आप कोई नौकरी कर रहे हैं। इसके साथ ही
आपको इससे मिलती जुलती डिग्री भी मिल जाए तो आपके लिए तो सोने में सुहागा जैसी बात
हो सकती है। सोनिया ने इतिहास जैसे विषय में बीए करने के बाद काल सेंटर में नौकरी
करने का निर्णय लिया तो उसके पापा को यह बात नागवार गुजरी। पर दो साल की नौकरी के
बाद उसके पास मैनजमेंट का डिप्लोमा था और अब वह बाजार में बेहतर बारगेन करने की
हालात में थी। यानी काल सेंटर की नौकरी के साथ उसने ठीकठाक रुपया तो कमाया ही इसके
साथ ही वह दो साल में अपने फील्ड में एक और डिग्री ले चुकी थी। इसके कारण वह किसी अन्य
संस्थान में इससे बड़ी नौकरी प्राप्त कर सकती है।
सीमा ने बीए करने के बाद एक स्कूल में
शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर ली। पर जल्द ही उसे लग गया कि शिक्षक की नौकरी में आगे
बढ़ने के लिए डिग्री जरूरी है। उसने पढ़ाने के साथ ही एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग
) का कोर्स किया। जब दो साल गुजर गए तब उसे पता चला कि वह अपने
अनुभव के आधार पर प्राइवेट से बीएड भी कर सकती है। अब उसने अगले दो साल में बीएड
कर लिया। इसके बाद अपने ही स्कूल के सीनियर विंग में वह शिक्षिका हो गई। नौकरी में
उसे बेहतर प्रोमोशन मिला। साथ ही उसे बेरोजगारी का मुंह भी नहीं देखना पड़ा। इसी
तरह हर प्रोफेशन में मिलती जुलती डिग्री प्राप्त की जा सकती है। बशर्ते आपके अंदर आगे
पढ़ते रहने का हौसला होना चाहिए।
खास कर कई प्रतिष्ठित काल सेंटर में
नौकरी के साथ डेस्कटाप पर ही एमबीए करने की सुविधा प्रदान की जा रही है। इसमें आप
उचित फीस चुका कर नौकरी बाद कुछ समय देकर प्रबंधन में डिप्लोमा कर सकते हैं। एमबीए
की डिग्री हासिल कर सकते हैं। कई काल सेंटरों में काम करने वाले युवा इस सुविधा का
लाभ उठा रहे हैं। कई उच्च पदों पर आसीन लोगों के कैरियर रिकार्ड का अगर आप
सूक्ष्मता से अध्ययन करें तो पाएंगे कि उन्होंने एक छोटी सी नौकरी से शुरुआत की।
पर नौकरी के साथ पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखे
और इसका उन्हें लाभ मिला।
सिर्फ छोटी -मोटी नौकरियों में ही
नहीं बल्कि आईएएस उत्तीर्ण करने वाले लोग भी अपनी नौकरी के साथ पढ़ाई करते हैं।
इनमें से कई लोग तो स्टडी लीव लेकर पढ़ाई करने भी जाते हैं। खास कर जो लोग शिक्षा
के क्षेत्र में हैं उन्हें पढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। पढ़ते रहना उनके कैरियर
एडवांसमेंट का हिस्सा होता है। वहीं वे अपने छात्रों को बेहतर ज्ञान दे सकते हैं अगर
वे अपने विषय में लगातार अध्ययन जारी रखते हैं। जैसे कोई व्यक्ति एमए पास करके
किसी कालेज में लेक्चरर के रुप में नौकरी प्राप्त कर लेता है। अगर वह आगे पीएचडी
कर ले और कुछ शोध पत्र लिखे तभी वह रीडर और प्रोफेसर आदि के लिए पात्र बन सकता है।
अब तो प्रिंसिपल बनने के लिए सिर्फ अनुभव ही नहीं बल्कि पीएचडी ती डिग्री अनिवार्य
कर दी गई है। ठीक इसी तरह दूसरे पेशे के लोगों को भी अपनी पेशेगत पढ़ाई जारी रखनी
चाहिए। जैसे अगर कोई बैंक में है तो इंडियन इंस्टीट्यूट आफ बैंकर्स से सीएआईआईबी
का पाठ्यक्रम कर सकता है। इससे उसे अपने विभाग में इन्क्रीमेंट का लाभ मिलता है।
यह किसी व्यक्ति की क्षमता पर निर्भर करता है कि वह अपनी पढ़ाई को लेकर कितना
जागरुक है।
-विद्युत प्रकाश
No comments:
Post a Comment