डकैती से बदनाम हो चुकी चंबल घाटी के 654 खूंखार डाकुओं को सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कराने वाले इस शख्स से मिलिए। ये हैं बेंगलूरू के प्रसिद्ध गांधीवादी डॉ. एसएन सुब्बाराव।
बकौल, सुब्बाराव ‘पचास-साठ के दशक में चंबल घाटी के खूंखार डाकूओं के आतंक से जहां सरकार परेशान थी, वहीं तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल पुलिस के जरिए इन पर शिकंजा कसने में लगे थे। लगभग रोज होने वाली मुठभेड़ में कभी डाकू मर रहे थे तो कभी पुलिसकर्मी शहीद हो रहे थे।
उस वक्त मुझे लगा कि शायद सरकार का तरीका गलत है। हर रोज हो रही हिंसा जब देखी न गई तो प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के मिलकर मैंने गांधीवादी तरीके से डाकुओं को समझाने का एक मौका मांगा।’ अमर उजाला से बातचीत करते हुए डॉ. एसएन सुब्बाराव ने बताया कि एक दुबले-पतले व्यकित पर प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण व आचार्य विनोबा भावे जैसी हस्तियों ने मुझे प्रोत्साहन दिया। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन के चार साल चंबल घाटी के डाकुओं के बीच ही बिताकर उन्हें महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित किया। डॉ. सुब्बाराव के प्रयास ही थे कि डकैती से बदनाम हो चुकी चंबल घाटी के 654 खूंखार डाकुओं ने सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का फैसला किया।
उनके प्रयासों को जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक ने सराहा। अपने इन्हीं गांधीवादी प्रयासों के लिए प्रसिद्ध 90 वर्षीय डॉ. एसएन सुब्बाराव मंगलवार को हिसार जिले के गांव किरतान पहुंचे हुए थे। यहां उन्होंने शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा का अनावरण किया।
देश की सारी भाषाओं की समझ: डॉ. एसएन सुब्बाराव का कहना है कि उन्हें देश की लगभग सभी भाषाओं की समझ है। इन भाषाओं में बोलने-समझने के साथ-साथ वह इन भाषाओं में गीत भी गा लेते हैं। इस पर वे तर्क देते हैं कि गांधीवादी विचारों से लोगों को अवगत करवाने के लिए उन्हें देश के कोने-कोने में जाना होता है, इसलिए अलग-अलग प्रांत में अलग-अलग भाषा होने के कारण वहां के लोगों से बेहतर संवाद के लिए भाषा सीखनी जरूरी होती है।
जब लगा कि आज तो मर जाऊंगा: एक किस्सा सुनाते हुए डॉ. सुब्बाराव ने बताया कि मध्य प्रदेश की चंबल घाटी में डाकुओं के बीच उन्हें समझाने गए थे। वहां डाकू आपस में ही लड़ पड़े। चारों ओर से गोलियां चल रहीं थीं। तभी एकबारगी लगा कि आज तो मर जाऊंगा। इसी बीच एक गोली किसी अन्य आदमी को आकर लगी और वो गिर पड़ा।
इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद भी उन्होंने हौसला नहीं खोया, डाकुओं को सज्जन बनाने के लिए पूरे प्रयास किए। आखिरकार 1972 में महात्मा गांधी सेवा आश्रम में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की मौजूदगी में डाकुओं ने आत्मसमर्पण भी किया।
डॉ. एसएन सुब्बाराव बताते हैं कि अलग-अलग भागों में डाकुओं में युवा चेतना शिविर लगाकर बदलाव कर उन्हें आत्मसमर्पण के लिए राजी किया। कभी 50 तो कभी 20 लोगों का मन बदलता तो उनका सरकार के सामने आत्मसमर्पण करवा देते। आखिरी बार जब डाकुओं ने आत्मसमर्पण किया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उन्हें देखने के लिए पहुंची।अन्ना हजारे ने भी माना गुरु
देश के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी डॉ. सुब्बाराव को अपना गुरु मानते हैं। एक किस्सा सुनाते हुए डॉ. सुब्बाराव ने कहा कि अन्ना हजारे आर्मी से रिटायर होने के बाद अपने गांव रालेगण सिद्धी में शराब पीने वालों को पीटकर उनकी बुरी आदतें छुड़वाते थे। उन्होंने अन्ना को ऐसे लोगों को गांधीवादी तरीके से समझाने के लिए प्रेरित किया।
