Monday 29 June 2009

आखिर हम क्यों दे रिश्वत..

हमारे समाज के हर तबके का आदमी टैक्स चुकाता है। चाहे वह रिक्सावाला होचायवाला हो या खोमचे वाला। आप जो भी छोटी मोटी खरीददारी करतेहैं उसमें सरकार को दिया जाने वाले टैक्स शामिल होता है। यह टैक्स सेल्स टैक्सएक्साइज ड्यूटी या सर्विस टैक्स के रुप में हो सकता है। ऐसे में हमें यह जानने का पूरा हक है कि हमारा यह पैसा कहां इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही हमें चाहिए कि हम रोजाना के काम काज में सरकारी दफ्तरों में छोटे-मोटे काम काज के लिए भी रिश्वत नहीं दें। अगर सरकारी स्कूल में शिक्षक पढ़ाने नहीं आतेबिजली कर्मचारी समय पर बिजली ठीक करने नहीं आता तो हमें चाहिए कि हम इसके लिए भी जांच पड़ताल करें। ऐसे ही सवाल अरविंद केजरीवाल के जेहन में आए। उन्होंने क्लास वन की सरकारी नौकरी से छुट्टी ले ली और एक संस्था परिवर्तन का गठन किया। लोग मानते हैं कि दिल्ली में समाजसेवा करने की गुंजाइस नहीं है। पर उनकी संस्था पूर्वी दिल्ली के निम्न मध्यमवर्गीय इलाके से संचालित होती है। उनके कार्यों का सम्मान देते हुए उन्हें सन 2006 के लिए रामन मैग्सेसे अवार्ड के लिए चुना गया है।

अरविंद केजरीवाल को मैग्सेसे अवार्ड

अरविंद केजरीवाल उस व्यक्ति का नाम है जिसने समाज में फैले छोटे छोटे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद भारत सरकार में लोक सेवक की ग्लैमरस नौकरी से छुट्टी ले रखी है। इन दिनों दिल्ली के निम्न मध्यमवर्गीय इलाके में अपनी संस्था परिवर्तन चला रहे हैं। उनके द्वारा किए गए कार्यों को महत्व प्रदान करते हुए उन्हें 2006 के मैग्सेसे अवार्ड के लिए चुना गया है। अरविंद केजरीवाल ने समाज सेवा के लिए कोई क्रांतिकारी रास्ता नहीं चुना बल्कि सरकारी नियम कानून के ही लोगों को सही इस्तेमाल करने की तरकीब सुझाई जिसे भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हथियार के रुप में इस्तेमाल किया है।
आरटीआई मंच
लोगों को सूचना के अधिकार के बारे में सही जानकारी देने के लिए और उसका कारगार इस्तेमाल करने के लिए उन्होने फरवरी 2004 में दिल्ली आरटीआई (राइट टू इन्फारमेशन) मंच का गठन किया। यह मंच समय समय पर लोगों को सूचना के अधिकार के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाता है। साथ ही मीटिंग और सेमिनार का आयोजन करता है।
यह शायद बहुत मुश्किल काम हो कि भारत के किसी राज्य के सरकारी दफ्तर में आपका कोई काम बिना रिश्वत दिए नियत समय पर हो जाए। इसके पीछे बहुत बड़ा कारण यह भी है कि हम कई तरह के नियमों से अनजान हैं। चाहे राशन कार्ड बनवाना हो, बिजली का नया कनेक्शन लेना हो, ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट बनवाना हो। ये काम बिना रिश्वत दिए हो सकते हैं। बस आपको अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए। कई सरकारी विभागों में हर काम के लिए एक नियत समय तय किया हुआ है। अगर उतने दिन में आपका काम नहीं होता है तो आप सूचना अधिकार के तहत शिकायत कर सकते हैं। आखिर आप किसी सरकारी कर्मचारी को रिश्वत क्यों दें जबकि वह अपने काम के लिए सरकार की ओर से अच्छी तनख्वाह पाता है। यह तनख्वाह उसको आपके द्वारा दिए गए टैक्स से ही मिलती है।
 क्या करें अगर काम न हो

