नया वक्त आसमान में एक नए तरह
की लड़ाई का है। यह लड़ाई आसमान में लड़ाकू विमानों से नहीं की जानी है। बल्कि इस
लड़ाई में उपग्रह चैनलों का इस्तेमाल हो रहा है। जो अपने अपने चैनलों के माध्यम से
ग्लोबल समाज में अपनी अपनी विचारधारा और खबरें पेश कर रहे हैं। न सिर्फ बीबीसी
बल्कि सीएनएन, एनबीसी भी अपने देशों
की विचारधार पेश कर रहे हैं। अब अगर स्टार समूह के चैनलों की बात करें तो रुपर्ट
मर्डोक जैसे लोगों ने अपने टीवी चैनल समूह के बल पर दुनिया के कई देशों की राजनीति
को प्रभावित करना आरंभ कर दिया है। एशिया देशों में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के
लिए ही स्टार टीवी और उसके साथ विभिन्न पैकेज चैनलों की शुरूआत की गई है। यह उसी
सूचना सम्राज्यवाद का हिस्सा है।
अरब के देशों की विचारधारा को
पेश करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर कोई चैनल नहीं था, लिहाजा इस जरूरत को पूरी करने के लिए अलजजीरा जैसे चैनल को खोला गया। अब
अल जजीरा पूरी दुनिया में अपनी बातों को ठीक ढंग से रखने के लिए एक अंगरेजी चैनल
शुरू कर रहा है।
भारत में सबस बड़ा टीवी चैनल
समूह जी न्यूज एक अंगरेजी में अंतरराष्ट्रीय चैनल शुरू करने की योजना बना रहा है।
यह जी की ग्लोबल रीच की रणनीति का हिस्सा है। जब इतने लोग इस दौड़ में हैं तो भला
भारत सरकार क्यों पीछे रहे है।
सरकारी मीडिया की जरूरत - दूरदर्शन भारत का एक सरकारी मीडिया है। एक दशक पूर्व दूरदर्शन को स्वायत्त
संस्था बनाने की हवा बहुत तेजी से उठी थी। इसी को लेकर प्रसार भारती का गठन भी
किया गया। पर जब निजी क्षेत्र जिस देश में एक दर्जन समाचार चैनल हों वहां एक
स्वायत्त सरकारी चैनल की क्या जरूत है। दूरदर्शन को अब एक सरकारी मीडिया के तौर पर
काम करना चाहिए। भला सरकार को अपना सरकारी पक्ष मजबूती से किसी विषय पर रखना हो तो
वह किस मंच का इस्तेमाल करेगी। निजी चैनल की अपनी मर्जी है कि वे किसी विषय पर
सरकारी पक्ष को कितना दिखाते हैं। इसलिए आज के दौर में मजबूत सरकारी मीडिया की भी
जरूरत है। इसी के तहत दूरदर्शन का 24घंटे का समाचार
चैनल शुरू किया गया है। अब इसी रणनीति के तहत ही एक अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनल की
बात की जा रही है। यह एक सही समय पर उठाया जाने वाला सही कदम है। इस तरह के किसी
चैनल से पूरे विश्व पटल पर भारत का पक्ष बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया जा सकेगा। अगर
भारत आने वाले समय में विश्व शक्ति के रुप में उभरना चाहता है तो उसे पूरी दुनिया
के बीच अपनी बातें रखने के लिए एक बेहतर मीडिया मिले यह समय की बहुत बड़ी जरूरत
है।
यह सच्चाई है को निजी क्षेत्र
का कोई भी चैनल हो चाहे वह भारतीय हो फिर विदेशी वहां अगर सरकार अपना पक्ष रखना
चाहे तो वह सरकारी पक्ष को कितनी तवज्जो दे वह उस चैनल पर निर्भर करता है। वैसे भी
सभी निजी चैनल खबरों में बिकाउ तत्व को प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसे में सरकारी
पक्ष की अवहेलना होती ही रहती है। ऐसे में सरकार को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय
दोनों ही परिपेक्ष्य में अपना टीवी चैनल जरूर ही चलना चाहिए। सिर्फ सूचना प्रसारण
मंत्रालय या राज्यों की जन संपर्क विभाग ही इन कार्यों को अंजाम देने के लिए
पर्याप्त नहीं है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
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