दिल्ली में
एक है प्रगति मैदान। प्रगति मैदान यानी देश भर की प्रगति का आइना। हिंदुस्तान ने
कितनी प्रगति की है इसे यहां आकर बखूबी देखा और समझा जा सकता है। मजे की बात ये है
कि अगर आप पूरे देश में घूमे तो हो सकता है आपको सिर्फ पिछड़ापन ही नजर आए. हो
सकता है आपको जनता की गरीबी और भूख नजर आए लेकिन प्रगति मैदान में ये सब कुछ दिखाई
नहीं देगा. यहां तो दिखाई देती है देश सपनीली तरक्की...
किसी स्लिम
सेंटर अथवा गारमेंट शाप पर मिनी स्कर्ट में आसमां उतर आई किसी परी के दर्शन हो
सकते हैं, जो अपने थोड़े से कपड़ों को भी बोझ समझती हो। इन
सबसे आगे बढ़ें तो खुशबू का बाजार नजर आएगा। यानी इत्र की तरह तरह की दुकानें...और
इन दुकानों पर आपका स्वागत करती नजर आएंगी इत्र बालाएं.....यानी कि दर्जनों खुशबू
बिखेरती लड़कियां। जो बेजार हैं आपके शरीर पर अपने कोमल हाथों से परफ्यूम छिड़कने
के लिए। बेशक आप इत्र न खरीदें लेकिन इन इत्र बालाओं से अपने हाथों पर मुफ्त में
इत्र लगवाना न भूलें। अगर आपके साथ आपकी पत्नी न हो तो बेशक आप इन इत्र बालाओं से
थोड़ी देर प्रेमालाप भी कर सकते हैं।
अब आप इतने
बेशर्म तो होंगे नहीं कि इतनी बार अपने हाथों पर इत्र का स्पर्श सुख लेने और प्यार
भरे बोल के बाद इत्र की एक बोतल भी न खरीदें। भले ही चीजें बाजार से महंगी दरों पर
ही क्यों न बिक रही हों. इसलिए देश की चहुंमुखी प्रगति का मुआयना करना होतो प्रगति
मैदान अवश्य पधारें, बस अपनी पत्नी या प्रेमिका को साथ लेकर नहीं आएं।
-विद्युत प्रकाश मौर्य
- ( सौ. कुबेर टाइम्स , 29 नव, 1996 )
1 comment:
कम्बख़त पेट के लिए क्या- क्या नहीं करना पड़ता है.. बहुत बढ़िया … .
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