Wednesday, 7 February 2018

जुल्फें ( कविता )

यूं न बिखराईए
इन जुल्फों को...

नादां दिल है
इन्ही में खोकर
रह जाएगा.....

मंजिल तो दूर है
रास्ता भी...

इन्ही वादियों में
सिमट कर रह जाएगा....

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 विद्युत प्रकाश

( प्रकाशित -साहित्य संगम, 1989) 

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