इस
लॉकडाउन ने जीने का तरीका बदल दिया है। तकनीक
के इस्तेमाल से जहां लोग अपनों से संपर्क की कोशिश में हैं तो कई तरह के आयोजनों
का स्वरूप भी बदल गया है।
मिलना
जुलना काफी कम हो गया है तो लोग व्हाट्सएप कॉलिंग और गूगल डियो से कॉलिंग करके एक
दूसरे को देखने की कोशिश कर रहे हैं। भला हो कि अब इंटरनेट गांव गांव पहुंच गया है
इसलिए यह सब कुछ संभव हो पा रहा है।
स्कूल
कॉलेज की कक्षाएं जूम एप, एमएस टीम पर लगने लगी हैं। लॉकडाउन से ठीक पहले मेरे
बेटे पटना चले गए थे। पर उनके दिल्ली स्थित स्कूल
की कक्षाएं पहले जूम एप लगने लगीं बाद में माइक्रोसाफ्ट के टिम्स पर। कई
कॉलेजों के शिक्षक भी कक्षाएं भी टीम ले रहे हैं। भुवनेश्वर के आकाश
इंस्टीट्यूट कोचिंग में फैकल्टी में कार्यरत वीरेंद्र कुमार वर्मा भी कोचिंग में
फिजिक्स की कक्षाएं रोज ऑनलाइन ले रहे हैं। जीमेल ने भी गूगल मीट नामक एप अपने फीचर में जोड़ा है जिसमें एक साथ ज्यादा लोग लाइव हो सकते हैं।
तो
क्या आने वाले दौर में स्कूल, कॉलेज कोचिंग का स्वरूप बदल जाएगा। हमारे स्कूल
शिक्षक साथी दिग्विजय नाथ सिंह कहते हैं कि कई स्कूलों ने इसके लिए पहले से ही
तैयारी करनी शुरू कर दी थी। मतलब ऑनलाइन कक्षाएं और उसके लिए सक्षम साफ्टवेयर की
तैयारी। तो फिर स्कूलों के विशाल भवन की क्या जरूरत रह जाएगी। छात्र एकलव्य की तरह
शिक्षा लिया करेंगे। कई जगह अभिभावक आंदोलन कर रहे हैं कि जब कक्षाएं नहीं तो
स्कूल इतनी मोटी मोटी फीस क्यों ले रहे हैं। गाजियाबाद के अभिभावक कह रहे हैं कि
स्कूल फीस लेना बंद करें।
शैक्षिक
सेमिनारों की जगह वेबिनार ने ले ली है। अब शिक्षाविद लोग जूम एप पर वेबिनार का
आयोजन कर रहे हैं। हालांकि कई लोग ऐसे वेबिनार के खिलाफ भी हैं।
वैसे
सेमिनार, गोष्ठी या सांस्कृतिक आयोजनों में जाने पर लोगों से जो प्रत्यक्ष संवाद
होता था वह इन वेबिनारों में कहां संभव है। कुछ पुराने लोगों से मुलाकात और कुछ नए
लोगों से दोस्ती के मौके खत्म हो गए हैं। वेबिनार में सिर्फ पुराने मठाधीशों की
चलती है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के आयोजन भी ऑनलाइन होने लगे हैं। रोज मिलने वाले लोग अब आभासी दुनिया में मिलने लगे हैं।
कई
संस्थाओं ने फेसबुक लाइव का चलन शुरू किया है। गायक, संस्कृतिकर्मी और शिक्षाविद
अलग अलग लोकप्रिय पेज पर फेसबुक लाइव कर रहे हैं। इसका फायदा है देशदुनिया के अलग
अलग शहरों के लोग निश्चित समय पर जुड़ कर एक दूसरे को सुनते हैं।
छपरा,
दिल्ली, पटना, बनारस, न्यूयार्क सब एक साथ ये फेसबुक लाइव पर संभव है। यहां
कमेंट्स के माध्यम से दो तरफा संवाद भी संभव हो पाता है। पिछले 21 जून को मुझे
सारण भोजपुरिया समाज के फेसबुक पेज पर बतकही करने का मौका मिला। भोजपुरी में एक
घंटे बोलना था। भोजपुरी क्षेत्र के पर्यटक स्थलों के बारे में। कई सौ लोग जुड़े।
बाद में इस लाइव को हजारों लोगों ने सुना। इतनी रोचकता रही कि समय कम पड़ गया। यह
सब कुछ तकनीक से संभव है।
हिन्दुस्तान
हिंदी दैनिक के मुख्य संपादक शशि शेखर जी पिछले दिनों हम बीएचयू के लोग के फेसबुक
पेज पर लाइव हुए। फिर वे हरि सिंह गौड़ विश्वविद्यालय सागर के छात्रों को फेसबुक
लाइव से संबोधित करते नजर आए। फेसबुक लाइव का फायदा है कि आपको घर से कहीं दूर
जाने की जरूरत नहीं। और देश दुनिया के लोग आपको सुन सकते हैं। रियल टाइम में भी और
बाद में भी। तो यह सब कुछ भविष्य में भी जारी रहने वाला है। लॉकडाउन ने हमें कुछ
नए रास्ते दिखा दिए हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( LOCKDOWN, SEMINAR, WEBINAR, FACEBOOK LIVE, ZOOM APP, MS TEAM )