Tuesday 9 January 2018

मौन ( कविता )

मौन

मौन को कहकर
सर्वश्रेष्ठ आभूषण
खड़ा किया तुमने
संप्रेषणीयता का संकट
हां, बोल पड़ेंगे हम
देखकर तुम्हारी चुप्पी
कि उदास हो जाया करेंगे
देखकर तुम्हारे चेहरे पर
तनाव की रेखाएं।
एक दिन बहुत दूर ले जाएगी
अपनों को अपनों से ही
संवादहीनता की स्थिति
जीवन की सार्थकता
चंद मधुर संवादों में है
क्या तुम बोलोगी
आज की शाम को
-विद्युत प्रकाश मौर्य
(मार्च , 1995)

No comments: