Saturday, 28 February 2015

बदले देश के गांवों की सूरत

देश की 68 फीसदी आबादी गांव में रहती है, पर देश के लाखों गांव आज भी सड़क, बिजली, पेयजल जैसी आधारभूत सुविधाओं का इंतजार कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारें गांवों की सूरत बदलने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही हैं पर उनका अपेक्षित परिणाम देखने को नहीं मिला है।


भारत के गांव
- 6,38,365 कुल गांव हैं भारत में
- 68.84 फीसदी देश की आबादी गांव में रहती है
- 2,36,004 गांवों में 500 से ज्यादा लोग रहते हैं
- 3976 गांवों की आबादी 10,000 से अधिक है
1,07,753 गांव हैं सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में
40,000 से ज्यादा गांव हैं पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में

यूनिक कोड नंबर
2011 के जनगणना में देश के हर गांव के लिए एक यूनिक कोड नंबर प्रदान किया गया है। छह अंकों वाले इस कोड नंबर के इस्तेमाल से गांवों के लिए लागू की जाने वाली तमाम विकास योजनाओं और ई-गवर्नेंस में आसानी के लिए किया गया है।

देश के बड़े गांव
बनगांव : 30,061 की आबादी वाला बनगांव बिहार ही नहीं, भारत का सबसे बड़ा गांव माना जाता है। सहरसा जिले के इस गांव में तीन पंचायतें कार्यरत हैं।
गहमर : 26250 की आबादी वाला यूपी के गाजीपुर जिले का गहमर देश के बड़े गांवों में से एक है।

पहले भी चली ग्राम विकास योजनाएं
अंबेडकर ग्राम विकास योजना : 2007 में यूपी में मायावती सरकार ने अंबेडकर ग्राम विकास योजना की शुरुआत की। 2011 में इसका नाम बदलकर अखिलेश सरकार ने लोहिया ग्राम विकास योजना कर दिया है। इसके तहत चयनित गांवों का 36 बिंदुओं के तहत विकास किया जाता है। इसके तहत संपर्क मार्ग, विद्युतीकरण, सबको आवास, शौचालय, पेयजल, तालाब, आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की जाती है। तमाम सरकारी योजनाओं के कार्यान्यवयन आदि पर ध्यान दिया जाता है।


गांवों का हाल
बिजली
25752 गांवों में अभी तक नहीं पहुंचाई जा सकी है बिजली
1,08,408 गांवों में बिजली पहुंची राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत
95 फीसदी गांव विद्युतीकृत हो चुके हैं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक (कुल गांव 5,97,464 हैं विद्युत मंत्रालय के मुताबिक)

सड़क
- 50 फीसदी गांव अभी भी देशभर में सड़क से नहीं जोड़े जा सके हैं
- 40 फीसदी गांव सड़कों से जुड़ी थीं साल 2000 में
- 2000 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू की गई
1.80 लाख बसावटों को सड़क से जोड़ा गया पीएमजीएसवाई से 3.72 लाख किलोमीटर नई सड़कें बनीं (विश्व बैंक की रिपोर्ट)

पेयजल-स्वच्छता
89 फीसदी ग्रामीण आबादी के पास पेयजल की सुविधा है
24 फीसदी ग्रामीण आबादी ही शौचालय का इस्तेमाल करती है
62 करोड़ देश की ग्रामीण आबादी खुले में शौच जाती है


बापू का ग्राम स्वराज्य का सपना
मेरा विश्वास है कि भारत चंद शहरों में नहीं, बल्कि सात लाख गांवों में बसा है। लेकिन हम शहरवासियों का ख्याल है कि भारत शहरों में ही है। हमने कभी यह सोचने की तकलीफ ही नहीं उठाई कि उन गरीबों को पेट भरने जितना अन्न और शरीर ढकने जितना कपड़ा मिलता है या नहीं और धूप और वर्षा से बचने के लिए उनके सिर पर छप्पर है या नहीं। (मेरे सपनों का भारत में महात्मा गांधी)
( प्रस्तुति - vidyutp@gmail.com ) 


    

खतरे में हैं दुनिया के सुंदर नदी और समुद्र द्वीप

दुनिया के कई द्वीपों पर खतरा मंडरा रहा है। कई द्वीप देश बड़े खतरे के मुहाने पर खड़े हैं। यह आशंका है कि समुद्र जल स्तर बढ़ने से एक दिन कहीं मॉरीशस, लक्षद्वीप और अंडमान द्वीप समूह ही नहीं, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे मुल्कों का भी अस्तित्व समाप्त न हो जाए। भारत के राष्ट्रीय समुद्र-विज्ञान संस्थान के मुताबिक खाड़ी के सभी द्वीपों में से ज़्यादातर की अवस्था ठीक नहीं है। दुनिया के खूबसूरत देशों में शुमार मालद्वीप पर खतरा मंडरा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण मालद्वीप के नए राष्ट्रपति मोहम्मद नशीर ने भावी खतरे को पहचानकर 2009 में अपने द्वीप देश को नई जगह बसाने के लिए जमीन खरीदने की बात कही थी।

