Saturday, 30 May 2020

कहीं दूर जब दिन ढल जाए….चले जाना योगेश का


जिन्होंने सजाये यहां मेले,
सुख-दुःख संग-संग झेले
वही चुनकर खामोशी,
यूं चले जाएं अकेले कहां

और अकेले  ही चले गए योगेश। 29 मई 2020 को तीन लोग इस दुनिया से रुखसत हो गए। हिंदी फिल्मों में अर्थपूर्ण गीत लिखने वाले योगेश नहीं रहे। तो छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व नौकरशाह अजीत जोगी और ज्योतिषी बेजान दारुवाला का निधन हो गया।
गीतकार योगेश ने फिल्म आनंद के लिए – कहीं दूर जब दिन ढल जाए, सांझ की दुल्हन नजर चुराए, जिंदगी कैसी है पहेली....लिखा। उन्होंने रिमझिम गिरे सावन, सुलग सुलग जाए मन जैसे गीत भी लिखे थे।
योगेश 16 साल की उम्र में गीत लिखने के लिए लखनऊ से मुंबई पहुंच गए थे। योगेश ने एक फिल्म में गाने लिखे। उन्हें ऋषिकेश मुखर्जी ने सुना और 'आनंद' फिल्म में मौका दिया।
रजनीगंधा का 'कई बार यूं भी देखा है'  फिल्म मिली का 'आए तुम याद मुझे' छोटी सी बात का 'न जाने क्यों होता है ये जिंदगी के साथ' जैसे गीतों के शब्द योगेश के थे।

उनके निधन पर लता मंगेशकर ने लिखा – मुझे अभी पता चला कि दिल को छूने वाले गीत लिखने वाले कवि योगेश जी का आज स्वर्गवास हो गया। ये सुनके मुझे बहुत दुख हुआ। योगेश जी बहुत शांत और मधुर स्वभाव के इंसान थे। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।

दूरदर्शन के राज्यसभा चैनल पर शख्शियत कार्यक्रम में योगेश का एक साक्षात्कार सुनने को मिला था।  योगेश गौड़ शहर लखनऊ के रहने वाले थे। उनका जन्म 1943 में हुआ था। सन 1962 में महज 19 साल की उम्र में सखी राबिन फिल्म के लिए उन्होंने छह गीत लिखे थे।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com 
( YOGESH, GEET, FILMS ) 

Wednesday, 27 May 2020

लंगड़ा राजकुमार – एक सार्थक फिल्म


हाल में एक सार्थक फिल्म देखने को मिली। लंगड़ा राजकुमार। फिल्म बेहतरीन है, संवेदनाओं से भरी हुई। फिल्म कहानी को प्रिंस के गड्ढे में गिरने के कथानक के आसपास बुना गया है। फिल्म शिक्षा के महत्व को दर्शाती है। गरीबी और लाचारी के पहलू को उजागर करती है।  

हालांकि इस फिल्म में हिट होने का मसाला नहीं है, क्योंकि कहानी दुखांत है। अक्सर दुखांत कहानियां सफल नहीं होती। पर जिंदगी सच्चाई में तो दुखांत भी शामिल है। हर कहानी का सुखद अंत भी नहीं होता न। पर लंगड़ा राजकुमार फिल्म का संदेश काफी मजबूत है। 

मुझे इस  बात का गर्व है कि हमारे साथी रहे अजय आनंद ने इतनी बेहतरीन फिल्म बनाई है। फिल्म में एक सुंदर गीत भी है। मां बेटे के रिश्तों पर केंद्रित ये बड़ा भावुक गीत है। गीत के बोल हैं-  है मां की यही दुआएं ... मेरे लाल हमेशा खुश रहना...जिंदगी में कभी न दुख सहना... 

फिल्म की कहानी गांव के एक पात्र चिमटा और उसके बेटे राजकुमार के आसपास घूमती है। फिल्म का निर्माण मदारी आर्ट्स एवं पिस्का इंटरटेनमेंट ने किया है। फिल्म देखने के बाद अजय आनंद से संवाद हुआ तो उन्होंने कहा, मेरी रूचि सार्थक फिल्मों में है। मैं आगे भी ऐसा ही करता रहूंगा।

दरअसल अजय आनंद साल 1996 से 1998 तक हमारे साथ थे हमारी पहली नौकरी में। वे कला संस्कृति पक्ष पर रिपोर्टिंग करते थे। पर तब भी वे पहुंचे हुए कलाकार थे। मंडी हाउस में होने वाले कई नाटकों में नामी-गिरामी निर्देशकों के साथ अभिनय कर चुके थे। कलम के धनी के साथ वे अभिनय के भी धनी थे। एक दिन वे सब छोड़कर मुंबई चले गए। कई सालों बाद संपर्क हुआ तो पता चला कि वे अब निर्देशन में हाथ आजमा रहे हैं।

तो आप भी उनकी फिल्म लंगड़ा राजकुमार जरूर देखें। पसंद आएगी। आपको यह श्याम बेनेगल की परंपरा की फिल्म लगेगी। फिल्म यूट्यूब पर उपलब्ध है। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके फिल्म को देख सकते हैं। लॉकडाउन के दौरान 21 अप्रैल को फिल्म यूट्यूब पर रीलीज की गई है।    (https://www.youtube.com/watch?v=AdiUIhKnMcM )
-         विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
  ( LANGDA RAJKUMAR, MOVIE, AJAY ANAND ) 

Sunday, 24 May 2020

लॉकडाउन डायरी-चौथा चरण, मामले तेजी से बढ़े पर ढील जारी

हम कोरोना महामारी के बीच देशव्यापी लॉकडाउन के चौथे चरण में पहुंच गए हैं। भले मामलों में इजाफा जारी है पर अब अलग- अलग राज्य अपने अपने हिसाब से लॉकडाउन में ढील की योजना पर काम कर रहे हैं।
18 मई, सोमवार, 55वां दिन - देश में कोरोना संक्रमण के मामले एक लाख के करीब पहुंचने वाले हैं। कोरोना से आज 157 लोगों की मौत हुई। कुल मामले 96 हजार को पार कर गए। पिछले दो दिनों से एक दिन में पांच हजार के आसपास नए मामले आ रहे हैं। पर इस बीच दिल्ली, यूपी कर्नाटक जैसे राज्यों में कुछ ढील की शुरुआत हो रही है। दिल्ली में बस, टैक्सी, आटो, ग्रामीण सेवा, बाइक का संचालन नियंत्रित तरीके से शुरू हो रहा है। 

19 मई, मंगलवार - 56वां दिन - बहुत दुखद है, कोरोना ने मीडिया सेक्टर में पांव पसारना शुरू कर दिया है। समाचार चैनल जी न्यूज के 28 साथी कोरोना पॉजीटिव पाए गए हैं। हमारे साथियों का कहना है कि भारत में जून और जुलाई में कोरोना का पीक सीजन आने वाला है।
कोरोना संक्रमितों की संख्या  एक लाख को पार कर गई है। आज पांच हजार मामले आए नए। वहीं कुल 124 लोगों की जान गई। दिल्ली में एक दिन में सबसे ज्यादा 500 मामले आए। उधर आज से दिल्ली के बाजार ऑड इवन की तर्ज पर खुल गए हैं। 
दिन भर मजदूरों के घर भेजने पर सियासत जारी रही। रेलवे अब तक श्रमिक स्पेशनल ट्रेनों 20 लाख लोगों को भेजने का दावा कर रही है। पर दिल्ली, गुजरात, पंजाब से लाखों लोग अभी भी घर जाने के लिए मारा मारी कर रहे हैं। इस मोर्चे पर सरकार बुरी तरह फेल हो गई है। लॉकडाउन की तैयारी से पहले सारे लोगों को उनके सेफ जोन में जाने का मौका दिया जाना चाहिए था। आज जो मजदूर सड़क पर निकलकर भीड़ का हिस्सा बने हैं वहां किसी तरह की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। 
20 मई 2020, बुधवार - 57वां दिन - देश भर में जब करोड़ों मजदूरों के सब्र का बांध टूटने लगा है तब सरकार ने एक जून से हर रोज 200 रेलगाड़ियां चलाने का ऐलान किया है जो गैर वातानुकूलित होगी। इसमें ऑनलाइन टिकट बुक कराकर कोई भी सफर कर सकेगा।
अब भारतीय रेलवे की क्षमता के बारे में जानिए।
  • 13652 पैसेंजर और मेल एक्सप्रेस रेलगाड़ियां संचालित होती हैं हर रोज। 
  • 3500 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें संचालित की जाती हैं रोजाना। 
  • 9000 से ज्यादा पैसेंजर ट्रेनें संचालित होती हैं। 
  • 2.30 करोड़ यात्री रोजाना रेल से सफर करते हैं 
  • 7349 कुल रेलवे स्टेशन हैं देश में 
  • 1,23,436 किलोमीटर का कुल रेल पटरियों का नेटवर्क है।
  • 9141 मालगाड़ियों का परिचालन होता है हर रोज 
  • 3 करोड़ टन माल ढोन की क्षमता है हर रोज की। 
( स्रोत - https://www.ibef.org/industry/indian-railways.aspx )
तो इतनी क्षमतावान है हमारी रेलवे जो दो करोड़ से ज्यादा लोगों को एक दिन मेें मंजिल तक पहुंचा सकती है। पर इस लॉकडाउन में करोड़ों लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। 
बीस मई को देश में पांच हजार से ज्यादा मामले आए। दिल्ली में पांच सौ से ज्यादा। इस बीच सरकार ने 25 मई विमान सेवाएं शुरू करने का भी ऐलान कर दिया है। 
21 मई, गुरुवार, 58वां दिन -  नए वर्गीकरण में गाजियाबाद और नोएडा रेड जोन में आ गए हैं। सरकार ने एक जून से चलाए जाने वाली रेलगाड़ियों की सूची जारी कर दी है। सौ जोड़ी नॉन एसी ट्रेनें चलाई जाएंगी। 
कोरोना से देश भर में 132 जान गई। कुल संक्रमित 112359 हैं देश में। इस बीच एक जून से चलने वाली रेलगाड़ियों और 25 मई से शुरू हो रही घरेलू विमान सेवा के लिए बुकिंग शुरू हो गई है। आज अक्षरा मेरी भांजी का जन्मदिन है। वह 19 की हो गई। वहीं रींकू जी के छोटे बेटे अरनब का भी जन्मदिन है। 

22 मई शुक्रवार, 59वां दिन -  दिल्ली में बाजार खुलने लगे हैं। पटना में भी बाजार खुलने लगे हैं। हालांकि किसी भी तरह के आयोजन पर पाबंदी जारी है।आज कोरोना ने 148 लोगों की जान ली। मुंबई में एक युवा टीवी पत्रकार की भी मौत हो गई। उधर, विमान सेवा की बुकिंग आज आरंभ हुई घरेलू उड़ानों के लिए। पहले ही दिन काफी टिकटे बुक हुई। एक जून से चलने वाली रेलगाड़ियों के लिए भी अब काउंटर टिकट बुकिंग शुरू हो गई है। 
एक तरफ ढील दी जा रही है पर देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आज विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक हुई। इसमें शामिल 22 दलों ने सरकार पर कोरोना मामले में विफल रहने का आरोप लगाया। 
23 मई, शनिवार, 60वां दिन - कोरोना को लेकर लॉकडाउन के आज साठ दिन यानी दो माह पूरे हो गए हैं। देश में संक्रमितों की संख्या सवा लाख पार कर गई है। आज 137 लोगों की मौत हुई। 
दिल्ली में गरमी बढ़ गई। लू चलने लगी है। पार 44 डिग्री के पार हो गया है। अभी कुछ दिन और लू चलने का अनुमान है। अनादि और माधवी से वीडियो कालिंग पर और तड़ित से फोन पर बात हुई। माधवी और अनादि को बुलाने पर पर मैं कोई फैसला नहीं कर पा रहा हूं। गर्मियों में बेल का शरबत मेरा फेवरिट होता है। आज मैंने खुद घर में बेल का शरबत बनाया। 
24 मई रविवार , 61वां दिन - आज रमजान के महीने का आखिरी दिन है। कल ईद होगी। देश में 147 लोगों की मौत हुई वहीं सात हजार के करीब नए केस सामने आए। वैसे मेरे कई दोस्तों का आकलन है कि सही मायने में देश में 20 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो गए हैं। चूंकि सबकी जांच नहीं हो रही है इसलिए सही आंकड़ा नहीं पता चल पा रहा है। उधर, गरमी अचनाक तेजी से बढ़ी है। लू चलने लगी है। तापमान कई जगह 46-47 तक पहुंच गया है। मां ने आज बताया कि सासाराम में भी गरमी तेज पड़ रही है। इस गरमी में माधवी वंश का आना अभी टाल रखा है। 
आज मैंने शाम को मिक्स दाल, भात और आलू का चोखा, टमाटर, प्याज की चटनी बनाई। 
 25 मई, सोमवार, 62वां दिन - दफ्तर गए ठीक दो महीने हो चुके हैं। देश दुनिया में ईद मनाई जा रही है। पर सारे लोग घर में ही नमाज अदा कर रहे हैं। मैंने अपनी मोबाइल डाइरेक्टरी में मौजूद सौ के करीब मुस्लिम दोस्तों की ईद की मुबारकबाद भेजी। ज्यादातर लोगों ने पलटकर जवाब भी दिया।
कोरोना से आज 145 मौत हुई कुल संख्या 4021 हो गई। कुल संक्रमित 138845 हो गए हैं। पर क्या अब इस तरह रोज गिनती गिनने का कोई फायदा है। पहले दिन आज विमान सेवा शुरू हुई है। पर ऐन मौके पर कुल 82 विमान रद्द हो गए क्योंकि कई राज्यों ने अपने यहां उतरने की अनुमति नहीं दी। लोग एयरपोर्ट चले गए। उन्हें रद्द होने की कोई सूचना नहीं थी। 

