एक समय आया
था जब समाचार चैनलों पर प्राइम टाइम में सिर्फ अपराध पर आधारित शो ही दिखाई देते
थे। हालांकि अब जुर्म का ज्वार कम हो चुका है। लेकिन खबरिया चैनल अब भी क्राइम की
खबरों को बिकाउ माल मानते हैं बिना इसका ख्याल रखे हुए कि इसका समाज पर कैसा
प्रभाव पड़ेगा। आजतक पर जुर्म, स्टार न्यूज पर
सनसनी, रेड अलर्ट, इंसाफ का तराजू,
एनडीटीवी पर डायल 100, जी न्यूज पर क्राइम
रिपोर्टर, आईबीएन 7 पर क्रिमिनल,
ईटीवी पर दास्ताने जुर्म। एक वक्त ऐसा आया था कि अगर आप रात 10
से 11 बजे तक जिस किसी समाचार चैनल को पर जाएं
आपको क्राइम बुलेटिन ही देखने को मिलता था।
अब एक नजर
डालते हैं भारतीय टेलीविजन में अपराध पर आधारित शो के शुरूआत पर। इसका श्रेय
निश्चय ही सुहैब अहमद इलियासी को जाता है जो जीटीवी पर सबसे पहले इंडियाज मोस्ट
वांटेड जैसा शो लेकर आए। जामिया मीलिया इस्लामिया के स्नातक सुहैब अहमद इलियासी को
भारतीय टीपी पर क्राइम शो बनाने की प्रेरणा लंदन के चैनल फोर पर दिखाए जाने वाले
एक शो से मिली थी। तब भारत में 24 घंटे का कोई समाचार चैनल नहीं आया था लेकिन 1997
में ये शो टेलीविजन पर काफी लोकप्रिय हुआ। इंडियाज मोस्ट वांटेड के हर एपीसोड में
किसी एक मोस्ट वांटेड अपराधी पर केंद्रित स्टोरी की जाती थी। इसके पीछे व्यापक
रिसर्च होता था। अपराधी की असली तस्वीर के साथ उसकी अपराध की कहानी को महिमामंडित
करके दिखाया जाता था। जीटीवी का ये शो काफी लोकप्रिय हुआ। इसकी लोकप्रियता और बढ़
गई जब इंडियाज मोस्ट वांटेड के कारण कई बड़े अपराधी पकड़ लिए गए। बाद में यही
धारावाहिक फ्यूजिटिव मोस्ट वांटेड के नाम से दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुआ। इलिसासी
इसी शो को कुछ सालों बाद इंडिया टीवी पर भी लेकर गए।
जब भारतीय
बाजार में कई समाचार चैनल आ गए तो लगभग हर चैनल अपने शाम के टाइम बैंड में कोई न
कोई क्राइम शो लेकर आने लगा। जी न्यूज का क्राइम रिपोर्टर बहुत लोकप्रिय हुआ लेकिन
उसकी टैगलाइन लोगों को खबरदार करती थी- चैन से सोना है तो जाग जाइए...ये शो काफी
हद तक बच्चों के लिए डरावना था। क्राइम की हर कहानी को बाजार के चालू मुहावरे, बिल्कुल नाटकीय और फिल्मी स्क्रिप्टिंग, मामूली से अपराध कथा को भी चासनी लगाकर कहने की कला से ये सब कुछ टीवी पर
पेश किया जाने लगा। अगर क्राइम से जुड़ी घटना के पर्याप्त विजुअल नहीं हों तो हर
कहानी का नाट्य रूपांतरण होने लगा। स्टार न्यूज पर आने वाले शो सनसनी का टैगलाइन
था- सन्नाटे को चिरती हुई सन्न कर देगी सनसनी। यानी हर ओर ऐसे शो थे जो आपके रातों
की नींद को हराम कर दें। आप इतना जाग जाएं कि आपको रातों को ठीक से नींद न आए। इन
कार्यक्रमों को देखकर कई बार बच्चों के मन में डर भर जाता है तो बड़ों के मन में
भी घृणा और जुगुप्सा का भाव आता है। इन अपराध शो बनाने वालों के लिए हर घटना एक
