बिहार विधान सभा चुनाव 2020 के नतीजे बड़े रोचक रहे। दस नवंबर को हुई मतगणना में पहले पोस्टल बैलेट में राजेडी नीत महागठबंधन आगे जाता दिखा। पर दोपहर के बाद एनडीए की सीटें बढ़ने लगी। शाम को कुछ घंटे ऐसा वक्त रहा कि कौन जीतेगा कहना मुश्किल था। पर अंतिम नतीजों में एनडीए को 125 और महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं। अंतिम नतीजे कुछ ऐसे रहे -
राजद - 75
कांग्रेस 19
सीपीआई एमएल - 12
सीपीआई - 02
सीपीएम - 02 महागठबंधन कुल - 110
एनडीए खेमे के दल
भाजपा - 74
जदयू 43
हम -04
वीआईपी 04
दूसरे दल
एमआईएम - 05
लोजपा -01
बसपा 01
स्वतंत्र 01
कुल 125 सीटें जीतकर एनडीए सरकार बनाने की स्थिति में है। पर ये सरकार पूर्ण बहुमत में ऐसा कहना ठीक नहीं होगा। वीआईपी की 4 और हम की 4 सीटें हैं। इनमें से कोई भी एक दल नाराज हुआ तो सरकार अल्पमत में आ सकती है। बिहार विधान सभा की कुल 243 सीट में से बहुमत के लिए 122 सीटों का होना जरूरी है। वहीं इस बार के नतीजो में सत्तारुढ़ जदयू की सीटें 71 के मुकाबले घट कर 43 पर आ गई हैं। इसलिए इस बार बिहार को लंबे समय से सेवाएं दे रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा, हम, वीआईपी के दबाव में काम करने को मजबूर होंगे।
उधर महागठबंधन के पास 110 सीटें हैं। अगर ओवैसी की पार्टी एमआईएम उनके साथ जाती है तो वे 115 पर आ जाएंगे। कभी हम और वीआईपी भाजपा से नाराज हो गए तो महागठबंधन के पास 123 का आंकड़ा हो जाएगा फिर पासा पलट सकता है।
अब बात एक-एक उम्मीदवार के जीत की। बिहार में बसपा ने एक सीट जीती है। भभुआ जिले के चैनपुर से बसपा के मोहम्मद आजम खान जीते हैं। वे किधर जाएंगे वे खुद तय करेंगे। अकेले उम्मीदवार के लिए जरूरी नहीं कि वह पार्टी लाइन को माने। वह चाहे तो किसी भी दल में विलय कर सकता है।
वहीं राम विलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान की पार्टी लोजपा अकेले लड़ी थी। उसके एक उम्मीदवार राज कुमार सिंह बेगुसराय के मटिहानी से जीते हैं। वे बिहार के बाहुबली रहे कामदेव सिंह के बेटे हैं। उन्होंने जदयू के बाहुबली नेता बोगो सिंह को हराया है। राजकुमार काफी पढ़े लिखे पर दबंग नेता हैं। वे किसको समर्थन देंगे यह भी वे भविष्य में खुद तय कर सकते हैं।
जमुई जिले के आदिवासी बहुल चकाई से सुमित कुमार सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की है। हालांकि वे जदयू से टिकट की इच्छा रखते थे। अब वे अपना समर्थन किसे देंगे, यह वे खुद तय करेंगे। उनके दादा कृष्णानंद सिंह दो बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक रह चुके हैं। उनके भाई अभय सिंह भी विधायक रह चुके हैं। बिहार विधानसभा में एमआईएम के पांच और तीन अकेले जीत दर्ज करने वाले विधायकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है।
बिहार चुनाव के 2020 के नतीजों की बात करें तो दर्जनों ऐसी सीट हैं जहां जीत हार 1000 से भी कम मतों से हुई है। ये काफी स्पष्ट है कि 31 साल तेजस्वी यादव की अगुवाई में महागठबंधन ने काफी आक्रमकता से चुनाव लड़ा। ज्यादातर एग्जिट पोल ने राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने की भविष्यवाणी की थी। पर मतगणना में देर शाम नतीजे पलटते नजर आए। जीत का मामूली अंतर बिहार की राजनीति में उथलपुथल का माहौल बनाए रखेगा।
बिहार 2015 के नतीजे
राजद 80 जदयू 71 कांग्रेस – 27 ( गठबंधन था )
भाजपा – 53 लोजपा – 02 (43 ) रालोसपा – 02 (23)
हम 01 ( 21)
सीपीआई एमएल – 03
बिहार – 2010 के नतीजे
जदयू 115 भाजपा 91 (गठबंधन )
राजद 22 एलजेपी 03 ( गठबंधन )
कांग्रेस – 04 ( अकेले लड़ी थी )
सीपीआई 01
जेएमएम 01
स्वतंत्र 06
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