पटना के गांधी मैदान, यूपी के बिजनौर
और पश्चिम बंगाल के बर्दवान में हुए धमाके के बाद गिरफ्तार आतंकियों से हुए खुलासे
ने जांच एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। इंडियन मुजाहिदीन जैसे संगठन बड़े
वारदातों के लिए ऑपरेशन संबंधी खर्च के लिए बैंक डकैती कर धन जुटा रहे हैं।
---
बैंक में डाका डालना और
उससे लूटे गए धन का इस्तेमाल आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने के लिए करना। ये हाल
के दिन में सबसे खतरनाक आतंकी माड्यूल बनकर उभरा है। हाल में पश्चिम बंगाल के
बर्दवान और उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हुए धमाकों के बाद जांच में आतंकियों के इस
माड्यूल का खुलासा हुआ है। खुफिया एजेंसियों की जांच में पता चला है कि आतंकी
संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट इन इंडिया (सिमी) से जुड़े लोगों तेलंगाना के
बैंक में डकैती डाली और उससे लूटी गई रकम से बिजनौर और पश्चिम बंगाल के बर्दवान
में बम बनाने का साजो-सामान जुटाया।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी
(एनआईए) ने अपनी जांच में पाया है कि खंडवा जेल से 1 अक्तूबर 2013 की रात में
गश्ती दल पर हमला कर फरार हुए आतंकियों ने तेलंगाना के करीमनगर में फरवरी 2014 में स्टेट बैंक
में डकैती डाली। इस डकैती की रकम का इस्तेमाल बिजनौर और बर्दवान में बम बनाने के
लिए किया गया। इससे पहले बिजनौर में 12 सितंबर को एक घर में हुए
धमाके के बाद बरामद किए गए 6.5 लाख की नकदी के स्टेट बैंक से लूटी गई होने के
सुबूत हाथ लगे हैं। यूपी पुलिस के मुताबिक बिजनौर के जाटान मोहल्ले में चार महीने
से खूंखार आतंकवादी नाम बदलकर रह रहे थे।
आतंकी संगठन अब धन
जुटाने के लिए अपराध के रास्ते का इस्तेमाल पिछले कई सालों से करने में लगे हैं।
धन जुटाने की इस मुहिम को उन्होंने ‘माल-ए-गनीमत’ का नाम दिया है।
बड़े वारदातों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के लिए सिमी और इंडियन
मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों ने बैंक डकैती के अलावा नशीले पदार्थो की तस्करी
जैसे कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
एनआइए को हाल के दिनों
में ‘सिमी’ और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों के कई आतंकियों को
इस मामले में चिह्न्ति कर उन्हें दबोचने में भी सफलता मिली है, लेकिन ‘माल-ए-गनीमत’ को जुटाने में
लगे कई आतंकी अभी भी सुरक्षा और जांच एजेंसियों की पकड़ से बाहर हैं।
मध्य प्रदेश में भी पांच बैंक लूटे थे
पटना धमाके की जांच के
दौरान ही एनआइए ने मध्य प्रदेश के खंडवा जेल से फरार होने वाले सिमी के आतंकी
डॉक्टर अबु फैजल को दिसंबर 2013 में गिरफ्तार किया था। पूछताछ में पता चला कि
फैजल ने ही पटना में नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान उन्हें निशाना बनाने के
लिए हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी को पांच लाख रुपये दिए थे। एनआइए की पूछताछ में
अबू फैजल ने माना है कि पैसे उसने मध्य प्रदेश में बैंक लूट की पांच वारदातों से
जुटाए थे। इनमें भोपाल के मणप्पुरम गोल्ड नामक एक वित्तीय संस्था में वर्ष 2010 में डाका डाल कर
करीब ढाई करोड़ रुपये के स्वर्णाभूषण उड़ाने का मामला भी शामिल है।
आतंकियों ने की
थी इंदौर में बैंक डकैती
मध्य प्रदेश के इंदौर के कुछ बैंकों में वर्ष 2008 और 2010 के दौरान हुई
बैंक डकैतियां में भी मध्य प्रदेश पुलिस ने आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का हाथ
पाया गया। अहमदाबाद की जेल में बंद आईएम आतंकी अमीन भी इन बैंक डकैतियों में शामिल
था।
थोड़ा और पीछे चलें तो 2008-09 में दिल्ली
एनसीआर में हुई बैंक लूट में खालिस्तान समर्थक आतंकियों का हाथ सामने आया था। 2 जुलाई 2008 गुड़गांव का
ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स से करीब 1 करोड़ 48 लाख रूपये लूट हुई थी। पुलिस को जांच में पता चला कि इन
लूटपाट का सरगना सतनाम सिंह खलिस्तान कमांडो फोर्स का सरगना और मोस्ट वांटेट आतंकी
परमजीत सिंह पंजवार का साथी था।
बर्दवान में हुए 2 अक्तूबर 2014 को हुए धमाके
में बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) का लिंक
मिलने के कारण बंगलादेश भी इस मामले को लेकर गंभीर हो गया है। इस धमाके की जांच की
प्रगति एनआईए प्रमुख शरद कुमार खुद देख रहे हैं। वहीं जांच में नेशनल सिक्यूरिटी
गार्ड (एनएसजी) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) की भी मदद ली जा रही है। एनआईए
प्रमुख द्वारा दी गई रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल के पांच जिलों में आतंकी संगठनों
के सक्रिय होने का जिक्र है। गृह मंत्रालय की मिली रिपोर्ट के मुताबिक बर्दवान में
हुए धमाके की साजिशें काफी गहरी हैं।
-
विद्युत
प्रकाश मौर्य
( हिन्दुस्तान हिंदी दैनिक - 6 नवंबर 2014 को प्रकाशित
No comments:
Post a Comment