Friday, 18 March 2011

भारतीय बाजार में विदेशी चैनल


जीटीवी के आने के पहले तक भारतीय बाजार में दूरदर्शन का एकाधिकार था। जीटीवी के आने के साथ ही सेटेलाइट चैनलों का दौर शुरू हुआ, और इसके साथ ही शुरू हुआ केबल टीवी का युग क्योंकि शुरूआती दौर में लोगों के घरों तक पहुंच का माध्यम सिर्फ केबल नेटवर्क ही था। भारत में केबल टीवी के युग की शुरूआत के साथ ही धीरे धीरे भारतीय बाजार में विदेशी चैनलों पहुंचने लगे। यानी भारत में शुरू हुआ सूचना सम्राज्यवाद का नया दौर। विदेशी चैनलों की नजर भारत की बड़ी आबादी पर है जो न सिर्फ उनके लिए बड़ा दर्शकों का बाजार है बल्कि विज्ञापनों का भी बड़ा बाजार है। शुरूआती दौर में देश में सबसे ज्यादा दर्शकों तक पहुंच सिर्फ दूरदर्शन की ही थी इसलिए विदेशी चैनल का विज्ञापन बाजार भी सीमित था, लेकिन जैसे जैसे इन विदेशी चैनलों की ज्यादा घरों में पहुंच बढ़ती जा रही है ये भारत के कुल विज्ञापन बाजार में अपनी हिस्सेदारी भी बढ़ाते जा रहे हैं।
भारतीय बाजार में घुसपैठ बनाने वाला सबसे पहला विदेशी चैनल स्टार समूह है। रूपर्ट मर्डोक ने स्टार बैनर तले नए चैलनों की शुरूआत ही खास तौर पर एशियाई देशों के लिए की थी। स्टार यानी सेटेलाइट टेलीविजन फॉर एशियन रीजन (STAR)। रूपर्ट मर्डोक विश्व के मीडिया बाजार में सबसे अग्रणी लोगों में गिने जाते हैं। वे विश्व के कई बड़े अखबारों और टीवी चैनलों के मालिक हैं। उनके बेटे जेम्स मर्डोक ने उनकी बिजनेश को और नया आयाम प्रदान किया है। ट्वेंटिएथ सेंटुर फॉक्स जैसी फिल्म निर्माण कंपनी और फॉक्स टीवी जैसे कई कंपनियों के मालिक रूपर्ट मर्डोक का मुकाबला दुनिया की दूसरी बड़ी मीडिया कंपनी सीएनएन समूह के मालिक ट्रेड टर्नर के टर्नर नेटवर्क से है। भारत में स्टार टीवी का आगमन जीटीवी समूह में हिस्सेदारी के साथ हुआ। लेकिन कुछ ही सालों में स्टार समूह को भारत में दर्शकों का बड़ा बाजार नजर आया। ऐसे में स्टार की पहली कोशिश जीटीवी की पूरी हिस्सेदारी खरीदने की रही। जैसा कि वे दुनिया के कई देशों में करते आए थे। स्टार समूह के विस्तार करने का तरीका ही कुछ ऐसा रहा है। जैसे बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है ठीक उसी तर्ज पर ये तमाम चलते हुए टीवी चैनल और समाचार पत्रों में हिस्सेदारी खरीदते हैं बाद में उस पर मालिकाना हक कायम करने पर हिस्सेदारी खरीदते हैं। लेकिन भारत में जीटी मालिकाना हक जमाने की कोशिश असफल हो जाने के बाद स्टार समूह ने भारतीय बाजार में आने का फैसला लिया। सबसे पहले भारत में आया स्टार प्लस चैनल। स्टार प्लस मनोरंजन चैनल था। जिस पर शुरूआती दौर में बोल्ड एंड द ब्यूटी फुल और सांताबारबरा जैसे धारावाहिक दिखाए जाते थे। इसके बाद आए स्टार मूवीज, स्टार वर्ल्ड, स्टार स्पोर्ट्स। बीबीसी वर्ल्ड और ईएसपीएन चैनल का भारत में वितरण अधिकार स्टार समूह के पास था।
