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में यूट्यूब पर लोकसंगीत ढूंढते हुए बालेश्वर को सुनने पहुंच गया। भोजपुरी के जाने
माने लोकगायक हुआ करते थे बालेश्वर यादव। कई दशक तक उनकी बिरहा शैली में गायकी के
लोग दीवाने रहे। सत्तर अस्सी के दशक में बालेश्वर के एलपी रिकार्ड खूब बिकते थे। बालेश्वर
खुद गीत लिखते खुद धुन बनाते और गाते। उनका बड़ा प्यारा गीत है - नीक लागे
टिकुलिया गोरखपुर के . दरअसल इस गीत में अलग अलग शहरों की बानगी पेश की बालेश्वर
ने।
नीक
लागे टिकुलिया गोरखपुर के
हावड़ा
के काजर बरेली के सुरमा
सलवरवा
अलीगढ़ के
नीक
लागे टिकुलिया गोरखपुर के
बलिया
के सतुआ
देवरिया
के मरीचा
मोटकी
मुरइया जौनपुर के
नीक
लागे टिकुलिया गोरखपुर के
हापुड़
के पापड़ हरियाणा के छोला
नाचेला
लौंडा भागलपुर के
नीक
लागे टिकुलिया गोरखपुर के
सीतापुर
के कदुआ रे, फैजाबादी बंडा
गोंडा
के घुइयां सरासर सरके
नीक
लागे टिकुलिया गोरखपुर के
दुनिया
में नामी लखनऊवा क रेवड़ी
अरे
सुंदर मरदवा गाजीपुर के
नीक
लागे टिकुलिया गोरखपुर के
झांसी
के झूला बनारस के साड़ी
गावेला
बलेसर आजमगढ के
नीक लागे टिकुलिया गोरखपुर के
उनका
गोरखपुर से खास लगाव था... वे अपने गीतों में गोरखपुर को सबसे ऊपर रखते थे
आरा हिलवलु
बलिया हिलवलु त का हिलवलु ,
तनी गोरखपुर
हिलाव तक जानी ना...
उनके
गीतों में लोगों मनोरंजन होता तो वे सामाजिक कुरीतियों पर भी चोट करते थे। उनका
बीए पास घोड़ा गीत खूब चर्चित हुआ था जिसमें उन्होंने दहेज प्रथा पर जोरदार हमला
किया था। शब्दों से भी और गायकी के अंदाज से भी।
आज के
समाज मे दहेज बना रोडा
बिकाई
के ए बाबू बीए पास घोडा
बीबी
सोलह साल की तो मरदा पचासा
पइसे
के आड़ में बिगड़ गइले जोडा
बिकाइ
के ए बाबू बीए पास घोडा
बीबी
बीए पास मरदा मिला घसकरा
सीलोन
बोले बीबी मरदा जाने सील लोढा
बिकाइ
के ए बाबू बीए पास घोडा
बिटिया
के खेत बिका बेटहा के बारी
अरे
दानो दहेज ने उजाड़ घर छोड़ा
बिकाइ
के ए बाबू बीए पास घोडा
राधा
जी के प्यार देख... सीताजी की शादी
अरे
शिव के धनुषिया बलेसर जो तोड़ा
बिकाइ
के ए बाबू बीए पास घोडा
बालेश्वर
उत्तर प्रदेश में मउ नाथ भंजन के पास मधुबन के रहने वाले थे। उनके जमाने में उनका
गांव आजमगढ़ जिले का हिस्सा था तो अपने को आजमगढ़ वाला कहते थे। अपने आखिरी समय तक
वे गायकी में सक्रिय रहे। उनका जन्म एक जनवरी 1942 को हुआ था। नौ जनवरी 2011 को
उन्होंने आखिरी सांस ली। साल 2008 से 2010 के बीच महुआ चैनल पर प्रसारित हुए शो
बिरहा दंगल में बालेश्वर यादव आए थे। बालेश्वर के गाने की एक खास शैली थी। आ रै रै
रै रै रै....की जब वे हेक लगाते तो लोग मुग्ध होकर सुनते।
- ----विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( BIRHA, BALESWAR YADAV, BHOJPURI )
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