किसी जमाने में कहावत थी पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे खराब....पर नए जमाने में यह कहावत बदल गई है। अब बच्चे खेलकूद कर सचिन सहवाग बनना
चाहतें है। उन्हें खेल में भी संभावना नर आती है। कैरियर नजर आता है। पर अब कैरियर
का एक नया विकल्प आ गया है। अब जिस टीवी चैनल को स्वीच करो वहां बच्चे गीत गाते
हुए नजर आते हैं और पुराने गायक उन्हें दिल से आशीर्वाद दे रहे होते हैं। हां तुम
बड़े होकर बहुत बड़े गायक बनोगे। किसी चैनल पर लिट्ल चैंप्स नाम से तो किसी चैनल
पर छोटे उस्ताद नाम से बच्चों के बीच गायकी के मुकाबले करवाए जा रहे हैं।
पहले तो
नौजवान गायकों के बीच गायकी के मुकाबले करवाए गए, पर जब
कई चैनलों ने इन नौजवानों गायकों को स्थापित कर दिया तो अब बच्चों का बीड़ा उठाया
है। वैसे हमने सुना है कि कई चैनलों के विजेता गायकों को भी बाद में फिल्मों में
ज्यादा काम नहीं मिला। कई जब विजेता बने थे तो देश भर में धूम थी, लाखों एसएमएस आ रहे थे पर बाद में सब कुछ समान्य हो गया। बड़ी मुश्किल से
एक म्यूजिक चैनल के विजेता गायक ने अपना अलबम निकाला भी तो उसको बाजार नहीं मिला।
अब टीवी
चैनल वाले बड़े गायकों पर हाथ आजमा लेने के बाद नन्हीं उम्र के गायकों में
संभावानाएं तलाशने में लगे हैं। सभी बड़े महानगरों में आडिशन लिए जा रहे हैं और
नन्ही उम्र में गायकी की प्रतिभा तलाशी जा रही है। पर क्या नन्ही उम्र के ये गायक
बड़े होकर गायकी को अपना कैरियर बना सकेंगे। अगर हम निष्पक्ष रूप से देखें तो
स्कूली उम्र पढ़ाई की होती है। इस दौरान अगर कोई एजुकेशनल प्रतियोगिता कराई जाए तो
इसका लाभ बच्चों को मिलता है। इसके लिए नेशनल टैलेंट सर्च जैसी प्रतियोगिताएं भी
हैं। जिन बच्चों में किसी खेल की प्रतिभा होती है उन्हें बचपन से ही उस खेल का
प्रशिक्षण दिया जाता है। ठीक इसी तरह जिसको म्यूजिक का शौक होता है, उन्हें गायकी सिखाई जाती है। इसके लिए नियमित
रूप से म्यूजिक के क्लास दिए जाते हैं। आगे चलकर बच्चे म्यूजिक को कैरियर के रुप
में भी चुन लेते हैं। पर टीवी चैनलों पर जो संगीत प्रतियोगिता कराई जाती है, वह एकेडमिक म्यूजिक से कुछ अलग हटकर है। यहां बच्चों को फिल्मी गानों की
पैरोडी गानी पड़ती है, हालांकि संगीत और सुर यहां भी है, पर यह एक तरह की नकल भी है। यहां प्रतिभा का प्रदर्शन कम है। देश में ऐसे
हजारों लाखों लोग हैं जो किसी फिल्मी गाने को नकल करके गा देते हैं। पर वे सभी लोग
बाद में सफल गायक इसलिए नहीं बन पाते क्योंकि उन्होंने म्यूजिक की कोई नियमित
तालीम नहीं ली होती है। कई टीवी चैनलों पर नियमित तौर पर आने वाले गानों पर आधारित
रियलिटी शो इसमें भाग लेने वाले बच्चों का महीनो समय तो बरबाद करते ही हैं साथ ही
देखने वालों का भी काफी समय बरबाद होता है। इससे देश के करोड़ो बच्चे अपनी नियमित
स्कूली पढ़ाई से विमुख हो रहे हैं। जैसे टैलेंट हंट निकले नौजवान गायक म्यूजिक के
क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं कुछ इसी तरह का हाल इन
बच्चों के साथ भी हो सकता है। गायक के रुप में कैरियर बनाना हो तो उस प्लेटफार्म
पर जगह बहुत थोड़ी है। पर गायक बनने की होड़ में काफी लोग हैं। इसलिए रियलिटी शो
के दौरान देश भर में चर्चा में रहने वाले गायकों को लोग बाद में भूल जाते हैं।
उनके आडियो कैसेट या सीडी को कोई खरीदने वाला भी नहीं होता। हमें आने वाली पीढ़ी
को ऐसे खतरों से बचाना होगा।
--- विद्युत प्रकाश मौर्य vidyutp@gmail.com
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