Thursday, 12 May 2011

मनोरंजन चैनल बनाम समाचार चैनल


कई बार टीवी पर कोई समाचार चैनल देखते हुए यह प्रतीत होता है मानो कोई मनोरंजन चैनल ही देख रहे हों। समाचार चैनल अब अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए मनोरंजक कार्यक्रमों को तरजीह देने लगे हैं। वे फैशन और ग्लैमर से भरे कार्यक्रमों को स्क्रीन पर पर्याप्त समय देते हैं। जैसे किसी फैशन शो की कवरेज पांच से सात मिनट तक लंबी दिखाई जाती है। फिल्मी पार्टियों और समारोहों को खास तवज्जों दी जाती है। आजकल स्टार न्यूज और आजतक जैसे चैनल पर हर रोज आधे से एक घंटे तक फिल्मी खबरें देखी जा सकती हैं। जबकि पहले इस तरह के फिल्मी न्यूज और गासिप के बुलेटिन सिर्फ जी सिनेमा और सेट मैक्स जैसे फिल्मी चैलनों पर आया करते थे। स्टार न्यूज ने तो इससे आगे बढ़कर टीवी सीरियलों पर आधारित खबरों का कार्यक्रम आरंभ कर दिया है। इसमें न सिर्फ स्टार प्लस बल्कि अन्य टीवी चैलनों के धारावाहिकों से जुड़ी हुई खबरें और गासिप प्रसारित किया जाता है। हम बात कर रहे हैं सास बहू और साजिश की।

समाचार चैनलों ने कई धार्मिक आयोजन और कई फिल्मी पार्टियों के लाइव टेलीकास्ट की भी व्यवस्था की है। अभी हाल में उद्योगपति विजय मल्या ने अपना 50वां जन्म दिन मनाया तो कई टीवी चैनलों के कैमरे गोवा में चार दिन के जश्न में मौजूद थे और पल-पल की खबरें दर्शकों तक पहुंचा रहे थे। कई बार दर्शकों की किसी विषय में खास रुचि नहीं होती है। पर टीवी चैनल उन्हें बार बार दिखा दिखा कर खबरों को काफी प्रचारित कर देते हैं। मध्य प्रदेश के एक शहर के मामूली से ज्योतिषी ने अपने मरने की तारीख मुकर्रर कर दी। उसके बाद दिन भर कुछ टीवी चैनल इस कार्यक्रम को लाइव दिखाते रहे। हालांकि वह व्यक्ति नहीं मरा। पर देश भर के लोगों का इस अंधविश्वास पूर्ण घटना के साथ वक्त जरूर बर्बाद हुआ।

मनोरंजन और खबर के बीच एक पतली सी ही सही पर सीमा रेखा जरूर खींची जानी चाहिए। अगर समाचार चैनल ही लोगों का मनोरंजन करने लग जाएं तो मनोरंजन चैनलों का प्रोफाइल क्या रह जाएगा। यह जरूर है कि खबरों की प्रस्तुति रोचक होनी चाहिए। परंतु रोचकता भी कितनी।

 31 दिसंबर को आजतक ने साल भर की प्रमुख घटनाओं पर आधारित कार्यक्रम बनाया गजब भयो रामा। इस कार्क्रम की एंकर मिनी स्कर्ट और स्लीवलेस टाप में अलग अलग पब्लिक प्लेसेज में घूम-घूम कर साल भर की घटनाओं को चासनी लगा कर अपनी मधुर आवाज में पेश कर रही थीं। यानी की टीवी की एंकरों का पहनावा भी अब किसी माडल की तरह होना चाहिए। क्या उन्हें लोगों की नजरों में चढ़ने के लिए अंग प्रदर्शन करना पड़ेगा। जब टीवी चैनल की एंकर किसी खास स्थल से रिपोर्टिंग करती है तो उसका पहनावा वहां के वातावरण के अनुकूल होता है। यह एक हद तक जायज भी है। पर समाचार चैनलों का मुख्य उद्देश्य सूचना देना ही होना चाहिए न कि मनोरंजन करना।
-विद्युत प्रकाश, vidyutp@gmail.com

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