Friday, 26 October 2007

विंडो का ओरिजिनल साफ्टवेयर अभियान

भारत में कंप्यूटरों में जो साफ्टवेयर इस्तेमाल हो रहा है वह बड़ी संख्या में अभी भी पाइरेटेड है। अब माइक्रोसाफ्ट की कंपनी इस अभियान में जुट गई है कि लोग असली साफ्टवेयर का ही इस्तेमाल करें। हालांकि पिछले कुछ सालों से जब आप कंप्यूटर खरीदते थे तो उसमें जो साफ्टवेयर लोड करके दिए जा रहे थे वे आमतौर पर पायरेटेड यानी दूसरे शब्दों में कहें तो गैर लाइसेंसी या चोरी के ही होते थे। जैसे विंडो का कोई भी संस्करण हो या किसी तरह के इस्तेमाल किए जाने वाले साफ्टवेयर। मसलन पेजमेकर, फोटोशाप, क्वार्क एक्सप्रेस, एमएस वर्ड, एक्सेल जैसे सभी साफ्टवेयर आमतौर पर पाइरेसी से ही इस्तेमाल में आ रहे हैं। खास तौर पर जो कंप्यूटर किसी मैकेनिक से एसेंबल करके खरीदे जाते हैं उनमें पाइरेटेड साफ्टवेयर ही लोड किए जाते हैं।

जब हम कोई भी साफ्टवेयर असली खरीदना चाहते हैं तो कंप्यूटर की कीमत के साथ ही हमें साफ्टवेयरों की भी अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ती है। ऐसे में ग्राहक भी सोचता है कि चलो पाइरेटेड साफ्टवेयर से ही काम चला लेते हैं। अभी तक साफ्टयवेयर बनाने वाली कंपनियां भी इस मामले मे ढील देने की नीति बरत रही थीं। उनका लक्ष्य था कि लोग भले ही पाइरेसी का साफ्टवेयर इस्तेमाल करें पर धीरे धीरे लोग इसके बड़ी संख्या में उपयोक्ता बन जाएं। अब देश में कंप्यूटर उपयोक्ताओं की संख्या करोड़ों में पहुंच गई है तो कंपनियों का ध्यान अब लोगों को ओरिजिनल साफ्टवेयर इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करने की ओर है। इसके लिए कंपनियां अखबारों में बड़े ब़ड़े विज्ञापन भी दे रही हैं।

आखिर असली ही क्यों - जब आप अपने कंप्यूटर के साथ इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपका कंप्यूटर विश्व व्यापी नेटवर्क से जुड़ जाता है। ऐसी हालात में आपके कंप्यूटर में मौजूद विभिन्न साफ्टवेयर अपनी वेबसाइटों से जुड़कर खुद को अपडेट करना चाहते हैं। ऐसे अपडेट की स्थिति में कंपनी को पता चल जाता है कि कहां उसका असली साफ्टवेयर इस्तेमाल हो रहा है और कहां पायरेटेड। असली साफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से आपको कोई भी साफ्टवेयर फुल वर्जन में प्राप्त होता है वहीं आप उसको समय समय पर कंपनी की वेबसाइट पर जाकर अपडेट कर सकते हैं। जबकि पाइरेसी वाले साफ्टवेयर को अपडेट करने में मुश्किल आती है। अब जहां विंडो ने अपने एक्सपी और उसके आगे के संस्करणों के असली वर्जन के इस्तेमाल करने की मुहिम चला रखी है वहीं टैली और दूसरी कई कंपनियां भी ऐसा ही कर रही हैं।

फिलहाल इन साफ्वेयर कंपनियों की नजर ऐसे लोगों पर है जो व्यवसायिक यूजर हैं। जैसे बड़े दफ्तरों और बैंकों और दुकानों में कंपनियां चाहती हैं कि असली साफ्टवेयर ही इस्तेमाल हो। आने वाले समय में घरों में निजी उपयोग वाले कंप्यूटरों में भी पाइरेसी के साफ्टवेयर का इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाएगा। अगर आप कोई नया ब्रांडेड पीसी खरीदते हैं तो आपको उसके साथ विंडो का ओरिजिनल संस्करण मिलता है साथ ही कुछ साफ्टवेयर भी मिलते हैं। अगर आप साफ्टवेयर पर पैसा लगाने को इच्छुक नहीं हैं तो आपके पास लाइनेक्स और ओपन आफिस जैसे विकल्प मौजूद हैं जो दुनिया भर में फ्री साफ्टवेयर उपलब्ध कराते हैं। इनका इस्तेमाल भी आप अपने पीसी में कर सकते हैं।
-- vidyutp@gmail.com 




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