आज के जमाने
में भला एक रूपये में क्या मिल सकता है। ऐसा आप सोच सकते हैं लेकिन एक रूपये की
अभी भी अहमियत है। दिल्ली में चल रहे दिल्ली पुस्तक मेले में गीता प्रेस के स्टाल
पर एक रूपये में कई किताबें हैं। एक रूपये में चालीसा पाठ मिल रही है। तो महज चार
रुपये में गीता की हार्ड कवर में गुटका पाठ उपलब्ध है। 10 से 20 रूपये के बीच तो कई
सुंदर सुंदर किताबें।
एक से बढ़कर एक रंगीन और खास तौर पर बच्चों के पढ़ने लायक
धार्मिक पुस्तकें। आज जब हर प्रकाशक किताबें महंगी बेच रहा है और इसके पीछे कागज
और छपाई के महंगा होने का रोना रो रहा है गीता प्रेस की किताबें आज भी सस्ती हैं।
आम आदमी के जेब के अनुकुल हैं। अगर पहले से ही सस्ती किताबें हैं और गीता प्रेस
अपने पाठकों को कोई डिस्काउंट नहीं देता तो क्या बुराई है।
आजकल प्रकाशक 100
पेज की किताब की कीमत 100 रूपये रखते हैं।
इसके साथ हमेशा यही रोना रोते हैं कि पाठक घट रहे हैं। लेकिन पाठकों की संख्या
बढ़ाने के लिए वे मार्केटिंग के फंडे क्यों नहीं अपनाते। क्यों सिर्फ सरकारी खरीद
के भरोसे ही काम करते हैं। हालांकि कुछ प्रकाशक इस दौर में भी बेहतर मार्केटिंग की
कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अभी भी बेहतर रणनीति अपनाई जाए तो सिर्फ धार्मिक पुस्तकें
ही नहीं बल्कि तमाम दूसरी तरह की किताबें भी सस्ते में बेची जा सकती हैं। डायमंड
बुक्स और मनोज पाकेट बुक्स जैसे प्रकाशक बुक स्टाल पर बेचने योग्य किताबें
प्रकाशित करने और लोगों की जेब के अनुकूल रहने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
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