Friday, 17 October 2014

इस बार बनाएं स्वदेशी दीपावली

अपने देश के कुंभकारों के पेट पर लात न मारें। दीपावली में अपना घर मिट्टी के दीयों से रोशन करें। सस्ते घटिया चीन के लाइटों को हरगिज न खरीदें। इससे हमारी गाढ़ी कमाई का करोड़ो रुपया चीन जा रहा है हर साल। हम कंगाल हो रहे हैं और चीन की अर्थव्यवस्था मालामाल।

इस बार 23 अक्तूबर की दीपावली से पहले चीन से आए उत्पादों (मूर्तियां, पटाखे, लाइट की लड़ियो आदि) के विरुद्ध जागरूकता अभियान चलाएं। चीनी उत्पाद न खुद खरीदें न ही पड़ोसियों को खरीदने दें। बाजार से सिर्फ स्वदेशी मूर्तियां और दीए ही खरीदें। चीनी लड़ियों का मोह त्याग दें।
नई आर्थिक गुलामी
वैश्वीकरण के बिना विकसित देश की कल्पना नहीं की जा सकती, लेकिन इस आड़ में खुद का वजूद धूमिल करना कहां तक उचित है। चीन के उत्पाद यहां के बाजारों पर पूरी तरह हावी हैं। चाहे इलेक्ट्रोनिक्स का बाजार हो, चाहे गिफ्ट आइटम या फिर सजावट का। हर तरफ चीनी उत्पाद दुकानों पर सजे मिल जाएंगे। सस्ते के चक्कर में लोग गुणवत्ता को नजरअंदाज कर देते हैं।
घटिया गुणवत्ता के उत्पाद
दीपावली पर्व पर बाजार चीनी उत्पादों से भरे हैं। दीपक की जगह विद्युत झालरें तो ले ही चुकी हैं, साथ ही अब बाजारों में चीनी दीपक भी आ गए हैं। इन दीपकों को लोग एक से अधिक बार प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा चीनी मोमबत्ती में तमाम वैरायटी इस बार बाजार में उपलब्ध हैं। इनमें गुलाब, दिल, ग्लास, बाउल, जैली, स्टार, कलर चेंजिंग कैंडल जैसी चीजें हैं। इसी तरह बाजार में सजावट के लिए कृत्रिम फूल, गुलदस्ते, झालरें भी उपलब्ध हैं। भले ही सस्ती लगती हों पर हैं घटिया गुणवत्ता की।

परंपराएं पीछे छूटीं
आप गौर करेंगे तो पाएगे कि दीपावली के इन चीनी सामानों में निरंतर हो रहे षड्यंत्र पूर्ण नवाचारों से हमारी दीपावली और लक्ष्मी पूजा का स्वरुप ही बदल रहा है। हमारा ठेठ पारम्परिक स्वरुप और पौराणिक मान्यताएं पीछे छूटती जा रहीं हैं और हम केवल आर्थिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक गुलामी को भी गले लगा रहे हैं।

पांच लाख लोगों का रोजगार छीना

लगभग पांच लाख परिवारों की रोजी रोटी को आधार देनें वाला यह त्यौहार अब कुछ आयातकों और बड़े व्यापारियों के मुनाफ़ा तंत्र का एक केंद्र मात्र बन गया है। न केवल कुटीर उत्पादक तंत्र बल्कि छोटे, मझोले और बड़े तीनों स्तर पर पीढ़ियों से दीवाली की वस्तुओं का व्यवसाय करने वाला एक बड़ा तंत्र निठल्ला बैठने को मजबूर हो गया है।
पारंपरिक दीपदान से मेक इंडिया में योगदान

एक अनुमान के अनुसार इस साल 600 करोड़ रुपए के अवैध चीनी पटाखे भारतीय बाजारों में उतर चुके हैं। हमें दीपावली पर ये पटाखे चलाने के बजाय पारंपरिक दीप दान को अपनाना चाहिए। दीप दान पर्यावरण के लिहाज से बेहतर होगा, साथ ही इसके जरिए प्रधानमंत्री के मेक इन इंडियामिशन को भी बल मिलेगा।

विद्युत प्रकाश मौर्य


2 comments:

Raravi said...

mera samarthan aur anurodh hai pathak gan se ki is me aap bhi shamil hon.

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ..
शुभ दीपावली