हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक पटाखे चलाने पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। पटाखों से 125 डेसीबाल तक ध्वनि प्रदूषण होता है जो बच्चों और बूढ़ों को बहरा तक बना सकता है।
देश में पटखों का सालाना कारोबार एक हजार करोड़ रूपये से ज्यादा का है। हालांकि बढ़ती महंगाई का असर इस साल पटाखों के बाजार पर भी दिखा। पटाखे 40 फीसदी तक बढ़ गए हैं। लेकिन मंदी की बयार में भी देश भर में लोगों ने जमकर आतिशबाजी की। आतिशबाजी के बाजार पर महंगाई और मंदी का कुछ खास असर नहीं दिखता। दीपावली के बाद हवा में प्रदूषण की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंचजाती है। अस्पतालों में सांस के मरीजों कीतादात अचानक बढ जाती है। लेकिन आतिशबाजी करने वालों को भला इससे कहां फर्क पड़ता है....
किसी शायर ने कहा था....
तुम शौक से मनाओ जश्ने बहार यारों...
इस रोशनी में लेकिन कुछ घर जल रहे हैं....
No comments:
Post a Comment