26 मई , मंगलवार, 63वां दिन - दिल्ली से लग रही गाजियाबाद की सीमा पर भी आने जाने की सख्ती बढ़ा दी गई है। गाजियाबाद प्रशासन अब बिना पास वालों को दिल्ली आने जाने नहीं देगा। आज मैं अवकाश पर रहा। कोरोना से 145 लोगों की मौत हुई। कुल संक्रमित 1.45 लाख के पार हो गई है। 
बाजार बंद होने के कारण मैं बेल का शरबत बाहर नहीं पी पा रहा हूं, तो बेल घर में लाकर खुद उसका शरबत तैयार कर रहा हूं। मैं सारी गरमी जब तक उपलब्ध हो रोज बेल का शरबत पीने की कोशिश करता हूं। अब बाजार में स्थानीय आम की भी थोड़ी थोड़ी आमद होने लगी है। इस बीच दिल्ली में भीषण गर्मी का कहर जारी है।  
27 मई बुधवार, 64वां दिन घरेलू विमान से यात्रा करने वालों में पॉजीटिव केस निकलने लगे हैं। पहले दिन की फ्लाईट के कुछ यात्री कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। आज संक्रमित 151767 मौत 4337 तक पहुंचा। 
आज भी दिन में दिल्ली में भीषण गर्मी का प्रकोप रहा। मैं तरबूज, खरबूज, बेल, आम सब कुछ लेकर सेवन कर रहा हूं। हमारे संघर्ष के दिनों या पहली नौकरी के दौर के साथी रहे अजय आनंद ने एक फिल्म निर्देशित की है लंगड़ा राजकुमार। सार्थक फिल्म है यूट्यूब पर आ गई है। मैंने उसे देखने के बाद उसकी छोटी सी समीक्षा लिखी है।
28 मई, गुरुवार, 65वां दिन - 26 मई को हमारे दफ्तर के बड़े हिस्से को दुबारा से दफ्तर बुलाने की शुरुआत हुई थी। मेरा उस दिन अवकाश था। पर 27 तारीख से दुबारा घर से काम करने का निर्णय हुआ। जी न्यूज के न्यूज रूम में संक्रमित लोगों की संख्या 50 के पार हो गई है। उनमें कुछ मेरे जानने वाले भी हैं। आज देश में 194 लोगों की मौत हो गई। दिल्ली में आज मौसम में नरमी आई। तेज हवा और शाम को बारिश से गरमी में काफी राहत मिली। वरना पिछले चार पांच दिनों से लू के मारे बुरा हाल था। 

29 मई शुक्रवार, 66वां दिन - कोरोना के दवा और टीके को लेकर कई सकारात्मक खबरें आ रही हैं। पर इन सबके बीच अभी कई महीने लग सकते हैं। कोरोना से मरने वालों की संख्या 4706 हो गई। भारत कुल संक्रमितों के मामले में नौंवे नंबर पर आ गया है। 
आज छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, फिल्मों के जाने माने गीतकार योगेश और ज्योतिषी बेजान दारुवाला का निधन हो गया। मतलब एक दिन में तीन बड़ी हस्तियां चली गईं। लॉकडाउन के दौरान कई मीडिया संस्थानों में वेतन कटौती के बाद छंटनी का भी दौर शुरू हो गया है। 
30 मई शनिवार, 67वां दिन -  सरकार एक जून से लॉकडाउन के पांचवे चरण की रुपरेखा पर विचार कर रही है। सरकार ने ऐलान कर दिया चरणबद्ध तरीके से अनलॉक किया जाएगा। धीरे धीरे शापिंग मॉल और मंदिर भी खुलेंगे। पर जिन इलाकों में केस ज्यादा हैं वहां सख्त लॉकडाउन जारी रहेगा। इस बीच आज दिल्ली और देश में बड़े पैमाने पर केस आए। दिल्ली में एक हजार से ज्यादा। हमारी डीएलएफ कालोनी में भी दो मामले आ गए हैं। 
31 मई रविवार, 68वां दिन - आज लॉकडाउन 4 का आखिरी दिन है। आज भारत कोरोना संक्रमितों के मामले में दुनिया के देशों में सातवें नंबर पर आ गया। दो दिन पहले नौंवे नंबर पर था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल संक्रमितों की संख्या 1.82 लाख को पार कर गई है। इसमें 25 हजार मामले तो पिछले तीन दिल में आए हैं। देश में अब तक कोरोना वायरस से कुल मौत 5164 लोगों की हुई है। 
पर 25 मार्च से 31 मई के बीच देश में मजदूर वर्ग और मध्यम वर्ग पर जो चोट पड़ी है उसे सदियां याद रखेंगी। दैनिक वेतनभोगी मजदूरों का जो पलायन देखने को मिला है वह अभूतपूर्व रहा है। इसी बीच कुछ सरकारों ने संवेदना भी दिखाई है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मुंबई, लेह और अंदमान में फंसे अपने राज्य के मजदूरों की घर वापसी के लिए निजी चार्टर्ड विमानों तक का प्रबंध किया। 
आने वाले कल में भी लॉकडाउन जारी ही रहेगा पर कई रियायतों के साथ। अब गुलशन का कारोबार चलाने की कोशिश की जा रही है। पर बहुत कठिन है डगर पनघट की।  

  - विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com 
 ( LOCKDOWN DAYS, CORONA, COVID 19 ) 

Friday, 22 May 2020

खुशबू का एहसास – बाबा आमटे

कुष्ठ रोगियों के लिए अपना सारा जीवन होम कर देने वाले महान समाजसेवी बाबा आमटे के जीवन पर अनूठी पुस्तक है खुशबू का एहसास – बाबा आमटे। पुस्तक के लेखक हैं अशोक गुजराती। पुस्तक का प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट ने किया है। कुछ माह पहले पुस्तक खरीदी थी, लॉकडाउन के दौरान पढ़ डाली। 

बाबा आमटे 26 दिसंबर 1914 को हुआ। वे 94 साल इस धरती पर रहे। 9 फरवरी 2008 को उन्होंने देहत्याग किया। मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्में बाबा का व्यक्तित्व विलक्षण था। अपनी 450 एकड़ की पारिवारिक विरासत जमींदारी का त्याग कर दिया। काफी ऊंची पढ़ाई की। पर एक दिन अचानक कुष्ठ रोगियों की सेवा में लगे तो सारा जीवन यही उनका लक्ष्य बन गया। अपने जीवन काल में न सिर्फ 55 हजार कुष्ठ रोगियों को निरोग किया बल्कि उनके पुनर्वास का भी इंतजाम किया।
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में वरोरा के पास आनंदवन उनका आश्रम है। उसके आसपास कई और प्रकल्प हैं। उनके इस महान परंपरा को उनके बेटे विकास आमटे और प्रकाश आमटे आगे बढ़ा रहे हैं।
मैंने सन 1991 में पहली बार बाबा का नाम सुना था। हर साल मई में आनंदवन में देश भर के युवाओं के लिए श्रम संस्कार शिविर का आयोजन करते थे। मैं कई बार चाहकर भी उस शिविर में नहीं जा पाया, क्योंकि उसी समय मेरी वार्षिक परीक्षाएं होती थीं।
बाबा को कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार टेंपलटन पुरस्कार मिला था। देश के युवाओं को जोड़ने के लिए उन्होंने 1985 में भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी।
अशोक गुजराती की लिखी इस पुस्तक ने बाबा और उनके कार्यों को समझने का मौका दिया है। पुस्तक की भाषा में प्रवाह है। दो सौ से ज्यादा पृष्ठों की पुस्तक में लेखक ने बाबा और उनके परिवार के बारे में तमाम अनछुए पहलूओं पर प्रकाश डाला है।
-         विद्युत प्रकाश मौर्य – Vidyutp@gmail.com
-         ( BABA AMTE, MURLI DHAR DEVIDAS AMTE )


