Tuesday, 11 March 2014

मोदी के लिए आसान नहीं लालकिले की राह

नरेंद्र मोदी के लिए लालकिला की राह आसान नहीं दिखाई देती। मोदी का विजय रथ रोकने के लिए पार्टी के अंदर भी कई लोग लगे हैं ऐसा प्रतीत होता है। भाजपा अब तक तीन सूची जारी कर चुकी है लेकिन नरेंद्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सरीखे नेताओं की सीटें तय नहीं कर पाई है। पार्टी से बाहर ही नहीं पार्टी के अंदर भी नरेंद्र मोदी को बुजुर्ग नेताओं से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

नरेंद्र मोदी के वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। पर 2009 में वाराणसी सीट से जीते भाजपा के मुरली मनोहर जोशी के वाराणसी के चौक चौराहों पर पोस्टर लगे हैं जिनका आशय ये है कि काशी विश्वनाथ भी इस बार मुरली मनोहर जोशी का साथ देंगे। भला इतने आत्मविश्वास के साथ पोस्टर कौन लगवा सकता है। और कोई नेता नाम जारी होने से पहले ऐसे पोस्टर लगवाए तो पार्टी उसके ऊपर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती थी। पर ये दिग्गजों के बीच बंद कमरे में असंतोष जैसी स्थिति है।
भाजपा के सबसे बुजुर्ग और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने साफ कर दिया है कि वे रिटायर नहीं हुए हैं और लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वे गांधीनगर से 2009 में जीते थे। फिर वहीं से लड़ना चाहते हैं। पार्टी की पहली सूची में उनका नाम नहीं आया। इसका दर्द गांधी नगर में उनके चेहरे पर छलक आया था। उन्होंने पार्टी की स्थानीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद अपनी मंशा मीडिया में जाहिर कर दी। आडवाणी ने कहा था, पार्टी ने पहली सूची जारी कर दी है उसमें मेरा नाम नहीं है। मैं यहां बैठक में आया हूं इससे साफ है कि मैं चुनाव लड़ना चाहता हूं। जाहिर है पार्टी में बुजुर्ग अनुभवी और वरिष्ठ जनों की जिस तरह उपेक्षा हो रही है वह पार्टी के भविष्य के लिए अहितकर है। अगर पार्टी 80 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का कोई नियम बनाना चाहती है तो वह आडवाणी, जोशी और कल्याण सिहं सबके ऊपर लागू करे।
-    विद्युत प्रकाश मौर्य  


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