लेकिन स्टार प्लस चैलन पर विदेशी धारावाहिकों को डब करके हिंदी में दिखाने या फिर उनके मूल रूप से अंग्रेजी में प्रसारित किए जाने पर देश के बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचना संभव नहीं था। इसलिए स्टार प्लस ने अपने चैनल पर लोकल प्रोग्रामिंग को बढावा दिया। यानी स्टार प्लस पर शुरू हुआ भारत में बने हिंदी धारावाहिकों का दौर। इसके साथ ही स्टार समूह ने अपने चैनल पर सुबह में गुड मार्निंग इंडिया तो शाम को खबरों का शो आरंभ किया। स्टार प्लस को खबरें और न्यूज बेस्ड शो बनाने काम भारत में एनडीटीवी जैसी कंपनी करती थी। लेकिन बाद में स्टार समूह ने भारत में हिंदी में अलग से समाचार चैनल स्टार न्यूज आरंभ किया। लेकिन भारत सरकार के कानून के तहत समाचार चैनल या समाचार पत्र में कोई विदेशी कंपनी 26 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकती। इसलिए स्टार समूह को अपने स्टार न्यूज चैनल के अलग से कंपनी बनानी पड़ी और इस कंपनी में उसकी भारतीय हिस्सेदार आनंद बाजार पत्रिका समूह बनी। आनंद बाजार पत्रिका समूह इसी नाम से बांग्ला अखबार और अंग्रेजी के प्रतिष्ठित दैनिक टेलीग्राफ की मालिक है।
अब नजर डालते हैं स्टार समूह के दूसरे चैनलों पर मनोरंजन चैनलें की लोकप्रियता को देखते हुए स्टार ने स्टार वन नाम से एक और चैनल लांच किया। पुरानी फिल्मों के लिए स्टार का चैनल स्टार गोल्ड दर्शकों के सामने आया। स्टार समूह का दूसरा ब्रांड नाम स्काई भी है। स्काई नाम से स्टार की डीटीएच सेवा है। भारत में स्टार की डीटीएच सेवा टाटा समूह के साथ संयुक्त उपक्रम में टाटा स्काई नाम से है। अब स्टार समूह भारतीय दर्शकों के रीजनल बाजार में भी पहुंच गया है। मराठी में स्टार माझा, स्टार प्रवाह, तो बांग्ला में स्टार आनंद, दक्षिण भारत में स्टार विजय जैसे चैनल इसकी छतरी के नीचे हैं। भारत में फॉक्स टीवी और हिस्ट्री चैनल भी स्टार समूह के अंतर्गत है। इसके अलावा स्टार समूह दर्जनों दूसरे चैनलों का भारतीय बाजार में वितरण का भी काम देखती है। वितरण की दृष्टि से कई बार चैनल एक प्लेटफार्म से शिफ्ट कर दूसरे प्लेटफार्म भी चले जाते हैं।
अगर संगीत चैनलों की बात करें तो भारतीय बाजार में आने वाले दो प्रमुख चैनल एमटीवी और चैनल वी रहे। इन चैनलों ने भारतीय दर्शकों पर काफी गहराई से प्रभाव डाला। एमटीवी यानी म्यूजिक टेलीविजन का लक्षित दर्शक समूह 15 से 24 साल का युवा वर्ग है। चौबीस घंटे चलने वाले इस चैनल ने अपने एंकर और वीजे ( वीडियो जॉकी ) को सेक्सी और हॉटेस्ट इन द सिटी कह कर दर्शकों के सामने परोसा। जनवरी 1996 में भारतीय बाजार में