Thursday, 14 May 2020

लॉकडाउन डायरी - कोरोना के साथ जीना सीखना होगा

सरकार भी समझ गई है कि बहुत दिनों तो लॉकडाउन नहीं रखा जा सकता। इसका असर देश में उत्पादन पर पड़ रहा है। साथ ही बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ रही है। इसलिए अब लॉकडाउन में धीरे धीरे ढील देने पर विचार हो रहा है। तो क्या इसका मतलब कि हमें कोरोना वायरस के साथ ही जीना सीखना पड़ेगा।   
14 मई गुरुवार, 51वां दिन - सरकार सभी मेल एक्सप्रेस रेलगाड़ियां भी चलाने पर विचार कर रही है। बहुत संभावना है कि 18 मई से लॉकडाउन के चौथे चरण में कई तरह की रियायतों दी जाएं। तो आज कोरोना से 134 लोगों की मौत के साथ कुल आंकड़ा 2494 पहुंच गया। देश भर में 78 हजार से ज्यादा संक्रमित। इस बीच आज मौसम ने अंगड़ाई ली। दिल्ली में जमकर आंधी चली। 72 किलोमीटर की गति से उसके बाद बारिश हुई। शाम को मेरी बालकोनी में एक कबूतर फड़फड़ाता हुआ आया और गिर गया। थोड़ी देर में उसके प्राण पखेरू उड़ गया। मुझे यह देखकर बड़ा दुख हुआ। आंधी ने और भी सितम ढाया। शाम को पांच बजे इंटरनेट डाउन हो गया। केबल का भी और वाईफाई का भी। रात 10 बजे जाकर डाटा मिल सका। इस दौरान दफ्तर का काम ठप्प हो गया। मतलब हम डाटा के आगे मजबूर हैं। अब तो मानो डाटा ही जिंदगी की धड़कन है।

भले ही आंशिक तौर पर रेलगाड़ियां चलने लगी हों पर इस बीच बड़ी हृदय विदारक खबरें और तस्वीरें आ रही हैं। 
पहली तस्वीर- एक मां स्ट्राली बैग को खिंचते हुए गांव चली जा रही है। उसका नन्हा बच्चा साथ चल रहा है। जब बच्चा थक जाता है तो मां उसे बैग पर सुला लेती है। पर वह स्ट्राली बैग खींचना और अपनी यात्रा जारी रखती है। इस तस्वीर का वीडियो दिन भर सोशल मीडिया पर खूब वायरल होता रहा। पर इससे क्या... उस मां का संघर्ष कम तो नहीं हो गया न। और फिर ये किसी एक मां की कहानी नहीं है। 

दूसरी तस्वीर - एक बच्चा ठेला चला रहा है। बच्चे की उम्र महज 13 साल है। उसने ठेले पर अपने पिता को बिठा रखा है। पिता पुत्र चल पड़े हैं बनारस से दूर अपने उत्तर बिहार के घर की ओर। लोग इस बच्चे को आधुनिक श्रवण कुमार कह रहे हैं। पर यह तो उससे भी कुछ ज्यादा है। ये तो इस नन्हें नागरिक की मजबूरी है। 

सरकार भरोसा दे रही है। रुकने को कह रही है। पर मजदूरों के पलायन का सिलसिला जारी है। दिल्ली यूपी बार्डर पर अब भी दिन रात पलायन करने वालों की भीड़ लगी है। ये लोग कई दिनों से भूखे प्यासे हैं। कुछ संस्थाएं उन्हें जाकर कुछ खाने पीने की सामग्री देने की कोशिश कर रही हैं। पर यही है आजाद भारत की सच्ची तस्वीर जहां कामगारों की कोई पूछ नहीं है। 

तीसरी तस्वीर - एक व्यक्ति यूपी बार्डर पर बैठा अपने छोटे से फोन से बातें करता हुआ रो रहा है। बेगुसराय में उसका इकलौता बेटा मर गया है। पर वह घर चाह कर भी नहीं जा पा रहा है। तीन दिन तक वह यूपी गेट पर बैठा रहा। अंत में हमारे अखबार हिन्दुस्तान के संवाददादाताओं के प्रयास से उस व्यक्ति के गांव जाने का इंतजाम किया जा सका। 

15 मई शुक्रवार - 52वां दिन -  पिछले 19 मार्च से लगातार अपने फ्लैट में अकेला हूं औ खुद खाना बना रहा हूं तो इस दौरान कई बार अपम स्टैंड में लिट्टी भी बनाता हूं। आजकल हर दूसरे दिन कच्चा आम, पुदीना और धनिया की चटनी भी बनाता हूं। और हां रोटियों के साथ भी नए नए प्रयोग जारी है। गेहूं का आटा 50 फीसदी उसके साथ मकई, ज्वार, चने का आटा उसमें काला नमक, आजवाईन और कसूरी मेथी डालकर आटा गूंथ कर रोटियां बना रहा हूं। कई बार बिना चकला और बेलन के थपकी देकर रोटी पकाने का अभ्यास भी कर रहा हूं।


कोरोना से आज 100 लोगों की मौत हो गई। कुल आंकड़ा है 2649 पर वर्ल्ड मीटर में कुल संक्रमित लोगों की संख्या के मामले में हम अब चीन से आगे निकल चुके हैं। भारत 11वां सबसे बड़ासंक्रमित देश बन चुका है। चीन 12वें नंबर पर है। 
16 मई, शनिवार 53वां दिन- सरकार मजदूरों किसानों के लिए रियायतें गिना रही है। पर मजदूरों दर्द कम नहीं हो रहा है। वे देश के अलग अलग राज्यों में पलायन को मजबूर हैं। उधर 18 मई से कई तरह की रियायतों की तैयारी चल रही है।  
देश में आज कोरोना से 102 लोगों की जान गई। कुल मौत 2652 हो गई है। वहीं हमलोग कुल संक्रमण के आंकड़ो में 86 हजार को पार कर चुके हैं। यह कोरोना संक्रमण के पहले देश चीन के आंकड़ों से भी ज्यादा हो चुका है। आज यूपी के औरैया में सड़क हादसे में 26 मजदूरों की तो मध्य प्रदेश में एक और सड़क हादसे में आठ मजदूरों की मौत हो गई। 
17 मई, रविवार - 54वां दिन - सरकार भले ही श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियां चलाने की  बात कर रही हो पर पैदल चलकर अपने देस जाने वाले श्रमिकों का सिलसिला जारी है। आज देश में 120 लोगों की मौत हो गई। कुल संक्रमितों की संख्या 91 हजार पहुंच गई है। आज एक दिन में संक्रमितों की संख्या पांच हजार के करीब बढ़ी। बिहार में भी बड़ी संख्या में नए केस आए हैं। रोहतास जिले में अचानक दर्जन से ज्यादा लोग संक्रमित मिले हैं। 
इस बीच सरकार ने लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाने का फैसला कर लिया है। हां इसमें कहां कैसी ढील देनी है ये राज्य सरकारें तय करेंगी। पर कुछ राज्यों ने पहले से ही 31 मई तक बंद रखने का फैसला लिया है। 
  - विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com 
 ( LOCKDOWN DAYS, CORONA, COVID 19 ) 

