Saturday, 30 May 2020

कहीं दूर जब दिन ढल जाए….चले जाना योगेश का


जिन्होंने सजाये यहां मेले,
सुख-दुःख संग-संग झेले
वही चुनकर खामोशी,
यूं चले जाएं अकेले कहां

और अकेले  ही चले गए योगेश। 29 मई 2020 को तीन लोग इस दुनिया से रुखसत हो गए। हिंदी फिल्मों में अर्थपूर्ण गीत लिखने वाले योगेश नहीं रहे। तो छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व नौकरशाह अजीत जोगी और ज्योतिषी बेजान दारुवाला का निधन हो गया।
गीतकार योगेश ने फिल्म आनंद के लिए – कहीं दूर जब दिन ढल जाए, सांझ की दुल्हन नजर चुराए, जिंदगी कैसी है पहेली....लिखा। उन्होंने रिमझिम गिरे सावन, सुलग सुलग जाए मन जैसे गीत भी लिखे थे।
योगेश 16 साल की उम्र में गीत लिखने के लिए लखनऊ से मुंबई पहुंच गए थे। योगेश ने एक फिल्म में गाने लिखे। उन्हें ऋषिकेश मुखर्जी ने सुना और 'आनंद' फिल्म में मौका दिया।
रजनीगंधा का 'कई बार यूं भी देखा है'  फिल्म मिली का 'आए तुम याद मुझे' छोटी सी बात का 'न जाने क्यों होता है ये जिंदगी के साथ' जैसे गीतों के शब्द योगेश के थे।

उनके निधन पर लता मंगेशकर ने लिखा – मुझे अभी पता चला कि दिल को छूने वाले गीत लिखने वाले कवि योगेश जी का आज स्वर्गवास हो गया। ये सुनके मुझे बहुत दुख हुआ। योगेश जी बहुत शांत और मधुर स्वभाव के इंसान थे। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।

दूरदर्शन के राज्यसभा चैनल पर शख्शियत कार्यक्रम में योगेश का एक साक्षात्कार सुनने को मिला था।  योगेश गौड़ शहर लखनऊ के रहने वाले थे। उनका जन्म 1943 में हुआ था। सन 1962 में महज 19 साल की उम्र में सखी राबिन फिल्म के लिए उन्होंने छह गीत लिखे थे।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com 
( YOGESH, GEET, FILMS ) 

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