जिसने ये कहावत बनाई अकल बड़ी है या भैंस वह जरूर भैंस का
सताया हुआ रहा होगा। कदाचित उसे किसी गुस्साई भैंस ने पटखनी मार दी होगी। पर
सदियों पुरानी इस कहावत के कारण भोली भाली भैंसों को बार-बार गुस्सा आता है। और वह
कई बार ऐसी हरकतें करती है जिसमें वह ये सिद्ध कर देती है मैं वाकइ अकल से बड़ी हूं।
ताजा मामला सूरत का है जहां भैंस ने भारी भरकम विमान को रोककर
दिखा दिया कि हवा में उडऩे वाले कैसे पल में जमीन पर आ जाते हैं। नाम है शहर का
सूरत और काम करते हैं बदसूरत। करते हैं भैंस का अपमान और कहते हैं मेरा भारत महान।
आपको पता है सारा देश भैंस का दूध पीता है। अगर भैंस नाराज हो जाए तो अमूल की
डेयरियां बंद हो जाए। यह सिद्ध हो चुका है कि
भैंस का दूध गाय के दूध से हर मामले में ज्यादा पौष्टिक है। फिर भी हम भैंस
की पूजा नहीं करते क्यों. भैंस अपमान सहती है फिर दूध घी की नदिया बहाती है।
साल 2013 की बात है हरियाणा के हिसार के एक गांव में एक भैंस बिकी 25 लाख में। यानी भैंस की कीमत मर्सडीस से भी ज्यादा। तो फिर कहावत क्या होना चाहिए भैंस बड़ी या मर्सडीज तो जवाब होगा- भैंस।
काला अक्षर भैंस बराबर – ये मुहावरा भी किसी निपट मूरख ने ही रचा होगा। उसको पता
नहीं रहा होगा कि रात काली होती है। कान्हा जी भी काले ही थे। प्रेयसी की जुल्फें
भी तो काली होती हैं जिसकी छांव में हमें घंटों बैठे रहना चाहते हैं। भला उसमें और
भैंस की पूंछ में क्या अंतर है। और जो सबसे बेहतरीन और सुरक्षित धन होता है वह भी
काला ही होता है यानी काला धन। दुनिया में ऊर्जा का बड़ा स्रोत कोयला भी काला होता
है जिसे पूरे देश के उद्योगपति लूट लेना चाहते हैं। भला भैंस काली है तो उसमें
उसका क्या कसूर है अब बताइए तो जरा।
एकऔर मूर्खतापूर्ण कहावत है – भैंस के आगे बिन बजाय भैंस रही
पगुराय। अरे भैंस क्या नागिन है जो बिन पर डांस करने लग जाए। डांस तो नागिन भी
नहीं करती है सिर्फ आप हमें भरमा रहे हो। अब बिन की हकीकत तो भैंस जानती है इसलिए
वह चुपचाप पागुर करती रहती है। भला पागुर नहीं करेगी तो थोड़ी देर बाद बच्चों के
लिए दूध कौन देगा।
भारत सरकार के इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च ने भैंसों
का महत्व समझते हुए इंटरनेट पर बुफैलोपीडिया बनाया है। ( http://www.buffalopedia.cirb.res.in/) हमें भी समय रहते चेत जाना चाहिए। हमें देश में निवास करने वाली 9.8 करोड़
भैंसो का अपमान तुरंत बंद कर देना चाहिए।
अभी वक्त ज्यादा नहीं गुजरा है। हमें भैंस को अपमानित करने
वाले मुहावरे गढ़ना बंद कर देना चाहिए और सही मायने में राष्ट्रीय पशु भैंसों से
सामूहिक माफी मांगनी चाहिए। पाठ्यक्रम से भैंस को अपमानित करने वाले सारे चुटकुलों
को निकाल कर फेंक देना चाहिए। नई पीढ़ी को गलत शिक्षा देना बंद कर देना चाहिए। नही
तो अभी गुजरात का सूरत शहर का एक एयरपोर्ट है। कल को ये भैंस संसद मार्ग पर आकर
रास्ता रोक सकती है। दिल्ली मुंबई के एयरपोर्ट पर भी सामूहिक विरोध दर्ज करा सकती
है।
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विद्युत प्रकाश मौर्य
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