आए एमटीवी पर देश की युवा पीढ़ी को गुमराह करने का आरोप भी बुद्धिजिवियों ने लगाया। लेकिन इसके साथ ही एमटीवी कल्चर की शुरूआत देश में हुई जिसका प्रभाव बॉलीवुड की फिल्मों पर भी देखने को मिलने लगा। हालांकि एमटीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टॉम फ्रोस्टर का दावा है कि एमटीवी पर संगीतमय कार्यक्रम दिखाकर हम युवाओं को सेक्स और हिंसा से दूर ले जा रहे हैं। बाद में एमटीवी ने धीरे धीरे भारतीय बाजार के लिए भारतीय एंकरें और वीजे का चयन करना शुरू कर दिया। एमटीवी के प्रमुख प्रतिस्पर्धी चैनल म्यूजिक एशिया और चैनल वी हैं।
सोनी एंटरटेनमेंट ने पूरी तैयारी के साथ अगस्त 1995 में भारतीय बाजार में कदम रखा। आने वाले दो सालों में सोनी ने भारतीय बाजार में दर्शकों के बीच अच्छी जगह बना ली। सोनी के जर्मनी, आस्ट्रेलिया और दुनिया के अलग अलग देशों  में अलग नामों से चैनल चल रहे हैं। लेकिन भारत में सोनी समूह का आगमन विशुद्ध भारतीय तानेबाने में हुआ। इसके सारे कार्यक्रम हिंदी में थे। अगर कोई विदेशी धारावाहिक था तो वह हिंदी में डब था। नया लुक नया बुक मुहावरे के साथ सोनी ने आई ड्रिम आफ जिमी नामक लोकप्रिय कामेडी शो को हिंदी में डब करके पेश किया। इसके साथ ही बुगी वुगी, बिंदास बोल, ताक धिनाधिन जैसे शुरूआती कार्यक्रम सोनी पर खासे लोकप्रिय हुए। सोनी ने अपने हर कार्यक्रम को प्रोडक्ट की तरह लांच करने की नीति अपनाई। इसके साथ ही भारत में दिखाई जाने वाली मनोरंजक घटनाओं की भी मार्केटिंग सोनी ने की। जल्द ही सोनी जीटीवी के बाद देश का दूसरा लोकप्रिय मनोरंजक चैलन बन गया। एक समय आया जब सोनी अपने कार्य़क्रमों की बदलौत नंबर वन मनोरंजन चैलन बन गया जिसे कई सालों बाद स्टार प्लस ने नंबर वन की कुरसी से हटाया। सोनी समूह सोनी के अलावा सेटमैक्स मूवी चैनल, एएक्सएन अंग्रेजी मूवी चैनल का प्रसारण भारत में करता है। वहीं उसने श्री अधिकारी ब्रदर्स के लोकप्रिय चैनल सब टीवी को 2004 में खरीद लिया।
भारत में दिखाई देने वाला दूसरा प्रमुख समूह टर्नर नेटवर्क है। इसका न्यूज चैनल सीएनएन यानी केबल न्यूज नेटवर्क की शुरूआत खाड़ी युद्ध के दौरान हुई थी। सीएनएन की ख्याति पूरी दुनिया में दिन रात न्यूज दिखाने के कारण हुई थी। ये शुरूआती दौर से ही पे चैलन है। भारत में बाद में इसने आईबीएन समूह से समझौता कर सीएनएन आईबीएन नामक न्यूज चैनल शुरू किया। टर्नर समूह के दूसरे चैनल बच्चों के लिए कार्टून नेटवर्क है। शुरूआत में टीएनटी मूवीज और कार्टून नेटवर्क एक ही चैनल पर भारत में आए थे। यानी 12 घंटे मूवीज और 12 घंटे कार्टून बाद में ये दोनों स्वतंत्र चैनल बन गए। टीएनटी मूवीज पर हॉलीवुड की क्लासिक मूवीज का प्रसारण होता है।
