दीपिका सिंह राजावत वह
साहसी वकील हैं जो कठुआ की रेप पीड़ित बालिका का मुकदमा लड रही हैं। वे कश्मीर में
गरीब और जरूरतमंदों की आवाज बनकर उभरी हैं।
मूल रूप से कुपवाड़ा
जिले के कारीहामा गांव की रहने वाली 38 साल की दीपिका थुसू की शादी राजस्थानी
राजावत परिवार में हुई है। उन्होंने नेशनल लॉ यूनीवर्सिटी जोधपुर से 2008 में
एलएलबी की पढ़ाई पूरी की । दीपिकामानवाधिकारों के लिए भी काम
करती हैं। उनके पति सेना में रह चुके हैं। उनकी एक पांच साल की बेटी भी है।
खुद लिया केस
दीपिका ने बताया कि
पीड़ित लड़की के माता-पिता बहुत गरीब हैं। इसलिए मैंने उनके माता-पिता से संपर्क
किया, और यह केस खुद लड़ने के
लिए लिया।
जरूरतमंदों की आवाज
बनीं
दीपिका एक एनजीओ वायस फॉर राइट्स चलाती
हैं। वह इस एनजीओ कीचेयरपर्सन हैं। यह एनजीओ जरूरतमंद बच्चों और महिला
अधिकारों के लिए काम करता है। जम्मू कश्मीर में ऐसे लोगों के लिए एनजीओ ने एक टोल
फ्री नंबर भी जारी किया है। दीपिका बच्चों के लिए काम करने वाले संगठन क्राई और
चरखा फाउंडेशन से भी जुड़ी रही हैं।
बारुदी सुरंग में घायल
बच्चों को मुआवजा दिलवाया
दीपिका ने साल 2012 में एक जनहित याचिका दायर कर कोर्ट से ये मांग की थी कि वे ऐसे बारूदी
सुरंग के हमलों में घायल बच्चों की गिनती करवाए और उन्हें पर्याप्त मुआवजा दे। इस
पीआईएल की वजह से बारूदी सुरंग से घायल होने वाले बच्चों को दो-दो लाख रुपये की
सहायता मिल रही है।
इंदिरा जय सिंह के साथ
काम किया
दीपिका को 2014-15 में महिला अधिकारों पर काम करने के लिए चुना गया था। इस दौरान उन्होंने
भारत की पूर्व अडिशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह के साथ काम किया। दीपिका कहती हैं – मुझे
हिंदू और राष्ट्रवादी होने पर गर्व है। पर जब हम वकील का गाउन पहनते हैं तो हमारा
लक्ष्य जाति धर्म से ऊपर उठकर सुविधाविहीन लोगों को न्याय दिलाना होना चाहिए।
बार एसोसिएशन की नाराजगी झेली
2012 में दीपिका एक 12 साल
की कामवाली के लापता होने का केस लड़ रही थी, तब उन्हें
वकीलों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। तब उनकी जम्मू बार
एसोसिएशन की सदस्यता खत्म कर दी
गई थी।
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