लोग सरेआम लूट जाते हैं मेरे शहर में
पड़ोसी बेखबर सोते हैं मेरे शहर में
बीमार की खबर लेने कोई जाता नहीं
मौत पे मर्सिया गाते हैं मेरे शहर में
बेबस बाप का दर्द है कितना अनजाना
शादी की दावतें उड़ाते हैं मेरे शहर में
रोटी की तड़प से मर जाते हैं लोग यहां
स्कॉच पानी सी बहाते हैं मेरे शहर में
प्यार का अर्थ बदला-बदला सा है यहां
मुखौटे में चेहरा छुपाते हैं मेरे शहर में
अक्सर लोग रात में जख्म दे जाते हैं
दिन में हाल पूछने आते हैं मेरे शहर में
गमे रोजगार में वे मेरा हाथ थामे थे
आज वे हासिया बनाते हैं मेरे शहर में
- विद्युत प्रकाश मौर्य ( जून 1994 )
पड़ोसी बेखबर सोते हैं मेरे शहर में
बीमार की खबर लेने कोई जाता नहीं
मौत पे मर्सिया गाते हैं मेरे शहर में
बेबस बाप का दर्द है कितना अनजाना
शादी की दावतें उड़ाते हैं मेरे शहर में
रोटी की तड़प से मर जाते हैं लोग यहां
स्कॉच पानी सी बहाते हैं मेरे शहर में
प्यार का अर्थ बदला-बदला सा है यहां
मुखौटे में चेहरा छुपाते हैं मेरे शहर में
अक्सर लोग रात में जख्म दे जाते हैं
दिन में हाल पूछने आते हैं मेरे शहर में
गमे रोजगार में वे मेरा हाथ थामे थे
आज वे हासिया बनाते हैं मेरे शहर में
- विद्युत प्रकाश मौर्य ( जून 1994 )
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