Thursday, 6 March 2014

सावधान रहे चिटफंट कंपनियों के जाल से

तमाम नान बैंकिंग कंपनियों में अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई निवेश करने से पहले सावधान रहें। ज्यादातर जनता अधिक ब्याज के लोभ में ऐसी कंपनियों के बहकावे में आ जाती है। हमें आर्थिक मामलों में सावधान रहने की जरूरत है। खून पसीने की कमाई सरकारी बैंक की सुरक्षित योजनाओं में ही लगाना चाहिए। आपके पास अगर मेहनत और इमानदारी से कमाया धन है तो कभी किसी चिट फंड, पोंजी स्कीम, निजी नान बैंकिग संस्थाओं में न लगाएं।

वास्तव में ऐसी कंपनियां कोई वास्तविक उत्पादन नहीं करती हैं। बल्कि जनता से उगाहे गए धन से ही ब्याज देती हैं, अपने कर्मचारियों को वेतन देती हैं और इसके उच्चाधिकारी एय्याशी भरा जीवन जीते हैं। कोई भी बैंक आपके जमा रुपये पर तभी ब्याज दे पाता है जब वह उससे ज्यादा कमाता है। बैंक लोगों को सावधि जमा पर जो ब्याज देते हैं, उससे ज्यादा दर पर लोगों को कर्ज देते हैं। यही उनकी कमाई का जरिया होता है। पर नान बैंकिंग कंपनियों का अर्थशास्त्र ऐसा नहीं होता। वे पुराने निवेशक को मैच्यूरिटी पर पैसा नए निवेशक के जमा धन में से देती रहती हैं। इसमें लोगों का ही पैसा रोटेट होता रहता है। कहीं उत्पादन नहीं होता। कंपनी की कमाई के ठोस साधन नहीं होने के कारण एक दिन कंपनी तबाह हो जाती है। कुछ दशक या कुछ साल मेंजब  ऐसी कंपनियों सच सामने आता है। तब तक लाखों निवेशक तबाह होने लगते हैं। आपने हाल में 2013 में बंगाल में शारदा समूह का बड़ा घोटाला तो देखा ही है जिसमें बड़ी संख्या में गरीब जनता का धन डूब गया। सहारा के मामले में भी बस थोडा इंतजार करें पता चलेगा कि निवेशक किस बुरी तरह ठगे गए हैं।
रही बात रोजगार की तो तमाम ठगी का धंधा करने वाली कंपनियां भी रोजगार देती हैं। इससे वे पवित्र नही हो जाती। सहारा समूह ने लोगों से प्राप्त धन को ज्यादातर घाटे के उपकर्मों में लगाया है। अब घडा फूटने का वक्त आ गया है। त्राहि माम के लिए तैयार रहे। निवेशकों दीवाली काली होगी ये तय है।
हमने 1999 के बाद जेवीजी और कुबेर जैसी कंपनियों को बर्बाद होते देखा है। इसके बाद उत्तर भारत की कई दर्जन छोटी बड़ी कंपनियां माचिस के डिब्बे की तरह भरभरा कर गिरने लगीं। कई कंपनियों के मालिक लंबे समय तक जेल में रहे। लेकिन निवेशकों को उनकी जमा राशि का मूल धन भी नहीं मिल सका। क्योंकि इन कंपनियों के पास लोगों जमा धन के बराबर संपदा नहीं थी। वे जनता के पैसे से मौज कर काफी रुपया पहले ही बर्बाद कर चुके थे।
सहारा की घटना के बादएक बार फिर ऐसे ही दौर की आहट सुनाई द रही है। इसी तरह की तमाम कंपनियों में निवेश करने वालों को सावधान हो जाना चाहिए और अपनी धन राशि को कहीं सुरक्षित जगह निवेश करना चाहिए।
-    विद्युत प्रकाश मौर्य


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