Wednesday, 9 April 2008

भोजपुरी पत्रकारिता का दौर

मेरे कई साथियों ने यह जानना चाहा है कि 12 साल तक हिंदी पत्रकारिता करने के बाद भोजपुरी में क्यों..क्या मैं मेनस्ट्रीम से अलग हो रहा हूं..मैं उन दोस्तों को बता दूं कि कुछ भी मेन स्ट्रीम से अलग नहीं है....पत्रकारिता में हमेशा नए प्रयोग होते रहते हैं.....कुछ दशक पहले किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि डाट काम पत्रकारिता एक विधा हो सकती है। पर आज वेब पत्रकारिता फलफूल रही है। और कुछ सालों बाद यह टीवी और अखबार के समानांतर खड़ी हो जाएगी..आज लोग अपडेट खबरों के लिए बीबीसी हिंदी, जोस 18, जागरण डाट काम देखते हैं। हाल में एनडीटीवी खबर डाट काम भी हिंदी मे नया पोर्टल शुरू हुआ है....जब वेब दुनिया ने इस क्षेत्र में पहल की थी तब लोगों की कई तरह की शंकाएं थी...वेब दुनिया को कई शहरों के आनलाइन पोर्टल शुरू करने में सफलता नहीं मिल पाई थी.. पर वेब दुनिया का सपना आज फलफूल रहा है....

मैंने अपनी पत्रकारिता जीवन के कई साल पंजाब में गुजारे...पांच साल पंजाब में रहने के बाद हमने देखा वहां पंजाबी चैनल को फलते फूलते हुए...पूरी दुनिया में दो करोड़ पंजाबी बोलने वाले भाई हैं...पर पांच पंजाबी चैनलों ने सफलता पूर्वक जगह बना ली...पर 19 करोड़ भोजपुरी बोलने वालों का अपना कोई चैनल नहीं हैं...अगर आप किसी ऐसे शहर मे रहते हैं जहां भोजपुरी बोलने वाले गिने चुने लोग हैं तो आप अपना मनोरंजन कैसे करेंगे....


कई सालों में कई लोगों ने सपना देखा योजनाएं बनाई ...पर अब जाकर इन सपनों को पंख लगना शुरू हुआ है.. अब कई योजनाएं जमीनी हकीकत बनने वाली हैं....ऐसे भोजपुरी चैनल का सपना साकार होने वाला है...जहां खबरें भी होंगी, गाने भी होंगे...फिल्में भी होंगी...हंसी ठिठोली भी होगी....भोजपुरी माटी की सोंधी-सोंधी खुशबू होगी...यह एक नए युग के शुरूआत जैसा ही तो है...इस शुरूआत में मैं भी सहभागी बन रहा हूं तो यह मेरा सौभाग्य है...कि मुझे अनपी मां बोली की सेवा करने का एक मौका मिला है....
अगर कोई पंजाबी का पत्रकार हिंदी या अंग्रेजी में भी लिखता है तो उसकी योग्यता दुगुनी हो जाती है क्योंकि वह बाई लिंगुवल जर्नलिस्ट माना जाता है...ठीक इसी तरह मैं या मेरे साथी अगर हिंदी के साथ भोजपुरी भी उतनी अच्छी लिखते पढ़ते हैं तो इससे उनकी प्रतिभा में कुछ एडीशन ही होता है न कि कुछ कमी आती है....


मैंने अपने कैरियर मे चुनावी सर्वेक्षण का काम भी किया...एक्जिट पोल और ओपिनियन पोल भी कराए....लिखते हुए हिंदी केबल टीवी, मीडिया और बाजार के विभिन्न विषयों पर कलम चलाई है...तो ये डाइवर्सिफिकेशन का दौर है....कई बड़े पत्रकार भोजपुरी की ओर रुख कर रहे हैं...यह भोजपुरी के लिए बड़े अच्छे संकेत हैं... हिंदी पत्रकारिता में बड़ी संख्या में भोजपुरी पृष्ठभूमि के लोग हैं....वे भी इसे सकारात्मक दृष्टि से देख रहे हैं....तो आइए कुछ नई चीजों के स्वागत के लिए तैयार हो जाएं..... 


( लंबी तैयारी के बाद महुआ चैनल 11 अगस्त 2008 से प्रसारित होना आरंभ हुआ। ) 

-विद्युत प्रकाश मौर्य,
vidyutp@gmail.com

3 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

सही है. शुभकामनाएं.

Vidyut Prakash Maurya said...

इष्ट देव जी, सही ठहराव खातिर राउर धन्यवाद.....

Bollywood Talk said...

Very Nice.