्होंने सादा जीवन के अभ्यास के साथ एक नए जीवन की शुरुआत की। यहां उन्होंने गांधी जी की कल्पना की नई तालीम का अभ्यास और शिक्षण शुरू किया। आचार्य राममूर्ति की अगुवाई में 1990 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुधार के लिए कमेटी का गठन किया गया था। आचार्य राममूर्ति समिति ने अपनी रिपोर्ट शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की सिफारिश की थी।

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