सुंदरवन में डूब बना चुनावी मुद्दा
2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के सुंदरवन के मतदाताओं के लिए द्वीपों के डूबने का खतरा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना। यहां के मतदाता उम्मीदवारों से वायुमंडलीय तापमान में इजाफे के खतरे पर ध्यान देने की अपील की। रॉयल बंगाल टाइगर के लिए मशहूर सुंदरवन द्वीप समूह 40 लाख से ज्यादा मतदाता है। सुंदरवन बाढ़, तूफान, लवणता और कटाव की बढ़ती समस्याओं से प्रभावित रहा है।
 
वसंत में माजुली - चित्र सौजन्य - http://majulilandscape.gov.in/
अस्तित्व की लड़ाई लड़ता माजुली
असम में ब्रह्मपुत्र नदी के बीच स्थित दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। माजुली बाढ़ और भूमि कटाव के कारण खतरे में है। इसका क्षेत्रफल 1278 वर्ग किलोमीटर से घटकर 557 वर्ग किलोमीटर रह गया है। द्वीप के 23 गांवों में कोई डेढ़ लाख लोग रहते हैं। 2009 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा ने कहा था यदि वह सत्ता में आई तो माजुली द्वीप को  विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिलाएगी। हालांकि माजुली पर ठीक से वकालत नहीं की जा सकी और यूनोस्को ने विश्व धरोहर के प्रस्ताव रद्द कर दिया।
इतिहास बना न्यू मूर
बंगाल की खाड़ी में स्थित न्यू मूर नामक छोटा-सा द्वीप पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। न्यू मूर को भारत में पुरबाशा और बांग्लादेश में दक्षिण तलपट्टी के नाम से भी जाना जाता है। भारत ने 1989 में नौ सेना का जहाज और फिर बीएसएफ के जवानों को वहां तैनात करके वहां तिरंगा फहराया था।

विश्व धरोहर गैलापागोस
गैलापागोस प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के आसपास फैले ज्वालामुखी द्वीपों का एक  समूह है, जो ईक्वाडोर के 972 किमी पश्चिम में स्थित है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। वन्यजीवन इसकी प्रमुख विशेषता है। हालांकि मानव द्वारा इन द्वीपों पर गलती या स्वेच्छा से लाए गए पौधे और जानवर पारिस्थितिकी के लिए खतरा साबित हुए हैं।

खतरे में द्वीप
18 द्वीप दुनिया में पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं
54 द्वीपों का समूह सुंदरवन पर मंडरा रहा है खतरा
30 साल में सुंदरवन में 7,000 लोग कटाव से विस्थापित हुए
2007 में 2 करोड़ 50 लाख लोग द्वीपों के डूबने के कारण विस्थापित हुए
10 हजार की आबादी वाला भारत का लोहाचार द्वीप 1996 में बर्बाद हो गया।
25 सालों में घोड़ामारा द्वीप (बंगाल की खाड़ी) 9 वर्ग किमी से घट 4.7 वर्ग किमी रह गया
3.3 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की रफ्तार से बढ़ रहा है बंगाल की खाड़ी में समुद्र का जलस्तर
10,000 से ज्यादा समुद्र द्वीप हैं चीन के पास जिनपर मंडरा रहा है खतरा।


क्यों बढ़ रहा है समुद्र का जलस्तर
ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है जिससे द्वीपों पर खतरा है। वैज्ञानिकों को आशंका है कि यह रफ्तार बनी रही तो वर्ष 2020 तक 14 द्वीप खत्म हो जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया है कि समंदर के बढ़ते जलस्तर से छोटे-छोटे द्वीपों पर रहने वाले दो करोड़ बांग्लादेशी वर्ष 2050 तक विस्थापित हो चुके होंगे।

संकट में किरिबाती
ऑकलैंड, न्यूजीलैंड प्रशांत द्वीप क्षेत्र में स्थित 10 लाख की आबादी वाला किरिबाती द्वीप देश संकट में है। समुद्र का पानी दक्षिण प्रशांत के इस द्वीप देश को पाट सकता है। किरिबाती का उच्चतम बिंदु समुद्र तल से केवल दो मीटर अधिक है। किरिबाती के लोगों को 6000 एकड़ जमीन खरीदकर फिजी में शिफ्ट करने की बात चल रही है।