Sunday, 10 May 2020

तुमसे दूर रहके हमने जाना प्यार क्या है.. (व्यंग्य )

निकलो न बेनकाब जमाना खराब है... जिस गीतकार ने ये पंक्तियां लिखी होंगी वह बड़ा दूरदर्शी रहा होगा। उसे पता था कि एक दिन कोरोना का कहर दुनिया में छाने वाला है। तब जमाने के सितम से बचने के लिए हर कोई नकाब पहनकर ही घर से निकलेगा।
पर बॉलीवुड के तमाम गीतकार तो सच्चाई से दूर रहे। वे लिखते रहे – जाने दो न, पास आओ न आओ ना... सन 1985 में फिल्म सागर में ये गीत सुनने को मिला था। अब तो ये गीत आप हरगिज मत सुनिएगा। तब उनको नहीं पता था कि पास आने के कितने खतरे हैं। अब तो लोग कह रहे हैं कि कोई कितने भी प्रलोभन देकर बुलाए मगर जाना मत। घर में ही रहना।

थोड़ा पीछे चलते हैं साल 1965 में तो रुश्तमे हिंद फिल्म में एक गीतकार ने लिख मारा – बैठो मेरे पहलू में खुदा के वास्ते। नहीं जनाब  ऐसा न कहो आजकल तो खुदा के वास्ते दूर दूर ही रहो तो अच्छा।
इसके बाद 1976 में आई फिल्म नौनिहाल के लिए कैफी आजमी साहब ने गीत लिखा – तुम्हारे जुल्फों के साए में शाम कर लूंगा. सफर एक उम्र का पल में तमाम कर लूंगा। तब कैफी साहब को गुमां न रहा होगा कि प्रेयसी के जुल्फों के साये में शाम करना कितना महंगा सौदा साबित हो सकता है।

भला पास आने की क्या जरूरत है प्यार का एहसास तो दूर रहकर भी किया जा सकता है। सन 1976 में फिल्म अदालत के गीत के बोल पर गौर फरमाइए तुमसे दूर रहके  हमने जाना की प्यार क्या है...दिल ने माना यार क्या है... तो इन पंक्तियों को लिखने वाले गुलशन बावरा भी बड़े समझदार थे।

कुछ और गीतकारों ने भी समझदारी भरे बोल लिखे – वो पास रहें या दूर नजरों में समाये रहते हैं, इतना तो बता दे कोई, क्या इसी को प्यार कहते हैं। वो गीतकार कमर जलालाबादी थे जो इतनी समझदारी भरी बातें करते थे। उन्होंने 1949 में ही इतनी समझदारी भरी बात कह दी थी।

थोडा आगे बढ़िए तो सन 1985 में फिल्म यादों की कसम में गीत आया। बैठ मेरे पास तुझे देखती रहूं... अब भला देखने के लिए पास जाकर बैठने की क्या जरूरत है। छह फीट की दूरी से भी तो देखा जा सकता है। पर गीतकार ने अगली पंक्ति बड़ी समझदारी पूर्ण लिखी- ना तू कुछ कहे ना मैं कुछ कहूं।

सबसे समझदारी वाला गीत तो था – एक डाल पर तोता बोले, एक डाल पर मैना. दूर दूर तक बैठे हैं दोनों पर प्यार तो बोलो है ना... मतलब दूर दूर रहकर भी प्यार हो सकता है...सन 1974 में आए इस गीत के शब्दकार थे इंद्रजीत सिंह। अब कोरोना काल में में मुहब्बत करने का दस्तूर यही है कि आप अलग अलग डाल पर बैठे रहिए। मतलब फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखिए। पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं। ये बड़ा गलत शब्द है। शरीर से शरीर की दूरी बनी रहनी चाहिए। पर दिल से दिल की दूरी तो हरगिज नहीं।
-         विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com 
( (CORONA AND SONGS ) 







Friday, 8 May 2020

लॉकडाउन डायरी - गुलमोहर के संग जिंदगी

पटना में खिले गुलमोहर ।  फोटो - अनादि अनत
बेटे अनादि ने पटना से गुलमोहर के फूलों की तस्वीर भेजी है। हमारे मुहल्ले में गुलमोहर खिल उठे हैं। वे उम्मीद जगा रहे हैं। आने वाले दिन बेहतर होंगे।  लॉकडाउन में रहते हुए मार्च, अप्रैल के बाद अब मई का महीना शुरू हो गया है। तमाम लोग दावे कर रहे हैं कि लॉकडाउन के कारण देश में कम मामले बढ़े हैं। पर अर्थशास्त्री रघुराम राजन का कहना है कि इस तरह की बंदी ज्यादा देर तक नहीं चलाई जा सकती। इसका बुरा असर औद्योगिक उत्पादन पर पड़ेगा साथ ही निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग की हालत बहुत खराब हो जाएगी। 

01 मई शुक्रवार 38वां  दिन - आज मजदूर दिवस है। पर मजदूरों के पास कोई काम नहीं है। इधर उधर फंसे हुए लाखों मजदूर अपने घर जाने की राह देख रहे हैं। हमारे रोहतास जिले में 51 मरीज हो गए हैं। सासाराम में 6 नए केस मिले हैं शुक्रवार को। जिले में मुरादाबाद, नोखा, बभनौल, उसरी, परमेश्वरपुर, हरकमल गांव में कोरोना के नए मरीज मिले हैं। कपसिया सोहवलिया से राममूर्ति फूंफा का फोन आया, उनके गांव के बगल मे हटना से भी केस मिल गया है। 
मजदूरों को अपने गृह राज्य में भेजने के लिए सरकार स्पेशल ट्रेन चलाने लगी है। 
लॉकडाउन में दो हफ्ते का और विस्तार देकर इसे 17 मई तक बढ़ा दिया गया। देश के रेड, आरेंज, ग्रीन तीन हिस्सों में बांटा गया है। ग्रीन और आरेंज जोन में 4 मई से कुछ सेवाएं शुरू की जाएंगी। गाजियाबाद अभी आरेंज जोन में है। यहां पर लोग अपने जिले में निजी वाहन या कैब से सफर कर सकेंगे। 
02 मई शनिवार - 39वां दिन - सरकार ने रेड जोन में भी कुछ रियायतों का ऐलान किया है। वैसे दुनिया के आधे देश 4 मई से कई तरह की कारोबार शुरू करने जा रहे हैं। कई देश अब कोरोना के संग जीने की बात कर रहे हैं। दिल्ली में कोरोना से तीन लोगों की मौत हुई तो महाराष्ट्र में 36 देश भर में 71 लोग काल के गाल में समा गए। दिल्ली में लोकपाल सदस्य जस्टिस एके त्रिपाठी का कोरोना से निधन हो गया। एक दिन में देश आज ढाई हजार मामले आए। दिल्ली में सीआरपीएफ के एक कैंप के 135 जवान संक्रमित हैं तो कापसहेड़ा बार्डर में एक ही बड़े घर में रहने वाले सारे लोग। 
दरअसल सेंपल लेने के बाद जांच की रिपोर्ट आने में कई कई दिन लग जा रहे हैं। गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंसन में केवी सृष्टि में एक केस आने के बाद सोसाइटी सील कर दी गई है। रोहतास जिले में रोज कुछ नए मामले बढ़ रहे हैं। 

03 मई रविवार 40वां दिन - ग्रीन जोन और ऑरेंज जोन में आज से कुछ छूट की शुरुआत हो रही है। पर गाजिबाद जिले में अभी कोई छूट नहीं होगी। देश में कोरोना से आज 83 लोगों की मौत हुई। मरने वालों का आंकड़ा 1306 हो गया। दिल्ली में आज सुबह और शाम मे ंफिर बारिश हुई। इससे मौसम ठंडा रहा। हमारे घर के आसपास दिलशाद गार्डन और शालीमार गार्डन में कोराना के मामले ठीक हो गए हैं। जो ब्लॉक सील हुए थे उन्हें खोल दिया गया है।  मैं आज दो दिन बाद नीचे उतरा सब्जियां लेने के लिए। बेटा वंश से बात हुई वह मजे में है। 
04 मई सोमवार, 41वां दिन - दिल्ली रेड जोन में है पर आज से कई तरह की रियायतें शुरू हो रही हैं। दिल्ली में शराब की दुकानें खुलते ही लोगों की लंबी लाईनें लग गई। कई और शहरों में ऐसा ही हुई। इससे सोशल डिस्टेंसिंग धज्जियां उड़ी। उधर आज 83 लोगो ंकी मौत हो गई कोरोना से। यह अब तक सबसे ज्यादा है। पिछले तीन दिन में देश में नए मामलों की संख्या भी बढ़ गई है। इधर कोरोना का कहर उधर सीमा पर जवान शहीद हो रहे हैं। कल पांच और आज तीन जवान शहीद हो गए। 

05 मई मंगलवार, 42 वां दिन - कई जगह फैक्टिरयों में उत्पादन शुरू हो रहा है। पर सार्वजनिक परिवहन नहीं शुरू होने के कारण लोगों को दिक्कत हो रही है। देश में कोरोना से 194 लोगों की मृत्यु हो गई। एक दिन यह सर्वाधिक है। आज सबसे ज्यादा केस भी सामने आए। तीन हजार से ज्यादा। इस बीच कई और राज्यों में शराब की दुकानें खोले जाने की तैयारी है। हमारी कालोनी में दवा राशन के अलावा हार्डवेयर, बरतन, स्टेशनरी की दुकानें भी खुलने लगी हैं। दुकानों का समय शाम सात बजे तक कर दिया गया है। 

06 मई बुधवार, 43वां दिन - पानीपत में तीन पत्रकार भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। वे दो हिंदी समाचार पत्रों से हैं। वहीं नोएडा फिल्म सिटी में नेटवर्क 18 चैनल के एक न्यूजरूम के पत्रकार का भी कोरोना पॉजीटिव हो गया है। देश में आज भी 101 लोगों की मौत हो गई। सासाराम में परमेश्वर प्रताप से बात हुई। राहत है कि जिले में दो दिन से केस नहीं बढ़ रहे। पहले से पीड़ित में से भी कई लोग ठीक हो गए हैं। 
परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में सार्वजनिक आवागमन के साधन जल्द खोले जाएंगे। हां उनमें भी सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए सफर हो सकेगा। 
07 मई, गुरुवार 44 वां दिन -  दिल्ली के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 10 मई से 30 जून तक ग्रीष्मावकाश की घोषणा कर दी गई है। आज कई दिनों बाद मैं साप्ताहिक अवकाश पर रहा। मुंबई में वरिष्ठ पत्रकार आनंद भारती जी से बात हुई। बातों बातों में उनसे पता चला कि आलोक रंजन नहीं रहे। आलोक रंजन हाजीपुर में लंबे समय तक रहे भोजपुरी फिल्मों के गीतकार डॉक्टर उमाकांत वर्मा के बेटे थे। आलोक भैया मुंबई में हिंदी फिल्मों के वरिष्ठ पत्रकार थे। हालांकि उनका निधन दो साल पहले हुआ पर कोई संपर्क नहीं होने के कारण मुझे ये खबर इतनी देर से मिली। 
कई दिनों बाद आज मां से बात हुई। रोहतास जिले में दो नए केस आए हैं। वहां अब 54 संक्रमित हैं। हालांकि इसमें से काफी लोग ठीक भी हो रहे हैं। लॉकडाउन के 40 दिन से ज्यादा गुजर जाने के बाद भी मजदूरों का पैदल पैदल चलकर अपने गांव से जाने का सिलसिला जारी है। स्वराज एक्सप्रेस चैनल पर गुरमीत सप्पल की रिपोर्ट में देख रहा हूं कि पुलिस हाईवे पर चलने वालों की पिटाई कर रही है तो मजदूर सड़क के किनारे खेतों से रास्ता तय कर रहे हैं। 



कई राज्यों को लगने लगा है कि ये बाहरी राज्यों के मजदूर हमारे लिए बहुत पड़ा श्रम साधन है इसलिए वे उन्हें घर जाने से रोक रहे हैं। कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार मजदूरों को अपने राज्य जाने से मना कर रही है।
08 मई, शुक्रवार - 45 वां दिन -  रोहतास जिले में एक 70 साल के बुजुर्ग की कोरोना से मौत हुई है। वहीं आगरा में पंकज कुलश्रेष्ठ नामक दैनिक जागरण के युवा पत्रकार ने भी इस बीमारी से दम तोड़ दिया।   
महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश के शहडोल जा रहे 16 मजदूरों की जलगांव में ट्रेन से कटकर मौत हो गई। वे लोग पैदल घर जा रहे थे। रात में थककर ट्रेन की पटरी पर ही सो गए थे। देश में आज कोरोना से 103 लोगों की मौत हुई। बिहार के 38 में से 35 जिलों में संक्रमण पहुंच गया है। पटना में आज 45 दिन बाद समान्य दुकाने खुली तो भीड़ उमड़ पड़ी। देश के कई हिस्सों में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। 
अहमदाबाद शहर की हालत काफी खराब हो गई है। वहां दवा और दूध को छोड़कर सारी दुकानें बंद कर दी गई हैं। लोग घर में ही रहें इसके लिए अर्ध सैनिक बलों की तैनाती शहर में की गई है। मुंबई में रह रहे घुमक्कड़ी दिल से समूह से जुड़े साथी प्रतीक गांधी से फोन पर लंबी बात हुई। 

