अभी हाल में सरकार ने
कई ब्लाग साइटों पर अचानक
प्रतिबंध लगा दिया। इसका
ब्लागरों ने जोरदार विरोध किया।
इंटरनेट पर ब्लाग लोगों की
अभिव्यक्ति का बहुत अच्छा
माध्यम बन कर उभरे हैं। इसमें
किसी को भी अपने विचारों को
अभिव्यक्त करने की पूरी आजादी
है। पर साथ ही यह सही है कि
ब्लाग में कई लोग अश्लील संदेशों
का आदान प्रदान करने में
जुटे हैं तो कुछ लोग उग्रवादी
विचारों को लेकर ब्लाग चला रहे
हैं। पर इसका यह समाधान
नहीं हो सकता कि किसी के ब्लाग
पर पूरी तरह रोक लगा दी जाए।
क्या हैं ब्लाग- ब्लाग सब वेब लाग से बना है।
इंटनेट पर आप मुफ्त में अपना
ब्लाग बना सकते हैं। बिल्कुल
किसी न्यूज लेटर की तरह नियमित
तौर पर आप लेख फोटो आदि जारी
कर सकते हैं। कई वेबसाइट
इंटरनेट यूजरों को ब्लाग
बनाने की सुविधा प्रदान करते
हैं। इसके लिए वे कोई शुल्क
नहीं लेते हैं। किसी भी विचार
को ब्लाग पर प्रकाशित करना
बहुत ही आसान प्रक्रिया है। इससे
उन लोगों को बहुत लाभ पहुंचा
है जो किसी खास विचारधारा के
लोग हैं और वे सीमित संख्या
में दुनिया के किसी भी कोने में फैले
हुए हैं। वे ब्लाग पर
अपने संदेशों का आदान प्रदान
करके एक दूसरे के संपर्क में रह
सकते हैं।
मुंबई में बम धमाको के
बाद जब सरकार ने अचानक ब्लाग
साइटों को प्रतिबंधित किया तो
इससे ब्लागरों में बड़ी
तीखी प्रतिक्रिया हुई।
यह सही है कि कई आतंकी
संगठनों ने अपने संदेशों के आदान
प्रदान के लिए इंटरनेट का
सहारा लिया है। वे इंटरनेट पर
कोड लैंग्वेज में संदेशों का
आदान प्रदान करने में लगे हैं।
इन्हें गुप्ततर संगठनों के
लिए डिकोड करके समझना मुश्किल
होता है। इस मामले में पुलिस
डाल-डाल तो आतंकी संगठन पात-पात हैं। यह देखने में
आ रहा है कि कई आईटी के जानकार, वैज्ञानिक और प्रोफेसर भी इन
आतंकी संगठनों की मदद कर रहे हैं।
ऐसे में पुलिस विभाग को
अपना आईटी विभाग और साइबर
क्राइम से जुड़े एक्सपर्ट को
और शोध सुविधाएं प्रदान
करनी चाहिए। अगर आईटी का
इस्तेमाल आतंकी संगठनों द्वारा हो
रहा है तो उसका समाधान अवश्य
ढूंढा जाना चाहिए। पर इसकी एवज
में समान्य इंटरनेट यूजरों को
परेशानी नहीं होनी चाहिए।
मुंबई बम विस्फोट के बाद
कुल 20 ऐसे इंटरनेट साइटों पर प्रतिबंध
की बात उठी थी जो उग्रवादी
विचारों का प्रचार प्रसार
कर रहे हैं। इनमें कुछ ब्लाग
साइटें भी थीं। पर इन साइटों
को नाम पर सैकड़ों ऐसी साइटें
भी कुछ दिनों के लिए ब्लाक
कर दी गईं जिनका आतंकी
संगठनों की गतिविधियों से कोई
लेना-देना नहीं था। इससे उन
लोगों को को बड़ी परेशानी हुई
जो इंटरनेट का इस्तेमाल एक
वैकल्पिक मंच के रुप में कर रहे
थे। इसमें कोई शक नहीं है कि
इंटरनेट अब एक नए वैकल्पिक
मीडिया के रुप में भारत में भी
उभर रहा है अब किसी न किसी रुप
में इंटरनेट का इस्तेमाल करने
वाले लोगों की संख्या करोड़ो
में पहुंच रही है। इंटरनेट पर
जो ब्लाग बन रहे हैं वे धर्म, भाषा, जाति, विचारधारा को लेकर हैं।
जैसे तमिलनाडु की किसी
खास जाति के लोगों ने अपना
मंच बना लिया और दुनिया भर में
फैले लोग एक दूसरे से संवाद
बनाने में लगे हैं। शाकाहारियों
ने अपना एक मंच बना लिया है।
इसी तरह हिंदी भाषा में कविता, कहानी, व्यंग्य और संस्मरण लिखने
वालों के दर्जनों
ब्लाग हैं। अगर कोई
संपादक आपका लेख नहीं
छापता है। संपादक
के नाम पत्र में
आपकी चिट्ठी नहीं छपती है तो
आपके पास अपना ब्लाग बनाकर अपने
विचार दुनिया भर में लोगों के
साथ साझा करने का विकल्प मौजूद
है। इसलिए सरकार को इस माध्यम
पर रोक नहीं लगानी चाहिए।
- Vidyut Prakash Maurya
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