Friday, 22 May 2020

खुशबू का एहसास – बाबा आमटे

कुष्ठ रोगियों के लिए अपना सारा जीवन होम कर देने वाले महान समाजसेवी बाबा आमटे के जीवन पर अनूठी पुस्तक है खुशबू का एहसास – बाबा आमटे। पुस्तक के लेखक हैं अशोक गुजराती। पुस्तक का प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट ने किया है। कुछ माह पहले पुस्तक खरीदी थी, लॉकडाउन के दौरान पढ़ डाली। 

बाबा आमटे 26 दिसंबर 1914 को हुआ। वे 94 साल इस धरती पर रहे। 9 फरवरी 2008 को उन्होंने देहत्याग किया। मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्में बाबा का व्यक्तित्व विलक्षण था। अपनी 450 एकड़ की पारिवारिक विरासत जमींदारी का त्याग कर दिया। काफी ऊंची पढ़ाई की। पर एक दिन अचानक कुष्ठ रोगियों की सेवा में लगे तो सारा जीवन यही उनका लक्ष्य बन गया। अपने जीवन काल में न सिर्फ 55 हजार कुष्ठ रोगियों को निरोग किया बल्कि उनके पुनर्वास का भी इंतजाम किया।
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में वरोरा के पास आनंदवन उनका आश्रम है। उसके आसपास कई और प्रकल्प हैं। उनके इस महान परंपरा को उनके बेटे विकास आमटे और प्रकाश आमटे आगे बढ़ा रहे हैं।
मैंने सन 1991 में पहली बार बाबा का नाम सुना था। हर साल मई में आनंदवन में देश भर के युवाओं के लिए श्रम संस्कार शिविर का आयोजन करते थे। मैं कई बार चाहकर भी उस शिविर में नहीं जा पाया, क्योंकि उसी समय मेरी वार्षिक परीक्षाएं होती थीं।
बाबा को कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार टेंपलटन पुरस्कार मिला था। देश के युवाओं को जोड़ने के लिए उन्होंने 1985 में भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी।
अशोक गुजराती की लिखी इस पुस्तक ने बाबा और उनके कार्यों को समझने का मौका दिया है। पुस्तक की भाषा में प्रवाह है। दो सौ से ज्यादा पृष्ठों की पुस्तक में लेखक ने बाबा और उनके परिवार के बारे में तमाम अनछुए पहलूओं पर प्रकाश डाला है।
-         विद्युत प्रकाश मौर्य – Vidyutp@gmail.com
-         ( BABA AMTE, MURLI DHAR DEVIDAS AMTE )


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