Monday 4 June 2018

सावधान, कोई देख रहा है... ( व्यंग्य )

आप कहीं भी हों हो सकता है कोई छुपा हुआ कैमरा आपका पीछा कर रहा हो। इसलिए तनिक सावधान हो जाइए। ऐसा हर लोकप्रिय आदमी के साथ हो सकता है। अगर आप लोकप्रिय हैं तो आपको इसकी कीमत तो चुकानी ही होगी। आप कहेंगे यह आपकी निजता पर हमला है। भला किसी लोकप्रिय आदमी की निजता क्या होती है। उसका सब कुछ सार्वजनिक होना चाहिए। ये जो पब्लिक है ना सब कुछ जानना चाहती है। अभी तक आप किसी अभिनेत्री या अभिनेता के बारे में पढ़ते आए थे। मसलन वह कौन से नंबर के जूते पहनता है। कौन सी ब्रांड की परफ्यूम लगता है। रात को आठ बजे के बाद वह कौन से रेस्टोरेंट में जाता है। किस हीरोईन के साथ कौन से हीरो का चक्कर चल रहा है। अब किसी दूसरे लोकप्रिय पेश के बारे में भी लोग जानना चाहते हैं। पब्लिक बड़ी खुश है। उसे हर हफ्ते किसी न किसी लोकप्रिय हस्ती की वीडियो सीडी या एमएमएस के बारे में सुनने या देखने को मिल जाता है। अब एक ही तरह की कहानी पर घिसी पिटी फिल्में भी वह भला कब तक देखती रहे। आजकल रियलिटी शो का जमाना है। ऐसे में कुछ लोकप्रिय लोगों को कारनामों की कुछ मिनटों के बारे में सुनने को मिल जाता है तो इसमें बुरा क्या है। जो लोग यह कहते हैं कि स्टिंग आपरेशन बुरा हैवे डरे हुए लोग हैं। चोर की दाढ़ी में तिनका होता है न। वे नहीं चाहते कि उनके काले कारनामों के बारे में लोग जान लें। भला मीडिया वालों का काम ही क्या है। वे तो अंदर की बात ढूंढ कर लोगों को बताएंगे ही। सुना है कि देश का पहला अखबार निकालने वाला जेम्स आगस्टस हिकी अपने बंगाल गजट के पहले पन्ने पर बड़े शान से यह छापता था कि रात को 12 बजे गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स की बीबी मुख्य न्यायधीश की बाहों में झुलती हुई देखी गई। लोग तब भी पढ़ना और सुनना चाहते थे। अब भी चाहते हैं। अब वीडियो का जमाना है तो लोग देखने का सुख भी प्राप्त करना चाहते हैं। गाली देना ही है तो पानी पी-पी कर उन्हें गाली दीजिए जिन वैज्ञानिकों ने मुआ ऐसे कैमरे बना दिए हैं जिसमें पता ही नहीं चलता है कि कैमरा है या शर्ट का बटन। हमारे सांसदों को जब लोगों ने लेन-देन करते हुए देखा तो वे शर्मशार नहीं हुए। उनमें से कई ऐसे थे जो नेशलन न्यूज में नहीं रहते थेइसी बहाने खबरों में आ गए। कहते हैं बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा। पब्लिक सब थोड़े दिन में भूल जाती है। फिर से चुनाव लड़कर आ जाएंगे। जैसे नन्हें से बच्चे को खिलौने देकर समझा लेते हैं उसी तरह जनता को भी समझा लेंगे। पर ये लेनदेन का व्यापार तो हमारे जन प्रतिनिधि जारी रखेंगे ही। अब घोड़ा अगर घास से दोस्ती कर लेगा तो खाएगा क्या। हमारे नेता जी गर्व से कहते हैं साधु नहीं हूं। रसीला आदमी हूं ...तो रसीली बातें ही करूंगा। राजनीति को रसीलें लोगों की जरूरत भी है। इसके बिना सब कुछ नीरस सा नहीं हो जाएगा और नीरस इतिहास कभी सच्चा नहीं होता। नेहरू जी के जमाने में ये छोटे कैमरे नहीं थे नहीं तो एडविना की वीसीडी भी जरूर बनी होती। हम किस्से सुनकर ही दिल को तसल्ली दे देते हैं। देखते जाइए अभी देश में कई मोनिका लेविंस्कियां आने वाली हैं।
-- विद्युत प्रकाश मौर्य


No comments: