मोबाइल फोन कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा प्रेमी प्रेमिकाओं से ही हुआ। इससे उनका कारोबार दिन दुगुना और रात चौगुना बढ़ता जा रहा है। हालांकि प्रेमी प्रेमिका मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों को अक्सर धन्यवाद देते हुए देखे जाते हैं कि फोन ने उनका मिलना जुलना सेटिंग गेटिंग और बातें करना आसान कर दिया है। अब रात को रजाई के अंदर घुस कर प्रेमिकाएं अपने प्रेमी से घंटों मोबाइल पर बातें करती रहती हैं और मां बाप को भनक तक नहीं लगती है। अगर बाप मोबाइल खरीदकर बेटी को नहीं दे तो प्रेमी मोबाइल गिफ्ट कर देता है बर्थ डे या वेलेंटाइन डे पर। हालांकि पिताओं को अपनी पुत्री की कुशल क्षेम की चिंता लगी रहती है इसलिए वे बेटी को मोबाइल देकर कालेज या बाजार भेजते हैं। पर यह मोबाइल मां बाप से ज्यादा मुए आशिक के काम आता है। वह पूछता है जानेमन तुम कहा हों। वह बोलती है इडीएम माल में घर के लिए शापिंग कर रही हूं। बस प्रेमी फटाक से बाइक का एक्सलरेटर घुमाता है और पहुंच जाते हैं दोनो माल में। माल में अब रेस्टोरेंट और काफी शाप भी खुलने लगे हैं। बस बैठकर घंटों गप्पे लड़ाते रहो। बाप का फोन आता है तो बेटी बोलती है बस पापा पैकिंग करवा रही हूं। प्रेमी प्रेमिका समझते हैं कि अंबानी या मित्तल ने उन्हें बहुत अच्छा खिलौना दे दिया है। पर वास्तव में मोबाइल सेवा प्रदान करने वाले अंबानी, मित्तल, टाटाओं का इन प्रेमी प्रेमिकाओं का की शुक्रगुजार होना चाहिए जो मोबाइल पर बातें करके उनका लंबा चौड़ा बिल बनाते हैं। फिर दिलेर बाप उनका बिल भरता है। बाप पूछता बेटी मोबाइल का बिल इस महीने कुछ ज्यादा आया तो बेटी कहती है पापा सहेली से होमवर्क की बातें ज्यादा करनी पड़ी। अगर मोबाइल प्रीपेड है तो उसे रिचार्ज करवाने का जिम्मा पालतू प्रेमी पर होता है। प्रेमिका कहीं उसके हाथ से छटकर कर किसी और की न हो जाए इसलिए प्रेमी अपनी प्रेमिकाओं का मोबइल नियमित चार्ज करवाते रहते हैं।
किसी जमाने में फोन को जरूरी बातें करने के लिए समझा जाता था, इसलिए फोन के पास लिखा रहता था बी ब्रीफ आन फोन यानी फोन पर संक्षेप में बातों को करके निपटाएं। अब स्थित उलट हो गई है। अब फोन ज्यादा से ज्यादा और गैर जरूरी बातें करने के लिए है। सभी कंपनियां चाहती हैं कि आप ज्यादा से ज्यादा बातें करें। जितनी ज्यादा बातें करेंगे उतना ही ज्यादा बिल बनेगा और उतनी ही ज्यादा कमाई हो सकेगी।
इसलिए कंपनी अब लोगों को तरह तरह से उकसाने में लगी रहती हैं कि आप फोन पर ज्यादा और लंबी बातें करों। चिदंबरम साहब धीरे धीरे सर्विस टैक्स भी बढ़ाते जा रहे हैं ताकि सरकार की भी जेब भरती रहे। मोबाइल कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा प्रेमी प्रेमिका टाइप के लोग ही पहुंचा रहे हैं क्योंकि सबसे ज्यादा लंबी लंबी वार्ता वही लोग करते हैं। बाकी लोगों पास तो फोन पर आधा घंटा से लेकर एक घंटातक बातें करने का कोई एजेंडा नहीं होता कोई इश्यू नहीं होता। पर प्रेमी प्रेमिका की वार्ता किसी बेजान से इश्यू में भी जान फूंक देती है और मोबाइल कंपनी का मीटर घंटों तक चलता रहता है। पहले कई पिताओं को अपनी बेटी की वार्ता के कारण अपना लैंडलाइन फोन कटवाना पड़ता था। अब वह टेंशन भी खत्म है। कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को जितना ज्यादा प्यार करता है उतना ही छोटा मोबाइल प्रेजेंट करता है जो आसानी से वेनिटी केस या पर्स में छुप जाता है। मां बाप को तो पता भी नहीं होता कि उनकी बेटी के पास कोई मोबाइल फोन भी है। जो लड़कियां एक साथ तीन लड़को को लिफ्ट देती हैं वे तीन अलग अलग मोबाइल फोन रखती हैं। अलग अलग समय में तीन प्रेमियों को एक साथ भी उल्लू बनाती हैं। पर जवानी में उल्लू बनने के भी अपने मजे हैं।
-- विद्युत प्रकाश मौर्य
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