कैसे बचेंगे द्वीप
-          ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत खोजने होंगे।
-          कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की वैश्विक कमी लानी होगी।
-          समुद्र इलाके में लगातार चट्टानों की खुदाई पर रोक लगानी होगी।
-          समुद्र द्वीपों की पारिस्थितिकी व्यवस्था की सुरक्षा
-          प्राकृतिक संसाधन का समुचित विकास व प्रयोग
-          पारिस्थितिकी के संतुलन को कायम रखने के लिए, समुद्र द्वीप संरक्षण कानून बनाया जाए।

( vidyutp@gmail.com ) 

कैसे वापस आए विदेशों में जमा धन

स्विस बैंकों की तिजोरी में भारतीय नागरिकों का रुपया बढ़ रहा है। ये वो रुपया है जो अधिकृत तौर पर जमा पर इससे बहुत बड़ी राशि कालेधन के रुप में स्विस बैंकों समेत दुनिया के कई देशों में जमा है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कालेधन को वापस लाने की बात कही थी। देश में कालेधन की एक समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है, जिसका आकार जीडीपी के करीब 50 प्रतिशत है। 


कैसे आए कालाधन
08वें नंबर पर है भारत एक दशक में सबसे ज्यादा कालाधन बाहर जाने वाले देशों की सूची में
123 बिलियन डॉलर पैसा कालेधन के रूप में देश से निकल गया एक दशक में (ग्लोबल फाइनेंस इंटिग्रिटी की रिपोर्ट)
कितना कालाधन
45 लाख करोड़ रुपये कालाधन जमा है विदेशों में फिक्की के एक अनुमान के मुताबिक।
72 लाख 80 हजार करोड रूपये है आईआईएम के प्रोफेसर आर वैद्यनाथन के मुताबिक विदेशों में जमा कालाधन।
25 लाख करोड़ की रक़म जमा कर रखी है भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी के मुताबिक।
100 लाख करोड़ का आंकड़ा देते है बाबा रामदेव विदेशी बैंकों में भारतीयों के धन का।
900 लाख करोड़ काला धन देश में ही छिपाया गया है बाबा रामदेव के मुताबिक

120 लाख करोड़ रुपये भारतीयों ने  विदेशों में काला धन रखा हुआ है, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक।
60 साल तक किसी को इनकम टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी अगर विदेशों में जमा कालाधन भारत में वापस आ जाए (सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक।
70 देशों में जमा है भारत के लोगों का कालाधन, जिसमें स्वीट्जरलैंड प्रमुख है।
30 हजार करोड़ रुपये लोकसभा चुनाव में किया गया खर्च जिसमें एक तिहाई कालाधन।
वापस लाने के सरकारी प्रयास
27 मई 2014 को एनडीए सरकार  कालाधन वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन किया।

कितना कालाधन
- 14,000 करोड़ रुपये से अधिक है स्विस बैंकों में भारतीयों का कुल जमा धन दिसंबर, 2013 तक
- 42 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है कालेधन में महज एक साल में। (स्विस नेशनल बैंक के अनुसार)
- 2014 के फरवरी में एक स्विस प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली आया था


जानकारी देने से इनकार
16 जून 2014 को विदेशों में जमा कालेधन को देश में वापस लाने की पहल के बीच केंद्र सरकार ने विभिन्न देशों के साथ दोहरे कराधान बचाव समझौते के गोपनीयता प्रावधानों का जिक्र करते हुए विदेशी बैंकों में खाता रखने वाले भारतीयों का ब्यौरा देने से इनकार किया। आरटीआई के तहत मांगी गई थी जानकारी।

Friday, 27 February 2015

अंधाधुंध नई ट्रेनें नहीं, सुरक्षा और संरक्षा पर जोर

दुनिया कौ चौथा बड़ा रेल नेटवर्क और सफर के लिहाज से सबसे सस्ता नेटवर्क है भारतीय रेल। 1924 से ही रेल बजट को आम बजट से अलग पेश करने की पंरपरा चली आ रही है। देश का सबसे बड़ा परिवहन का साधन होने के कारण रेल बजट को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता रहती है। माना जा रहा है कि इस बार सुरेश प्रभु द्वारा पेश किए जाने वाले रेल बजट में प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया कार्यक्रम की झलक दिखाई दे सकती है। वहीं अंधाधुंध ट्रेनों के ऐलान के बजाए रेलवे में नई जान फूंकने पर जो रहेगा।