09 मई शनिवार, 46वां दिन - केनरा बैंक के वाशिंगटन डीसी शाखा में कार्यरत बचपन के दोस्त अभय से बात हुई। वे न्यूयार्क में क्वींस इलाके फ्ससिंग में रहते हैं। वे बताते हैं कि किस तरह दुनिया के सबसे संपन्न और विकसित समझे जाने वाले राज्य में भी कोरोना का खौफ बरकरार है। 
देश में आज कोरोना से 95 लोगों की जान गई। मौत का कुल आंकड़ा दो हजार के करीब पहुंच गया है। इस बीच दुनिया के अलग अलग देशों में फंसे लाखों भारतीय लोगों को स्वदेश लाने का सिलसिला शुरू हो गया है। पर ऐसे आने वाले लोगों को 14 दिन तक क्वारंटाइन किया जा रहा है। 
10 मई रविवार, 47वां दिन - इस कोरोना काल में कई पुराने दोस्तों से बात करके अच्छा लगता है। हर रोज दिन में किसी पुराने दोस्त की आवाज उर्जा देती है। कई पुराने रिश्तेदार भी ढूंढते हुए फोन कर देते हैं तो बड़ी खुशी होती है। आज 128 लोगों ने देश में जान गंवाई। हैदराबाद से यूपी आ रहे पांच मजदूरों की मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में दर्दनाक मौत हो गई। दो दिन पहले जलगांव में 16 मजदूरों की मौत के बाद फिर ये हादसा। इस बीच केंद्र सरकार 12 मई से 15 जोड़ी ट्रेनें रोज चलाने का फैसला लिया है। ये दिल्ली से प्रमुख 15 शहरों के लिए चलाई जाएंगी। 
11 मई सोमवार, 48वां दिन -  जिस मात्रा में रेलगाडियां और बसें चलाई जा रही हैं उससे कई गुना संख्या में लोग अपने घर जाना चाहते हैं। वहीं यात्रा करने वालों से संक्रमण फैलने का खतरा भी है। आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर शाम चार बजे की जगह छह बजे के बाद टिकट बुकिंग शुरू हुई। पटना के लिए दो रेलगाडियां हैं। कुछ घंटे में अगले पांच दिन की टिकटें फुल हो गईं। मैंने अभी माधवी और वंश को बुलाने पर कोई निर्णय नहीं लिया है। 
उधर देश में आज कोरोना से 97 लोगों की जान गई। प्रधानमंत्री ने राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ हालात की समीक्षा के लिए बैठक की। अब धीरे धीरे कारोबार खोलने पर विचार हो रहा है।
12 मई मंगलवार, 49वां दिन - आज से आंशिक यातायात शुरू हो रहा है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से तीन गाड़ियां रवाना हुईं। सभी एसी हैं। डायनामिक फेयर लागू है।पर इन ट्रेनो में बैठने के लिए लोग 30-40 किलोमीटर से पैदल चलकर स्टेशन पहुंच रहे हैं, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन नहीं चालू हुआ है। इन ट्रेनों में छह दिन बाद तक का ही टिकट बुक हुआ है। कोरोना ने आज 87 जान ली। दिल्ली में एक दिन में 13 लोगों की मौत हो गई है। 
रात आठ बजे मोदी जी लाॉकडाउन 4 की स्क्रिप्ट लेकर हाजिर हुए। कहा 18 तारीख से नए रंग रूप में होगा लॉकडाउन। उन्होंने उद्योग धंधों के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज देने की बात भी कही। 
हमारे संघर्ष के दिनों के साथी पंकज कुमार पप्पू का हाजीपुर से फोन आया। उन्होंने फेसबुक पर एक पुरानी तस्वीर साझा की है। संभवतः 1992 की है जब आरएन कॉलेज में हमने एक दिवसीय शिविर आयोजित कराया था राष्ट्रीय युवा योजना की ओर से। 
बाएं से - विद्युत प्रकाश, रामचंद्र सिंह, प्रो. नवल किशोर प्र श्रीवास्तव, पंकज पप्पू और साथी। 

13 मई, बुधवार 50वां दिन - ट्रेन चलनी शुरू हो गई है। पर अभी मैंने माधवी और वंश को बुलाने पर कोई निर्णय नहीं कर पा रहा हूं। क्योंकि इस माहौल में यात्रा करना सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। हर ट्रेन में पूरी सीट पर लोग यात्रा कर रहे हैं ऐसे भला फिजिकल डिस्टेंसिंग कैसे लागू हो सकती है। आज कोरोना ने देश में 128 लोगों को लील लिया। 
अवकाश होने के कारण देर तक सोता रहा। पर अलसाई दोपहरिया में नींद खुली बीएचयू के एमए के एक साथी के फोन पर। फिर तो हम 25 साल पीछे पहुंच गए और ढेर सारी बातें कॉलेज के जमाने की। और शाम को फिर एक और दोस्त से लंबी गप। भविष्य कैसा होगा नहीं पता पर सुनहरी यादों के अतीत को कुरेदने में क्या दिक्कत है। हिंदी के जाने माने आलोचक नंद किशोर नवल का पटना में निधन हो गया। कोरोना काल में अंतिम यात्रा में भी बहुत कम लोग शरीक हो पा रहे हैं। 

सरकार भी समझ गई है कि बहुत दिनों तो लॉकडाउन नहीं रखा जा सकता। इसका असर देश में उत्पादन पर पड़ रहा है। साथ ही बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ रही है। इसलिए अब लॉकडाउन में धीरे धीरे ढील देने पर विचार हो रहा है। तो क्या इसका मतलब कि हमें कोरोना वायरस के साथ ही जीना सीखना पड़ेगा।   

14 मई गुरुवार, 51वां दिन - सरकार सभी मेल एक्सप्रेस रेलगाड़ियां भी चलाने पर विचार कर रही है। बहुत संभावना है कि 18 मई से लॉकडाउन के चौथे चरण में कई तरह की रियायतों दी जाएं। 

   

- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com 
 ( LOCKDOWN DAYS, CORONA, COVID 19 ) 

Wednesday, 6 May 2020

नहीं रहे चंबल के बागी मोहर सिंह

कभी चंबल घाटी में उनके नाम का आतंक था। मध्य प्रदेश की चंबल घाटी डाकुओं की वजह से ज्यादा पहचानी जाती थी। यहां एक से बढ़कर एक दुर्दांत डाकू हुए हैं। उनमें से एक थे मोहर सिंह। माधो सिंह और मोहर सिंह की जोड़ी थी। लोग उनके नाम से ही दहशत में रहते थे। मह्त्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा, मुरैना साथी प्रफुल्ल श्रीवास्तव ने खबर दी है कि मोहर सिंह का मंगलवार 5 मई 2020 को निधन हो गया।

