Tuesday, 12 June 2018

चली आना तू मॉल में ( व्यंग्य )

महानगरों में धड़ाधड़ शापिंग माल खुलते जा रहे हैं। हो सकता है ये माल लोगों की जेब को थोड़ी राहत दिलाते हों पर ये महानगर के प्रेमी प्रेमिकों के लिए वरदान बन कर उभरे हैं। अब यहां प्रेमी प्रेमिकाओं के मिलने जुलने की पूरी आजादी है।
अब भला दिल्ली की चिलचिलाती गरमी और कड़कड़ती सरदी में पार्क में या बस स्टाप पर मिलना या किसी का इंतजार करना याद करें तो कितना दुखदायक होता था। पर अब कालेज बंक कर दो दिलों को चुपके चुपके मिलना हो तो शापिंग माल बड़ी मुफीद जगह के रुप में उभर कर आई है। शापिंग माल का लान पूर्णतया वातानुकुलित तो होता ही है साथ ही वहां कॉफीआइसक्रीम पॉपकार्न भी मिल जाता है। अगर आप जेब से कड़के हैं तो कोई बात नहीं यूं ही भी वहां कुछ देर विचरण कर सकते हैं।
दिल्ली मुंबई के शापिंग माल आशिक माशूकों से गुलजार दिखते हैं। अब अगर प्रेमिका है तो उसके लिए कुछ न कुछ खरीददारी तो होगी ही। इसलिए शापिंग माल वालों की चांदी है। वे आपको यह सलाह देने की व्यवस्था भी करते हैं कि प्रेमिका के लिए बाजार में लेटेस्ट गिफ्ट क्या आ रहे हैं। अगर आप अपनी डेट के साथ कुछ एकांत भरे पल चाहते हैं तो उसी शापिंग माल में ब्रांडेड रेस्टोरेंट और काफी शाप ने भी अपना डेरा डंडा जमा रखा है। वहां की किसी टेबल पर बैठकर आप अपनी प्रेमिका की आंखों में आंखे डालकर घंटो बैठ सकते हैं। अब गरमी और सरदी से बचाव हो रहा है तो उसकी कोई कीमत भी चुकानी पड़ेगी।
दिल्ली में जब से मेट्रो रेल की शुरुआत हुई है प्यार भरे दिलों को बड़ी राहत हो गई है। पहले बसों में धक्के खाते हुए कालेज तक पहुंचते थे। अब मेट्रो के रेलवे स्टेशन और मेट्रो रेल गाड़ी भी एसी है। वहां का माहौल भी खूबसूरत और रंगीन है। साथ ही जमीन के नीचे भी मोबाइल नेटवर्क भी काम करता है। पुराने जमाने में प्रेमी प्रेमिका गीत गाते थे चली आना तू पान की दुकान में। उसके बाद गीत थोड़ा इंप्रूव हुआ आती है क्या खंडाला। पर अब नया गीत गाते हैं आती है क्या मेट्रो में। मेट्रो का टिकट खरीदो और अपनी प्रेमिका के साथ शीत ताप नियंत्रित वातावरण में गुफ्तगू करते हुए घर को पहुंचो। अगर थोड़ा और वक्त साथ देना है तो मेट्रो के बाहर निकलते ही कई जगह मेट्रो के भवन में ही शापिंग माल और काफी शाप खुल गए हैं। वह भी केएफसी और बरिस्ता जैसे अंतरराष्ट्रीय चेन भी।
सो मेट्रो रेल चलाने वालों का प्रेमी प्रेमिकाओं का शुक्रगुजार होना चाहिए। वरना पुराने लोगों से पूछकर देखो कि वे दिल्ली की गरमी में कैसे प्यार की पींगे बढ़ाते थे। तब बहुत मुश्किल थी अब बहुत आसान है। हां अगर आपको प्यार करना है जेब भरी हुई तो होनी ही चाहिए। खाली जेब वालों के पास प्रेमिकाएं कम ही फटकती हैं। या फिर ऐसी कोई दिलेर प्रेमिका ढूंढो जो आपके उपर ही रुपया खर्च कर सकती हो। कुछ सालों में दिल्ली का माहौल और बदल जाएगा। हर इलाके में एक शापिंग माल होगा और खुल कर मिलने की आजादी होगी। दुनिया के जितने भी बड़े शापिंग माल वाले भारत में आकर अपनी चेन खोलना चाहते हैं सरकार को उन्हें आने की जल्दी से जल्दी छूट प्रदान करनी चाहिए जिससे वे यहां आकर प्रेमी प्रेमिकाओं के लिए नए इंतजामात कर सकें। इन शापिंग माल में ही कोचिंग सेंटर भी खोल देना चाहिए जहां कुछ नए ढंग के कोर्स चलाए जा सकें।
-- विद्युत प्रकाश मौर्य


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