रेल बजट से देश की पांच बडी उम्‍मीदें

-    तत्काल टिकट पर मिले कुछ रिफंड। फिलहाल तत्काल टिकट कैंसिल कराने पर कुछ नहीं मिलता। लोग यह भी चाहते हैं कि तत्काल टिकट 48 घंटे पहले बुक हो।

-    कुछ लोग चाहते हैं कि लोअर बर्थ के लिए एक्स्ट्रा चार्ज वसूला जाए। वहीं साइड अपर बर्थ के लिए राशि कम की जाए।

-    बड़े रेलवे स्टेशनों पर सामन ढोने के लिए एयरपोर्ट की तरह ट्राली का इंतजाम हो। कुली बहुत पैसे मांगते हैं।

-    मेट्रो शहरों में प्लेटफार्म टिकट की कीमत महंगी की जाए जिससे की स्टेशनों पर भीड़ भाड़ को कम किया जा सके।

-    सफर के दौरान बेहतर गुणवत्ता वाला भोजन मुहैय्या कराने पर जोर होना चाहिए।



टाइम पर चलें ट्रेनें
ज्यादातर बड़े स्टेशनों पर रेलगाड़ियों का दबाव है। प्लेटफार्म का विस्तार नहीं होने के कारण रेलगाड़ियां आउटर सिग्नल पर रूक जाती हैं, जिससे ट्रेन लेट होती है। लखनऊ, इलाहाबाद, मुगलसराय, पटना जैसे स्टेशन काफी व्यस्त हैं।
हर साल 100 के आसपास नई ट्रेनों का ऐलान जरूर हो जाता है। पर देश के व्यस्त मार्ग पर पटरियों की संख्या नहीं बढ़ाए जाने से पटरियों पर ट्रेनों का बोझ बढ़ता जा रहा है। इससे रेलगाड़ियां लेट होती हैं।

स्‍टेशनों पर हो सफाई
तमाम बड़े स्टेशनों पर स्वच्छता के इंतजाम नाकाफी हैं। पिछले रेल बजट में सफाई पर 40 फीसदी बजट में इजाफा हुआ था। 50 स्टेशनों पर आउटसोर्सिंग से सफाई का प्रावधान किया गया। 400 रेलगाडियों में ऑनबोर्ड हाउसकिपिंग शुरू की गई है।

कैसे रूके हादसे
रेलवे में संरक्षा के मोर्चे पर काफी कमियां हैं। पिछले एक सालों में समपार फाटकों पर वाहनों की टकराने की कई घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है।
11,563 हजार मानव रहित रेल फाटकों को खत्म करना है बड़ा लक्ष्य।
59 फीसदी हादसे मानव रहित फाटकों पर ही होते हैं।
हाल के रेल हादसे
13 फरवरी 2015 – बेंगलुरू – 12 लोगों की मौत
16 दिसंबर 2014 नवादा – 5 की मौत
1 अक्तूबर 2014 गोरखपुर – 6 यात्रियों की मौत
24 जुलाई 2014 – हैदराबाद- 16 बच्चों की मौत

पटरियों का रखरखाव
25 साल पर मुख्य लाइन और 35 साल पर ब्रांच लाइनें बदली जानी चाहिए। पर तमाम जगह ऐसा नहीं हो पाता। रेल पटरी कमजोर हो जाने से आए दिन फ्रैक्चर होते हैं जिससे बड़ा हादसा होने का अंदेशा रहता है।

सुरक्षा
रेलगाड़ियों में लूटपाट और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं।  बड़े स्टेशनों पर सुरक्षा व्यस्था दुरुस्त नहीं है। कई बार बैगेज स्कैनर काम नहीं करते।
32 फीसदी ट्रेनों में ही सुरक्षा के लिए पहरेदार होते हैं, बाकी ट्रेनें भगवान भरोसे चलती हैं।
17 हजार पद रिक्त हैं रेलवे सुरक्षा बल में।  इसलिए तमाम चलती ट्रेनों में जवानों की तैनाती नहीं हो पाती।
सुरक्षित हो यात्रा
रेल यात्री राष्ट्रीय स्तर पर हेल्पलाइन नंबर स्थापित करने की मांग कर रहे हैं जिससे चलती ट्रेन में यात्री किसी भी तरह की वारदात की शिकायत दर्ज करा सकें। रेलवे की योजना भी है पर इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।
 


सच हो बुलट ट्रेन का सपना
पिछले रेल बजट में मुंबई अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाए जाने के लिए अध्ययन कराने का ऐलान किया गया था। पर इसमें अभी कोई खास प्रगति नहीं हुई है। दिल्ली आगरा के बीच हाई स्पीड ट्रेन का ट्रायल हो चुका है। पर इस ट्रैक पर हाई स्पीड ट्रेन अभी शुरू नहीं की जा सकी है।