एनबीसी एशिया और सीएनबीसी भारत में शुरूआत से ही पे चैनल के रूप में आए। एनबीसी को भारत में खासी लोकप्रियता नहीं मिल सकी, लेकिन सीएनबीसी ने बिजनेस चैनल के रूप में अच्छी लोकप्रियता हासिल की। अब सीएनबीसी का सीएनबीसी आवाज नामक हिंदी चैनल भी है। वहीं एनबीसी विश्व में बहुत लोकप्रिय चैनल है। इस चैनल पर प्रसारित होने वाला कार्यक्रम टू नाइट शो विद जॉय लिनो दुनिया भर में लोकप्रिय शो है। डेटलाइन एनबीसी, ओ लाला जैसे कार्यक्रम भी एनबीसी पर लोकप्रिय हैं। एनबीसी यानी नेशनल ब्राडकास्टिंग कंपनी दुनिया की जानी मानी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक की पेशकश है।
डिस्कवरी उन विदेशी चैनलों में है जो भारतीय दर्शकों में तेजी से लोकप्रिय हुआ। डिस्कवरी समूह के भारत में डिस्कवरी, एनीमल प्लेनेट, ट्रेवेल एंड लिविंग, डिस्कवरी साइंस जैसे चैनल प्रसारित हो रहे हैं। डिस्कवरी भी भारतीय बाजार में पहले दिन से इनक्रप्टेड सिग्नल वाला चैनल था जो जल्द ही पे चैनल में बदल गया। ( डिस्कवरी के बारे में ज्यादा जानकारी शैक्षिक चैनल वाले अध्याय में)
भारत में हिंदुस्तान टाइम्स समूह और लंदन के पियरन समूह, कार्लटन समूह ने मिलकर होम टीवी की शुरूआत की। होम टीवी में मनोरंजन धारावाहिकों के अलावा समाचार और न्यूज बेस्ड प्रोग्रामिंग के लिए भी जगह थी। होम टीवी पर अम्मा एंड फेमिली जैसे धारावाहिक काफी लोकप्रिय भी हुए लेकिन कुछ ही सालों में ये चैनल बंद हो गया।
समाचारों और सामयिक कार्यक्रमों पर केंद्रित चैनल बीबीसी वर्ल्ड भारतीय दर्शकों के लिए शुरू से उपलब्ध है। अगर बच्चों के चैनलों की बात करें तो कार्टून नेटवर्क के बाद निकोलोडियन, डिज्नी चैनल, पोगो, एनीमैक्स जैसे चैनल भारतीय बच्चों के बीच जगह बना चुके हैं। जैसे जैसे भारत में केबल नेटवर्क का विस्तार होता गया डीटीटीएच प्लेटफार्म पर जगह बढने लगी भारतीय बाजार में विदेशी चैलनों की घुसपैठ तेजी बढ़ने लगी। आज भारतीय बाजार में विदेशी चैनलें की गिनती मुश्किल है। कुछ पूरी तरह विदेशी चैनलों तो कई भारतीय चैनलों में विदेशी पूंजी की बढ़ती हिस्सेदारी। ऐसे में ये कहना भी मुश्किल है कौन कितना स्वदेशी है। वायकाम समूह भारत टीवी 18 समूह के साथ समझौता कर कई चैनल ला चुका है जिसमें कलर्स जैसे मनोरंजन चैलन प्रमुख हैं। एचबीओ, ब्लूमबर्ग जैसे कई और चैनल भारतीय बाजार में अगल अलग डिस्ट्रिब्यूशन प्लेटफार्म पर पहुंच चुके हैं तो अब हाई डेफनिशन प्लेटफार्म पर कई विदेशी चैनल आने को तैयार है। देश की आबादी 1 अरब 20 करोड को पार कर चुकी है। इतनी बड़ी आबादी में दो करोड़ लोग तो डाइरेक्ट टू होम यानी डीटीएच के ग्राहक हैं, तो जाहिर है विदेशी चैनलों को बहुत बड़ा बाजार मिल रहा है।


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