वोकल पर लोकल की दिशा में पहल करते हुए प्रशांत द्विवेदी ने मध्य प्रदेश के मैहर में अपने पिता द्वारा शुरू की गई गौशाला को अपनी कर्मभूमि बनाने का निश्चय किया। दिवाली से पहले उन्होंने गौशाला में गोबर से गोमय दीया बनाने का कार्य शुरू किया। इसको पहले एक पायलेट प्रोजेक्ट की तरह शुरू किया गया और शुरुआत में सभी अपने लोगो में बांटा गया।
गांव की महिलाओं को रोजगार - अच्छी
फीडबैक मिलने पर गांव
की ही तीन महिलाओं को इस कार्य में जोड़ा गया और वहीं से
शुरू हुआ गोमय दीये और गोमय गणेश बनाने का कार्य। महिलाओं
द्वारा गाय के गोबर का इस्तेमाल करने गोबर के दिए और गोबर
गणेश बनाये जा रहे हैं। इन्हें स्थानीय बाजारों में बेचा जा रहा है। इससे उनको काम के साथ-साथ अच्छा दाम और अच्छा मुनाफा मिल जाता है।
दिल्ली में भी काफी मांग
- जहां
एक ओर गोमय गणेश के दिए की डिमांड स्थानीय बाजारों में काफी है वहीं अब
बड़े शहरो में भी इसकी मांग हो रही है।
दिल्ली में प्रशांत ने काफी लोगों को ऐसे दीये और गणेश प्रतिमा उपलब्ध कराई है। उन्हों अन्य महानगरों से भी आर्डर मिल रहे हैं।
ग्लोबल
ब्रांड बनाने का सपना - देश के प्रधान मंत्री का वोकल फॉर
लोकल का सपना साकार करने के लिए प्रशांत जैसे युवा उद्यमियों ने अपने
स्तर पर पहल शुरू की है। इनका सपना
गोमय गणेश और
दीयों को ग्लोबल ब्रांड बनाने का है
ताकि इस प्रकार के लोकल प्रोडक्ट देश की अर्थ व्यवस्था में अपना योगदान कर सकें।
प्रशांत
द्विवेदी संपर्क – 98730-37187
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