अच्छी गुणवत्ता का भोजन
पिछले रेल बजट में जनता भोजन के लिए 51 जन-आहार आऊटलेट खोलने का ऐलान किया गया था। पर देश के ज्यादातर स्टेशनों पर अच्छी गुणवत्ता का भोजन नहीं मिलता। चलती ट्रेन में पेंट्री कार में मिलने वाले भोजन को लेकर लोगों को काफी शिकायते हैं। कई ट्रेनों में ऑनलाइन खाना बुक कराने की सुविधा शुरू की गई है। पर इस सेवा में खाने की थाली काफी महंगी है।

भारतीय रेल

14300 रेलगाड़ियां चलती हैं हर रोज देश में
2.5 करोड़ से ज्यादा लोग सफर करते हैं हर रोज रेल से
रेलवे की कमाई
12 फीसदी हुई रेलवे की कमाई में वृद्धि माल ढुलाई से
86,000 करोड़ हुई रेलवे की कमाई माल ढुलाई से ( अप्रैल 14 से जनवरी 15 के बीच)

नई रेल लाइनें बिछाने में फिसड्डी हैं हम
हम भले ही दुनिया के चौथा बड़ा रेल नेटवर्क होने का दावा करें लेकिन नई रेल लाइनें बिछाने के मामले में आजादी के बाद की ज्यादातर सरकारें फिसड्डी रही हैं। भारतीय रेल की देश में यात्री परिवहन और माल ढुलाई में बड़ी भूमिका है। पर देश का बहुत बड़ा हिस्सा अभी रेल की सीटी सुनने का इंतजार कर रहा है। कई राज्यों की राजधानियां और देश के कई जिला मुख्यालय अभी रेल नेटवर्क पर नहीं हैं।

65436 किलोमीटर है भारतीय रेल कुल लंबाई ( 2012-13) 
23541 किलोमीटर ( 36 फीसदी) लाइन हैं विद्युतीकृत।
61,240 किलोमीटर का नेटवर्क था 1980 में।
53,596 किमी ( दुनिया कासबसे बड़ा नेटवर्क) था 1951 में नेटवर्क

42 निजी रेल कंपनियों को मिलाकर 1951 में राष्ट्रीयकरण कर भारतीय रेल की स्थापना हुई
63 साल में सिर्फ 11,000 किलोमीटर नई लाइनें बिछाई गईं।
34 साल में देश में महज 3000 किलोमीटर नई लाइनें बिछाई गई हैं। ( 1980 के बाद)

निजी क्षेत्र की भागीदारी
पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्‍त उद्यम कंपनी है


राज्यों को लगी है उम्मीद
उत्तर प्रदेश
इलाहाबाद में नया रेल पुल बनाने की मांग, जिसे इलाहाबाद जंक्शन पर बोझ कम होगा और रेलगाड़ियों की लेटलतीफी भी कम हो सकेगी।
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल को चाहिए बिलासपुर और नालागढ़ जैसे शहरों के लिए रेल लिंक। राज्य में सिर्फ 44 किलोमीटर ब्राडगेज नेटवर्क है।
बिहार को उम्मीद
मधेपुरा विद्युत इंजन कारखाना का काम शुरु नहीं हुआ। छपरा पहिया कारखाने से अभी उत्पादन शुरू नहीं। पटना और मुंगेर में रेल पुल प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। पटना से नई दिल्ली और मुंबई के लिए है नई ट्रेनों की मांग।
ये भी है मांग
हाजीपुर – बछवाड़ा रेल मार्ग का दोहरीकरण
मुजफ्फरपुर मोतिहारी नरकटियागंज रेल खंड का विद्युतीकरण।
मध्य प्रदेश
भोपाल से पुणे और बैंगलुरु के लिए चाहिए सीधी रेल सेवा। रामगंज (राजस्थान) भोपाल, रतलाम डूंगरपुर नई ब्राडगेज लाइनों पर काम में प्रगति नहीं
ललितपुर सिंगरौली लाइन, जबलपुर-बालाघाट आमन परिवर्तन का काम फंड की कमी के कारण धीमी गति से चल रहा है।

2014 के रेल बजट में
58 नई रेलगाड़ियां चलाने की घोषणा की थी डीवी सदानंद गोड़ा ने जुलाई में पेश रेल बजट में
ये ट्रेने नहीं चलीं
नई दिल्ली से वाराणसी एक्सप्रेस (प्रतिदिन) – अभी तक नहीं चली