Saturday, 19 May 2018

येदियुरप्पा - दूसरे सबसे कम दिन के मुख्यमंत्री

कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को तीसरे दिन ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस तरह येदियुरप्पा के नाम दूसरे सबसे छोटे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड जुड़ गया है। सबसे छोटे कार्यकाल वाले सीएम का रिकॉर्ड जगदंबिका पाल के नाम है। इससे पहले कर्नाटक में ही यही बी एस येदियुरप्पा 12 नवंबर 2007 से 19 नवंबर 2007 तक सात दिन के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। कई राज्यों में पहले भी ऐसा हुआ है जब मुख्यमंत्रियों को समर्थन के अभाव में कुछ दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ा।

जगदंबिका पाल - 1 दिन
सबसे कम दिन के लिए मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड यूपी के नेता जगदंबिका पाल का है। 21 फरवरी 1998 को राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर जगदंबिका पाल को सीएम की शपथ दिलाई थीलेकिन अगले ही दिन गवर्नर के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने गवर्नर का आदेश बदल दिया।

सतीश प्रसाद सिंह - 5 दिन
सतीश प्रसाद सिंह बिहार में 28 जनवरी 1968 में मुख्यमंत्री बने थेलेकिन उन्हें 5दिन के बाद ही यानी 1 फरवरी को इस्तीफा देना पड़ा था। वे बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे जो पिछड़ी जाति से आते थे।

ओम प्रकाश चौटाला ( 5 दिन, 16 दिन )
हरियाणा में ओम प्रकाश चौटाला के दो कार्यकाल अत्यंत छोटे रहे। वे 1990 में महज पांच दिन (12 जुलाई से 17 जुलाई)और एक बार फिर 1991 में ( 22 मार्च से 6अप्रैल ) 16 दिनों के लिए मुख्यमंत्री रह पाए थे।

नीतीश कुमार - 8 दिन
सन 2000 में 3 मार्च को बिहार में समता पार्टी से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। पर पर्याप्त अंक संख्या नहीं होने के कारण उन्हें 10 मार्च को ही इस्तीफा देना पड़ा। अपने पहले कार्यकाल में नीतीश महज 8 दिन ही मुख्यमंत्री रह सके।

शिबू सोरेन - 10 दिन
मार्च, 2005 को झारखंड में झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन ने अल्पमत में होते हुए भी मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या नहीं जुगाड़ कर पाने पर शक्ति परीक्षण से पहले ही 12 मार्च को शिबू सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा।

एससी मारक - 12 दिन
पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय में कांग्रेस के नेता एससी मारक को भी अपने दूसरे कार्यकाल में सिर्फ 12 दिन यानी 27 फरवरी 1998 से 10 मार्च 1998 के लिए मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था। 

केंद्र में 13 दिन के प्रधानमंत्री
1996 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा देश की अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनी। लेकिन अंकों के लिहाज से बहुमत से पीछे रह गई। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने विश्वास मत पेश करते हुए अपने भाषण के आखिर में अपने इस्तीफे का एलान किया था। वाजपेयी 16 मई 1996 को प्रधानमंत्री बने और 28 मई 1996 को 13 दिनों बाद उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया।



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