वैसे तो भीमराव आंबेडकर के जीवन
पर कई किताबें लिखी गई हैं। पर क्रिस्तोफ जाफ्रलो द्वारा लिखी गई पुस्तक भीमराव
आंबेडकर – एक जीवन एक शोधपरक पुस्तक है। मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई इस
पुस्तक का हिंदी अनुवाद योगेंद्र दत्त ने किया है।
ये पुस्तक कोरी जीवनी नहीं है।
लेखक ने खास तौर पर बाबा साहेब के जाति उन्मूलन के संघर्ष पर प्रकाश डाला है। उनके
इस पक्ष का अपने तरीके से विश्लेषण किया है। डॉक्टर आंबडेकर हिंदूओं में दलित जाति
से आने वाले पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने पश्चिम के देशों में जाकर उच्च अध्ययन
किया था। पीएचडी करने के बाद उनका व्यक्ति एक महान अर्थशास्त्री के तौर पर उभरा। पर
पश्चिमी देशों में अध्ययन के बावजूद वे अपने जड़ों से जुड़े रहे। देश के दलित समाज
के जीवन में बेहतरी लाने के लिए वे ता उम्र लड़ते रहे। लेखक प्रस्तावना में लिखते
हैं कि पुस्तक पेश करने का आशय कोरी जीवनी लिखने का नहीं है। वे बाबा साहेब के
समाजशास्त्रीय चिंतन को पुस्तक में प्रमुखता से रखते हैं। यह किताब बाबा साहेब के
जीवन का कोई क्रमवार ब्योरा नहीं पेश करती है। पर यह एक पठनीय पुस्तक है।
पुस्तक आंबेडकर के व्यक्तित्व
की व्यवहार कुशलता पर भी प्रकाश डालती है। उनके गांधी जी और अंग्रेजों से रिश्तों
पर भी लेखक ने कलम चलाई है। अंतिम अध्याय उनके सामूहिक धर्मांतरण कर बौद्ध धर्म
अपनाने पर प्रकाश डाला गया है।
तकरीबन 200 पृष्ठों की पुस्तक
एक शोधपरक अध्ययन है। पुस्तक खासतौर पर आंबेडकर द्वारा समतामूलक समाज बनाने के
प्रयासों पर फोकस करती है। लेखक मानते हैं कि भारत में आंबेडकर की लंबे समय तक
सुनियोजित तरीके से उपेक्षा की गई। पाठ्यक्रमों में उनके विचारों को ज्यादा तरजीह
कभी नहीं दी गई। अगस्त 1999 में जाकर इतिहास के पुस्तकों में उनके बारे में दो
पृष्ठ जोड़े गए। यह बदलाव भी देश में दलित आंदोलन के कारण हो सका।
पुस्तक – भीमराव आंबेडकर एक
जीवन
लेखक – क्रिस्तोफ जाफ्रलो
अनुवाद – योगेंद्र दत्त
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन
मूल्य – 650 रुपये ( हार्ड
बाउंड )
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