
हादसों के कारण
- रेलवे का मौजूदा ट्रैक ज्यादा
वजन ढोने वाली मालगाड़ियों के अनुकूल नहीं
- अंतरराष्ट्रीय स्तर की मजबूत
पटरियां बिछाकर इन्हे दुरुस्त किया जा सकता है
- रेल इंजन, वैगन
और डिजायन सब पुराने पड़ चुके हैं। इन्हें आधुनिक रूप दिया जाना जरूरी
कैसे रूकें हादसे
- 5 लाख 60 हजार करोड़ धन की जरूरत बताई थी 2013 में सैम पित्रोदा समिति ने अपनी रिपोर्ट में रेल संरक्षा और आधुनिकीकरण
के लिए।
- 25 लाख से ज्यादा की हानि होने
पर रेल संरक्षा आयोग मामले की जांच करता है पर आयोग रिपोर्ट देकर इतिश्री कर लेता
है इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
- 10 सालों में संरक्षा आयुक्त ने
जितने सुझाव दिए उस पर रेलवे ने अमल नहीं किया। जांच के नाम पर खर्च हुए करोड़ो
रुपये।
सुझावों पर अमल नहीं
रेलवे संरक्षा आयुक्त ने अनमैन गेट को
बंद करना, रेलवे में संरक्षा श्रेणी के कर्मचारियों के खाली पद
भरने, गेट पर
कार्यरत कर्मचारियों को सी रोस्टर में काम करवाना जैसे सुझाव दिए। पर इन्हें रेल
मंत्रालय ने कभी नहीं माना।
अमेरिका में आई हादसों में कमी
उन्नीसवीं सदी में ट्रेन के पटरी से
उतर जाने की घटनाएं आम थीं। पर अमेरिका में 1980 के बाद डिरेलिंग की घटनाओं में कमी आई है। 3000
डिरेलिंग की घटनााएं हुईं 1980 में अमेरिका में जबकि 500 घटनाओं का रिकॉर्ड है 2010 का।
डिरेलिंग के कुछ बड़े मामले
01 मई 2014 : फैजाबाद के पास दून एक्सप्रेस के आठ कोच दोपहर करीब तीन बजे पटरी से उतर
गए
24 अप्रैल 2014 भागलपुर-दिल्ली गरीब रथ का इंजन किउल में पटरी से उतरा
16 अप्रैल 2014 : असम में दीमापुर कामाख्या
एक्सप्रेस से 3 डिब्बे पटरी से उतरे, 50 घायल
08 जनवरी 2014 : राजगीर में श्रमजीवी एक्सप्रेस का इंजन पटरी से उतरा
18 अगस्त 2012 श्रमशक्ति एक्सप्रेस का इंजन आज सुबह कानपुर स्टेशन से पहले जूही यार्ड
में पटरी से उतर गया
13 जुलाई 2012 : भभुआ और दुर्गावती रेलवे स्टेशनों के बीच कोयला लदे एक मालगाड़ी के 26 डिब्बे पटरी से उतर गए
विदेशों में भी हादसे
03 मई 2014 : अमेरिका न्यूयॉर्क में एक हजार
यात्रियों को ले जा रही भूमिगत ट्रेन सुरंग से टकराकर पटरी से उतर गई। जिसमें
दर्जनों लोग घायल हो गए।
13 अप्रैल 2014 चीन के हेलजिंयांग में ट्रेन पटरी से उतरी, 15
घायल।
क्यों होती है डिरेलिंग
- पटरी का जोड़ पर टूट जाना या दरार
आ जाना
- पटरियों के जोड़ पर कमजोर
वेल्डिंग का होना
- ट्रेन घुमाव पर अधिक स्पीड में
चलना
- पटरियों को जोड़ने वाले स्लीपर का
खुला हुआ होना
( vidyutp@gmail.com)
No comments:
Post a Comment