इसके बाद अन्ना ने कभी हाथ नहीं उठाया। कुछ दिन पहले ही अन्ना ने अपने गांव में कार्यक्रम आयोजित कर डॉ. सुब्बाराव से ग्रामीणों को मुखातिब करवाया था। अन्ना हजारे की इच्छा है डॉ. सुब्बाराव का 100 वां जन्म दिन उनके गांव रालेगण सिद्धी में मनाया जाए।
डॉ. एसएन सुब्बाराव, प्रसिद्ध गांधीवादी ने कहा कि भारतीयों को दुनिया भर में खूब सम्मान मिलता है। सिर्फ गंदगी और भ्रष्टाचार के कारण नीचा झुकना पड़ता है। देश की असली दौलत नौजवान हैं। यही युवा पीढ़ी देश को भ्रष्टाचार, भुखमरी, गंदगी व नशे के जाल से बाहर निकाल भारत मां का गौरव बढ़ा सकती है।
निरंतर करते हैं यात्राएं: डॉ. एसएन सुब्बाराव ब्रह्मचार्य जीवन जीते हैं। गर्मी हो या सर्दी खादी की कमीज और निकर ही सुब्बाराव की वेशभूषा है। अपने कपड़े स्वयं धोते हैं। फिर निरंतर यात्राएं करने के लिए निकल पड़ते हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए रेलगाड़ी में सफर करते हैं।
10 वर्ष की उम्र में ही गीता और उपनिषद् के भक्ति गीतों का गायन करने लगे। 9 अगस्त 1942 को ब्रिटिश विरोधी नारे लगाने पर गिरफ्तार हुए। उनकी संगठन कुशलता के तो प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी कायल थे। अब तक अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, कनाडा, सिंगापुर, इंडोनेशिया, श्रीलंका सहित अनेक देशों की यात्रा कर चुके हैं।
देश के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी डॉ. सुब्बाराव को अपना गुरु मानते हैं। एक किस्सा सुनाते हुए डॉ. सुब्बाराव ने कहा कि अन्ना हजारे आर्मी से रिटायर होने के बाद अपने गांव रालेगण सिद्धी में शराब पीने वालों को पीटकर उनकी बुरी आदतें छुड़वाते थे। उन्होंने अन्ना को ऐसे लोगों को गांधीवादी तरीके से समझाने के लिए प्रेरित किया।
इसके बाद अन्ना ने कभी हाथ नहीं उठाया। कुछ दिन पहले ही अन्ना ने अपने गांव में कार्यक्रम आयोजित कर डॉ. सुब्बाराव से ग्रामीणों को मुखातिब करवाया था। अन्ना हजारे की इच्छा है डॉ. सुब्बाराव का 100 वां जन्म दिन उनके गांव रालेगण सिद्धी में मनाया जाए।
डॉ. एसएन सुब्बाराव, प्रसिद्ध गांधीवादी ने कहा कि भारतीयों को दुनिया भर में खूब सम्मान मिलता है। सिर्फ गंदगी और भ्रष्टाचार के कारण नीचा झुकना पड़ता है। देश की असली दौलत नौजवान हैं। यही युवा पीढ़ी देश को भ्रष्टाचार, भुखमरी, गंदगी व नशे के जाल से बाहर निकाल भारत मां का गौरव बढ़ा सकती है।
निरंतर करते हैं यात्राएं: डॉ. एसएन सुब्बाराव ब्रह्मचार्य जीवन जीते हैं। गर्मी हो या सर्दी खादी की कमीज और निकर ही सुब्बाराव की वेशभूषा है। अपने कपड़े स्वयं धोते हैं। फिर निरंतर यात्राएं करने के लिए निकल पड़ते हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए रेलगाड़ी में सफर करते हैं।
10 वर्ष की उम्र में ही गीता और उपनिषद् के भक्ति गीतों का गायन करने लगे। 9 अगस्त 1942 को ब्रिटिश विरोधी नारे लगाने पर गिरफ्तार हुए। उनकी संगठन कुशलता के तो प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी कायल थे। अब तक अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, कनाडा, सिंगापुर, इंडोनेशिया, श्रीलंका सहित अनेक देशों की यात्रा कर चुके हैं।
- कपिल भारतीय अमर उजाला, हिसार(हरियाणा)
National Youth project
National Youth Project is a NGO founded by noted Gandhian Dr. S.N. Subbarao in 1970.
Contact add:
Dr. S.N Subbarao, Director, NYP
221, Dindyal upadhayay Marg, New Delhi-110002 (INDIA)
Tel. 011-23222329
Email : nypindia@hotmail.com
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