मोहर सिंह ने मंगलवार सुबह अपने निवास पर आखिरी सांस ली। वह कई सालों से मधुमेह की बीमारी से पीड़ित थे उनके निधन के वक्त उनकी उम्र करीब 92 साल थी। बताया हैं कि बागी जीवन में उन्होंने करीब 80 से ज्यादा हत्याएं की थीं। उन पर पुलिस रिकॉर्ड में 300 से ज्यादा मामले दर्ज थे। सरकारी दस्तावेजों में उन पर तब दो लाख रुपये का इनाम था। वहीं, उनके गैंग पर 12 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

मोहर सिंह जमीनी विवाद के बाद 1958 में चंबल घाटी में बागी बनकर कूद गए थे। जी हां वे लोग डाकू नहीं खुद को बागी कहलाना पसंद करते थे। जब वे बीहड़ में कूदे तो कम उम्र के थे, लिहाजा किसी गुट ने उन्हें गैंग में शामिल नहीं किया। साल 1972 में 14 अप्रैल को जौरा आश्रम में उन्होंने बिनोवा जी और जय प्रकाश नारायण की पहल और गांधीवादी एसएन सुब्बाराव जी के प्रयास से आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्होंने मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी के सामने बड़े समारोह में सरेंडर किया।

आत्मसमर्पण के बाद मोहर सिंह पूरी तरह से सामाजिक कार्यों में लगे रहते थे। मोहर सिंह गांधीजी के विचारों से प्रभावित थे। गरीब लड़कियों की शादी कराने में वे सबसे आगे रहे। उनका आखिरी समय भिंड जिले में गुजरा। 


1982 बनी फिल्म चंबल के डाकू में अभिनय -  महात्मा गांधी सेवा आश्रम के अपने कई दौरे में मुझे मोहर सिंह को करीब से देखने का मौका मिला था। बॉलीवुड की सुपर हिट फिल्म चंबल के डाकू माधो सिंह मोहर सिंह के जीवन पर बनी थी। दरअसल 1982 में बनी इस फिल्म में माधों सिंह और मोहर सिंह ने खुद अभिनय भी किया था। चंबल के डाकू समस्या पर यह कोई पहली फिल्म थी जिसमें रीयल लाइफ के बागियों ने अभिनय किया था।

शांति के सिपाही चले ---- सुब्बाराव जी अपने एक लेख में घाना बर्ड सेंक्चुरी  के गेस्ट हाउस में मोहर सिंह से मुलाकात को याद करते हैं। मोहर सिंह सरेंडर के बाद लंबे समय तक खुली जेल में रखे गए थे। बाद में राजस्थान सरकार ने बाकी बागियों के सरेंडर के लिए भी उनकी सेवाएं ली थी। इसी क्रम में वे राजस्थान भी गए थे। सुब्बाराव जी मोहर सिंह और माधो सिंह को 1970-71 के कालखंड में मोहर सिंह को सरेंडर करवाने के लिए अपने प्रयासों को याद करते हैं। मोहर सिंह उनके द्वारा गाए गए भजन – शांति के सिपाही चले...सुनकर भावुक हो गए थे। बाद में उनके समझाने पर वे जय प्रकाश नारायण से मिलने को तैयार हुए और सरेंडर के लिए हामी भरी थी। मोहर सिंह के लिए जौरा का गांधी आश्रम प्रिय स्थल था। वे अक्सर वहां आते रहते थे। 

-        विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( (CHAMBAL KE DAKU, MOHAR SINGH, SN SUBBARAO, JOURA, MORENA ) 

Saturday, 2 May 2020

नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के – बालेश्वर की याद


लॉकडाउन में यूट्यूब पर लोकसंगीत ढूंढते हुए बालेश्वर को सुनने पहुंच गया। भोजपुरी के जाने माने लोकगायक हुआ करते थे बालेश्वर यादव। कई दशक तक उनकी बिरहा शैली में गायकी के लोग दीवाने रहे। सत्तर अस्सी के दशक में बालेश्वर के एलपी रिकार्ड खूब बिकते थे। बालेश्वर खुद गीत लिखते खुद धुन बनाते और गाते। उनका बड़ा प्यारा गीत है - नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के . दरअसल इस गीत में अलग अलग शहरों की बानगी पेश की बालेश्वर ने।
नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के
हावड़ा के काजर बरेली के सुरमा
सलवरवा अलीगढ़ के
नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के
बलिया के सतुआ
देवरिया के मरीचा
मोटकी मुरइया जौनपुर के
नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के

हापुड़ के पापड़ हरियाणा के छोला
नाचेला लौंडा भागलपुर के
नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के

सीतापुर के कदुआ रे, फैजाबादी बंडा
गोंडा के घुइयां सरासर सरके
नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के

दुनिया में नामी लखनऊवा क रेवड़ी
अरे सुंदर मरदवा गाजीपुर के
नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के

झांसी के झूला बनारस के साड़ी
गावेला बलेसर आजमगढ के
नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के


उनका गोरखपुर से खास लगाव था... वे अपने गीतों में गोरखपुर को सबसे ऊपर रखते थे

आरा हिलवलु बलिया हिलवलु त का हिलवलु ,
तनी गोरखपुर हिलाव तक जानी ना...

उनके गीतों में लोगों मनोरंजन होता तो वे सामाजिक कुरीतियों पर भी चोट करते थे। उनका बीए पास घोड़ा गीत खूब चर्चित हुआ था जिसमें उन्होंने दहेज प्रथा पर जोरदार हमला किया था। शब्दों से भी और गायकी के अंदाज से भी।

आज के समाज मे दहेज बना रोडा
बिकाई के ए बाबू बीए पास घोडा
बीबी सोलह साल की तो मरदा पचासा
पइसे के आड़ में बिगड़ गइले जोडा
बिकाइ के ए बाबू बीए पास घोडा

बीबी बीए पास मरदा मिला घसकरा
सीलोन बोले बीबी मरदा जाने सील लोढा
बिकाइ के ए बाबू बीए पास घोडा

बिटिया के खेत बिका बेटहा के बारी
अरे दानो दहेज ने उजाड़ घर छोड़ा
बिकाइ के ए बाबू बीए पास घोडा
राधा जी के प्यार देख... सीताजी की शादी
अरे शिव के धनुषिया बलेसर जो तोड़ा
बिकाइ के ए बाबू बीए पास घोडा

बालेश्वर उत्तर प्रदेश में मउ नाथ भंजन के पास मधुबन के रहने वाले थे। उनके जमाने में उनका गांव आजमगढ़ जिले का हिस्सा था तो अपने को आजमगढ़ वाला कहते थे। अपने आखिरी समय तक वे गायकी में सक्रिय रहे। उनका जन्म एक जनवरी 1942 को हुआ था। नौ जनवरी 2011 को उन्होंने आखिरी सांस ली। साल 2008 से 2010 के बीच महुआ चैनल पर प्रसारित हुए शो बिरहा दंगल में बालेश्वर यादव आए थे। बालेश्वर के गाने की एक खास शैली थी। आ रै रै रै रै रै....की जब वे हेक लगाते तो लोग मुग्ध होकर सुनते।
-         ----विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com 
 ( BIRHA, BALESWAR YADAV, BHOJPURI )