मसाला की तरह होती है जिसपर त्वरित गति से ये छोटी सी मर्डर मिस्ट्री वाली फिल्म
बनाने की कोशिश करते हैं। ऐसे शो में हॉरर म्यूजिक, अपराध
कथा वाली फिल्मों के फुटेज आदि का सहारा लेकर भी कहानी को पूरा सनसनीखेज बनाने की
कोशिश की जाती है।
हिंदी
फिल्मो में हॉरर मूवी जैसा कथानक लेकर आते हैं ये क्राइम शो। कई बार ये किसी जमाने
की लोकप्रिय पत्रिकाएं मनोहर कहानियां और सत्यकथा की कमी को भरते भी नजर आते हैं।
समाचार चैनल आईबीएन 7 ने तो अपने क्राइम शो क्रिमिनल में एक बार बड़ा भोड़ा प्रयोग
किया। इस शो की एंकरिंग एक महिला से कराया जाने लगा। ये महिला पुराने फिल्मों की
वैंप को कॉपी करती हुई अपराध कथा को सुनाती थी। हालांकि इस शो की इतनी आलोचना हुई
कि महिला एंकर को क्राइम शो से हटाना पड़ा। कुछ समय बाद आईबीएन 7 ने अपने क्राइम
शो क्रिमिनल को भी बंद करने की फैसला लिया। ये चैनल का समाज के हित में एक
बुद्धिमतापूर्ण फैसला कहा जा सकता है। एक समय में तमाम समाचार चैनलों के बीच अपराध
कथा को महिमामंडित करके दिखाने की होड़ सी लग गई थी। जी न्यूज के क्राइम से शो
एंकर राघवेंद्र मुदगिल तो अभिनय की पृष्ठभूमि से आते थे। वे अपनी एंकरिंग में अपने
अभिनेता होने की छाप छोड़ने की पूरी कोशिश करते थे।
वहीं इंडिया
टीवी ने अपने क्राइम शो नया कलेवर दिया। एसीपी अर्जुन। इस शो में एंकर एक एसीपी की
वर्दी में आता है और अपराध की सारी घटनाओं को एक एक कर सुनाता है। न्यूज चैनलों के
सभी क्राइम शो ये बताने की कोशिश करते हैं कि उनका मकसद अपराध को समाज से खत्म
करना है। लेकिन कई बार ऐसा लगता है कि इन शो में विस्तार से बताए गए अपराध के तौर
तरीकों से नए अपराधी और प्रेरणा लेते हैं और बजाए अपराध घटने की बढ़ता जाता है।
जैसे आपको याद होगा कि शोले फिल्म देखने के बाद बड़ी संख्या में कई अपराधियों ने
ये स्वीकार किया था कि उन्हें अपराध करने की प्रेरणा शोले फिल्म को देखकर मिली।
जाहिर सी बात की न्यूज चैनलों पर कोई ऐसा शो बाद में नहीं आया जो इंडियाज मोस्ट
वांटेड की तरह अपराधियों को पकड़वाने में पुलिस की मदद कर सके। लेकिन एक वक्त ऐसा
जरूर आया जब अपराध पर आधारित शो की टीआरपी गिरने लगी। इसके बाद एक एक करके प्राइम
टाइम से अपराध के ये शो गायब होने लगे। हालांकि अभी भी तमाम चैनल क्राइम शो बना
रहे हैं लेकिन अपराध पहले जैसा बिकाउ माल नहीं रह गया है।
सोनी टीवी
पर लंबे समय से अपराध पर आधारित एक शो सीआईडी का प्रसारण हो रहा है। इस शो में भी
किसी सच्ची घटना को आधार बनाया जाता है। लेकिन सीआईडी की टीम हर वारदात की छानबीन
करती है। कई सालों से चलने वाले इस शो ने भारतीय टेलीविजन के इतिहास में
लोकप्रियता के झंडे गाड़े हैं।
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