वह दिन अब दूर नहीं जबकि इंटरनेट आम लोगों के बीच लोकप्रिय होता हुआ दिखाई देगा। कुछ साल पहले जब भारत में इंटरनेट आया तब तेजी से वेबसाइटों का पंजीकरण होने लगा, मीडिया सहित अलग अलग क्षेत्रों में कारोबार होने लगा। पर जल्द ही यह इंटनेट बूम टांय टायं फिस्स हो गया। इसका प्रमुख कारण यह था कि इंटरनेट तब देश में ज्यादा लोगों की पहुंच में नहीं था इसलिए इस माध्यम से संदेश भेजने वाले लोगों को ज्यादा सफलता नहीं मिली। पर अब स्थितियां तेजी से बदल रही हैं। अब देश में कंप्यूटरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है वहीं इंटरनेट के वेबसाइटों की लोकप्रियता में भी इजाफा हो रहा है। अब गली गली में इंटरनेट ढाबा और साइबर कैफे खुल गए हैं। कई चीजों के लिए तो इंटरनेट की वेबसाइटें सबसे लोकप्रिय माध्यम साबित हो रही हैं। अब किसी भी परीक्षा का रिजल्ट जारी करना हो तो इंटरनेट सबसे मुफीद साधन है। क्योंकि किसी भी माध्यम से लाखों लोगों के रिजल्ट छाप कर भेजना संभव नहीं है।
अखबार में छपवाना महंगा सौदा है वहीं गजट छाप कर हर जिले में भेजने में भी लंबा समय और खर्च लग जाता है। वहीं कुछ रुपए खर्च करके अब लोग कहीं भी रिजल्ट देख लेते हैं। इसी तरह किसी भी काम के लिए ठेके (टेंडर) भी अब आनलाइन निकाले जा रहे हैं। इससे ठेकेदार या संबंधित लोग नियम व शर्ते कहीं भी पढ़ लेते हैं।
शेयर कारोबार, म्युचुअल फंड और बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड आदि के लिए भी अब इंटरनेट वरदान बन गया है। आप जहां आनलाइन शेयर ट्रे़डिंग कर सकते हैं वहीं म्युचुअल फंडों के नव (नेट एसेट वैल्यू) रोज देख सकते हैं। आप जिन सेवाओं के भी उपभोक्ता हैं उसकी वेबसाइट पर लागिन करके अपने खाते के स्टेटस को आनलाइन देख सकते हैं। अब यह सब कुछ बड़े ही कम खर्च पर उपलब्ध है।
अखबार में छपवाना महंगा सौदा है वहीं गजट छाप कर हर जिले में भेजने में भी लंबा समय और खर्च लग जाता है। वहीं कुछ रुपए खर्च करके अब लोग कहीं भी रिजल्ट देख लेते हैं। इसी तरह किसी भी काम के लिए ठेके (टेंडर) भी अब आनलाइन निकाले जा रहे हैं। इससे ठेकेदार या संबंधित लोग नियम व शर्ते कहीं भी पढ़ लेते हैं।
शेयर कारोबार, म्युचुअल फंड और बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड आदि के लिए भी अब इंटरनेट वरदान बन गया है। आप जहां आनलाइन शेयर ट्रे़डिंग कर सकते हैं वहीं म्युचुअल फंडों के नव (नेट एसेट वैल्यू) रोज देख सकते हैं। आप जिन सेवाओं के भी उपभोक्ता हैं उसकी वेबसाइट पर लागिन करके अपने खाते के स्टेटस को आनलाइन देख सकते हैं। अब यह सब कुछ बड़े ही कम खर्च पर उपलब्ध है।
खासकर ब्राड बैंड के सस्ता और
लोकप्रिय हो जाने से देश में इंटरनेट के उपभोक्ताओं को संख्या बड़ी तेजी से बढ़
रही है। अब स्कूली विद्यार्थी इंटरनेट का इस्तेमाल करके अपने ज्ञान को बढ़ा रहे हैं।
किसी भी प्रोडक्ट के बारे में सूचना प्राप्त करने के लिए इंटरनेट एक गेटवे का काम कर
रहा है। कुछ साल पहले हम जिन बातों को कल्पना में कहा करते थे वे अब हकीकत बनते जा
रहे हैं।
आज आप भारतीय रेल की वेबसाइट को ही
देखें रोज लाखों को लोग उसे हिट करके ट्रेनों की आवाजाही के बारे में पता करते हैं
साथ ही आनलाइन टिकट भी बुक करवाते हैं। वहीं किसी भी एयरलाइन के फ्लाइट शिड्यूल और
सीटों की उपलब्धता और टिकट बुकिंग आदि सब कुछ इंटरनेट के माध्यम से करवाया जा सकता
है। जिस सूचना को पाने के लिए अथवा जिस सुविधा का प्राप्त करने के लिए आपको पहले 100 से 200 रुपए खर्च करने पड़ रहे थे वही अब आपको 10 से
20 रुपए के खर्च करने पर ही उपलब्ध हो पा रहा है। इस प्रकार अब सही मायने
में लोगों को इंटरनेट का लाभ मिलना आरंभ हो गया।
इंटरनेट से आनलाइन कारोबार को भी बढ़ावा मिलने लगा है। अगर आन लाइन कारोबार नहीं भी होता है तो भी लोग किसी भी प्रोडक्ट अथवा सेवा के बारे में इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करते हैं। इस प्रकार यह किसी प्रोडक्ट के विज्ञापन का अच्छा काम कर रहा है। मान लिजिए आपको किसी बैंक में खाता खोलना है तो आप विभिन्न बैंकों की वेबसाइटों पर जाकर उनके द्वारा दी जारही सुविधाओं का तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं। इसके बाद आपको जहां अच्छा लगे वहां खाता खोलें। ऐसा ही किसी अन्य उत्पाद के बारे में भी लागू होता है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
इंटरनेट से आनलाइन कारोबार को भी बढ़ावा मिलने लगा है। अगर आन लाइन कारोबार नहीं भी होता है तो भी लोग किसी भी प्रोडक्ट अथवा सेवा के बारे में इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करते हैं। इस प्रकार यह किसी प्रोडक्ट के विज्ञापन का अच्छा काम कर रहा है। मान लिजिए आपको किसी बैंक में खाता खोलना है तो आप विभिन्न बैंकों की वेबसाइटों पर जाकर उनके द्वारा दी जारही सुविधाओं का तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं। इसके बाद आपको जहां अच्छा लगे वहां खाता खोलें। ऐसा ही किसी अन्य उत्पाद के बारे में भी लागू होता है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
No comments:
Post a Comment