किसी सरकारी दफ्तर में आपका कोई काम लंबित हो तो आपको क्या करना चाहिए। इसका सीधा सा उपाय है आप रिश्वत देने को ना कहें और अपने काम के लिए सूचना के अधिकार के तहत शिकायत करें। इसके लिए आपको आरटीआई एक्ट के बारे में पता होना चाहिए जो हर राज्य में लागू है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की संस्था परिवर्तन अब तक सूचना के अधिकार के तहत 200 से ज्यादा लोगों को न्याय दिलवा चुकी है। रिश्वत दिए बगैर ही बिजली का कनेक्शन मिला है। खराब मीटर बदले गए हैं वहीं गलत बिल का सुधार भी किया गया है। उनकी संस्था ने न सिर्फ झुग्गी झोपड़ी वाले इलाके बल्कि दिल्ली के पाश इलाके ईस्ट आफ कैलाश के रहने वाले लोगों के लिए भी उनके अधिकारों लड़ाई लड़ी है।

अगर किसी मुहल्ले में सफाई कर्मचारी नहीं आता है तो आपके उसके उपस्थिति रजिस्टर की चेकिंग करवा सकते हैं। आप अपने इलाके के एमएलए से मांग कर सकते हैं कि एमएलए फंड से आपके मुहल्ले की भी सड़क बननी चाहिए। अगर आपका एमएलए झूठे वादे करता है तो आप उसकी भी चेकिंग करवा सकते हैं। अरविंद केजरीवाल की संस्था ने दिल्ली में ऐसे कई मामलों में मुहल्ले के लोगों के लिए लड़ाई लड़ी है। इसमें उन्हें बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से काम करते हुए सफलता मिली है।
गुप्ता को मिला बिजली कनेक्शन
दिल्ली में रहने वाले अशोक गुप्ता ने 3 फरवरी 2001 को अपने नए मकान के लिए बिजली के कनेक्शन के लिए आवेदन किया। उनसे विभाग में रिश्वत मांगी गई। नहीं देने पर उनका बिजली का कनेक्शन नहीं लगा। उन्होने फरवरी 2002 में सूचना के अधिकार के तहत शिकायत कर दिया। इसके एक महीने बाद ही उनका कनेक्शन लग गया। दरअसल बिजली विभाग में नियम है कि कोई भी नया कनेक्शन 30 दिनों के अंदर लग जाना चाहिए। इसी तरह टेलीफोन ट्रांसफर व कई अन्य कार्यों को लेकर भी समयअवधि के नियम बनाए गए हैं। जिन्हें पता करके आप शिकायत कर सकते हैं।
खुद तय करें अपनी किस्मत
कहा जाता है कि समय बलवान होता है वह हर किसी की किस्मत तय करता है। पर परिवर्तन संस्था का मोटो वाक्य है कि हम खुद अपनी किस्मत तय कर सकते हैं सूचना के अधिकार का सही प्रयोग करके। हां इसके लिए आपको भी ईमानदार और सही स्थान पर होना पड़ेगा। आप सरकार से मांग कर सकते हैं कि हमारा पैसा तो हमारा हिसाब। यानी अगर हमने टैक्स दिया है तो हमें यह जानने का हक भी है कि पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है।
अरविंद केजरीवाल के काम देश भर के अलग अलग इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए एक मिसाल की तरह है। उनसे आप प्रेरणा ले सकते हैं और शांतिपूर्ण ढंग से कहीं भी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांग सकते हैं। अब हर राज्य में सूचना आयुक्तों की भी बहाली कर दी गई है।
इसलिए आगे जब आपसे छोटेमोटे कामों के लिए कोई सरकारी मुलाजिम रिश्वत मांगे तो आप एक बार अपने अधिकारों प्रयोग जरूर करें। याद रखें कि किसी को रिश्वत देकर आप सरकारी कर्मचारी को भ्रष्ट बनाने में योगदान करते हैं।
-माधवी रंजना 
 ( यह लेख 2006 में समाचार पत्रों के लिए लिखा गया था। ) 



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