Tuesday 25 August 2020

कोलाज में ढला प्रेम और दर्शन का तानाबाना

अमर उजाला जालंधर में रिपोर्टिग के दौरान प्रकाशित एक रिपोर्ट साझा कर रहा हूं। तब कलाकार पंकज सचदेवा ने अपने कोलाज की प्रदर्शनी केआरएम डीएवी कॉलेज नकोदर ( जालंधर) में लगाई थी। तब पंकज सचदेवा पंजाब के तरनतारन शहर में रहते थे। बाद में वे अमृतसर में रहने लगे। आजकल उनकी पेंटिंग अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे दामों पर बिकती है।
अमर उजाला में 16 नवंबर 2000 को प्रकाशित। ( जालंधर संस्करण ) 
जब मैंने ये रिपोर्ट फाइल की तो तब हमारे उप समाचार संपादक शिव कुमार विवेक जी ने रिपोर्ट पढ़ी और मुझे फोन करके कहा कि इसकी भाषा थोड़ी क्लिष्ट है। अखबार के हिसाब से आसान नहीं है। मैंने आग्रह किया इसकी भाषा को ऐसे ही रहने दिया जाए, क्योंकि कलाकार के सृजन को अभिव्यक्त करने के लिए मैंने बेहतर शब्दों का इस्तेमाल करने की कोशिश की है। फिर रिपोर्ट बिल्कुल वैसी ही छपी जैसा मैंने लिखा था। एक माह महीने बाद पंकज सचदेव से जालंधर के हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में मुलाकात हुई। वे रिपोर्ट की प्रति संभाल कर रखे हुए थे। मेरी लेखनी की उन्होंने तारीफ की। मेरे लिए यह बड़ी खुशी की बात थी। कुछ महीने बाद तरनतारन जाने पर उनसे मिलना हुआ। वे तरनतारन के एक सम्ममानित परिवार से आते थे। 
कोलाज बनाने में उनकी रुचि बचपन के दिनों से ही थी। स्कूली जीवन में उनका मन उच्च आध्यात्मिक विचारों की ओर भागता था। इसको उन्होंने कागज पर उकेरा। पंकज पहले कोलाज बनाते थे बाद में आगे बढ़कर पेंटिंग बनाने लगे। तरनतारन छोड़कर अमृतसर में रहने लगे। कई साल बाद 2020 में उनसे दुबारा संपर्क हुआ, तो पता चला कि वे दिल्ली में शिफ्ट हो गए हैं। आजकल उनकी पेंटिंग कई ऑनलाइन वेबसाइट पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। 
vidyutp@gmail.com 

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