भला किसी को किसी के
साथ रहने के से कौन रोक सकता
है। अमृतसर में ऐसे दो मामले
सामने आ चुके हैं जब दो लड़कियों
ने आपस में शादी रचा ली। इसी
तरह का एक मामला हाल के दिनों
में मेरठ में सामने आया है।
इस बारे में देश के कानून भी
मौन हैं। वास्तव में दो लोगों के
साथ साथ रहने को लेकर कोई कानून
बनाना भी मुश्किल काम है।
किसी को अगर किसी का साथ अच्छा
लगता है तो इसमें भला कानून कर
भी क्या सकता है। मेरठ में
ऐसे सह जीवन (इसे विवाह तो कह नहीं
सकते) के खिलाफ वहां की कुछ सामाजिक
संस्थाओं ने विरोध प्रदर्शन भी
किया। बकौल कुछ समाज सेवक यह
सब कुछ ठीक नहीं है। पर यह
किसी की अभिव्यक्ति या जीवन जीने के पद्धति की आजादी छीनने जैसा नहीं है। किन्ही दो लोगों का जीवन जब तक समाज को प्रभावित नहीं कर रहा हो तब तक समाज के लोगों को इस पर छींटाकशी करने या विरोध करने का कोई मतलब
नहीं होना चाहिए। देश में ऐसे
मामले तो हमेशा से सामने आते
रहे हैं जब दो पुरूष साथ
साथ रहते हों। जब दो पुरूष साथ
रहते हों तो आमतौर पर लोगों को
यह शक भी नहीं होता है कि
उनके बीच कोई शारीरिक संबंध भी
हो सकता है। पर जब दो लड़कियां
साथ रहने की सार्वजनिक तौर
पर घोषणा करती हैं तो बवाल
मचता है। हो सकता है दो
स्त्रियों में भी
भावनात्मक संबंध
इतना मजबूत हो कि वे साथ साथ
रहना चाहती हों। अभी हाल में
हरियाणा के एक जिले में भी ननद
भौजाई ने साथ साथ रहने की
घोषणा कर डाली।
हमें यह मान कर चलना
चाहिए कोई भी समाज हो वहां कुछ
अनकनवेंशनल रिश्ते हो सकते
हैं। ऐसा हमेशा से होता आया है। जब
तक ऐसे रिश्ते दूसरों को
हानि न पहुंचाते हों, हाय तौबा मचाने का क्या
फायदा। कोई अपने बाथरूम में कपड़े
पहन कर नहाता हो या नंगा होकर
क्या फर्क पड़ता है। जब वह
सड़क पर नंगा नहाने लगे तो आप
उसे पत्थर जरूर मारिए। कहिए
कि ऐसा मत करो हमारे बच्चों
पर बुरा असर पड़ रहा है।
कई ऐसे लोग साथ-साथ रहने का फैसला कर
लेते हैं जिनके बीच उम्र का
बहुत बड़ा अंतर होता है। ऐसे
संबंधों पर कुछ टीवी
कार्यक्रम भी बने
हैं। केस स्टडी भी
की गई है। पर ऐसे मामलों तो
तूल देना हवा देना प्रचारित करना
शायद गलत होगा। पर अगर किसी
भी उम्र, जाति अथवा लिंग के लोगों को
अगर साथ अच्छा लगता हो तो लगने
दीजिए। उसपर समाज की ढेर सारी
बंदिशें मत लगाइए। न उम्र की सीमा हो
न जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे
केवल मन। यह मन माने की बात है
भाई। किसी शायर ने लिखा है- आंसूओं से धुली खुशी की तरह
रिश्ते होते हैं शायरी की तरह।
- विद्यत प्रकाश
मौर्य
No comments:
Post a Comment