Sunday, 16 November 2014

स्वामीभक्त जापानी कुत्ता हाचिको

यह दिल को छूने वाली सच्ची कहानी है एक जापानी कुत्ते की।  उस कुत्ते का नाम था हाचिको।  इस  जापानी सच्ची कहानी का कई भाषाओं में रुपांतर भी किया गया है। एक वफादार कुत्ते का नाम हाचिको हुआ करता था। आकिता प्रिफ़ैक्चर का ओदाते शहर जापानी कुत्तों की एक नस्ल आकिता-इनु के लिए जाना जाता है।इसी नस्ल का कुत्ता हुआ करता था हाचिको।


जापान की राजधानी तोक्यो के शिबुया स्टेशन के पास जिस वफ़ादार कुत्ते हाचिको की कांसे की मूर्ति स्थापित की गई है। आखिर ऐसा क्या था कि रेलवे स्टेशन पर एक कुत्ते की प्रतिमा लगी है। 

10 नवंबर, 1923 को अकिता प्रान्त में हाचिको इस दुनिया में आया। हाचिको सफेद रंग का, कई अन्य कुत्तों की ही तरह एक प्यारा पिल्ला था। उसके स्वामी यूएनो टोक्यो विश्वविद्यालय के इंपीरियल कृषि विभाग में एक प्रोफेसर थे। वे हाचिको के साथ शिबुया में अपने नए घर में रहते थे। हर सुबह प्रोफेसर, अपनी नौकरी पर ट्रेन से विश्वविद्यालय के लिए जाते थे। रोज सुबह उन्हें छोड़ने के लिए हाचिको रेलवे स्टेशन तक जाता था। हर रात उनके लौटने पर स्थानीय स्टेशन पर हाचिको उनका इंतजार करता था। फिर साथ साथ घर आता। यह सिलसिला सालों से चल रहा था। पर एक दिन हाचिको के स्वामी नहीं लौटे। वास्तव मेंवह हमेशा के लिए इस दुनिया से जा चुके थे।

पर हाचिको को यह कहां मालूम था। वह तो हर शाम उनका शिबुया रेलवे स्टेशन पर इंतजार करता रहता। बाकी लोग दुखी हाचिको को देखते रहते। कुछ सालों बाद इंतजार करते हुए रेलवे स्टेशन पर ही हाचिको ने दम तोड़ दिया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने रेलवे स्टेशन पर हाचिको की प्रतिमा स्थापित करवा दी। 1934 में मूर्तिकार टेरू एंडो ने हाचिका की प्रतिमा बनाई जो रेलवे स्टेशन पर स्थापित है। जापान के लोगों के लिए तो हाचिको वफादारी का प्रतीक है। 
( प्रस्तुति- विद्युत प्रकाश मौर्य ) 

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