कई लोग परेशान है कि आखिर वे पैसे को कहां रखें। आयकर विभाग की जगह-जगह नजर है। अगर आपने ने फोन का बिल ज्यादा दिया है
तब भी इनकम टैक्स वाले पूछेगें। क्रेडिट कार्ड से होटल वाले को भुगतान किया तो इस
पर भी सरकार की नजर है। सेठ मक्कीचंद ने अपने घर के रजाई गद्दे, तकिए, सब में नोटों को भर रखा है। कई जगह जमीन
में खोदकर भी रुपए छुपा रखे हैं। अब उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि रुपए को कहां
रखें। छुपाने की जगह नहीं, खर्च करो तो भी सरकार की दस
आंखे पीछा कर रही हैं। अब वह अपनी दिन भर की सारी कमाई गरीबों में जाकर लूटा तो
नहीं सकते ना। हां पर्व त्योहारों में थोड़ा बहुत दान दक्षिणा जरूरत दे देते हैं
ताकि उनकी समाज में दानवीर के रुप में साख बनी रही। कुछ संस्था वाले आ जाते हैं
उन्हें भी डोनेशन दे देते हैं।
--- विद्युत प्रकाश मौर्य
अब सेठ
मक्कीचंद पर लक्ष्मी जी मेहरबान हैं तो भला इसमें सरकार के सिर में क्यों दर्द
होता है। कुछ साल पहले तक सेठ मक्कीचंद जैसे लोगों का काम बड़े आराम से चल रहा था
पर अब सरकार चालाक हो गई है। उसने इनकम टैक्स वालों को निदेश दे दिए हैं कि पैसा
छुपाने के तमाम नए नए तरीके इजादो हो रहे हैं तो आप भी पैसा उगाहने के नए नए तरीके
पर नजर रखो। बैंक एकाउंट पर नजर रखो। क्रेडिट कार्ड एकाउंट पर नजर रखो। फोन के बिल
पर नजर रखो। विदेश यात्रा, क्लबों में खर्च, हवाई
यात्रा सब पर नजर रखो। कोई ज्यादा रुपए का लेनदेन करता है तो उसका पैन कार्ड
मांगो। सेठ मक्कीचंद को लगता है कि यह उनकी आजादी पर हमला। वे कोठे वाली हीरामन
बाई पर लाखों लूटा दें। इससे भला इनकम टैक्स वालों को क्या। यह उनका निजी मामला
है। पर अब बहुत कम मामले निजी रह गए हैं। पहले सिर्फ महंगे उपहारों पर नजर रहती
थी। अब कई और बातों पर नजर रहती है। इनकम टैक्स वाले गाना गा रहे हैं- आते जाते हुए सब पे नजर रखता हूं। नाम अब्दुल है मेरा सबकी खबर रखता हूं।
सेठ
मक्कीचंद अब पैसा खर्च करने के नए तरीके ढूंढ रहे हैं जिससे वे इनकम टैक्स वालों
की नजरों से बच सकें। अगर आपके पास भी कोई सुझाव हो तो उन्हें बताएं। हां पर समाज
सेवा का कोई तरीका मत बताइएगा। वे समाजसेवा का कोटा पहले ही पूरा कर चुके हैं।
बकौल मक्कीचंद अगर वे अपनी दुकान पर लोगों को समान बेच रहे हैं तो एक तरह से
समाजसेवा ही तो कर रहे हैं। हां इस सेवा के बदले वे थोड़ा सा लोगों से शुल्क लेते
हैं। वैसे ही जैसे सरकार सर्विस टैक्स लेती है। अब ये सरकार को समझना है चाहिए कि
पहले सर्विस टैक्स भी वसूल लेती है, फिर हमारे ऊपर वेल्थ टैक्स भी लगाती है। अब इनकम टैक्स, फ्रिंज बेनिफिट टैक्स न जाने किन नए नए नामों से हमारे पीछे पड़ी है।
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