Monday, 10 September 2018

सुब्बाराव को जमनालाल बजाज एवार्ड

एसएन सुब्बराव जी को जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित करते इन्फोसिस के संरक्षक नारायणमूर्ति।

प्रख्यात गांधीवादी और राष्ट्रीय युवा योजना के निदेशक डा. एसएन सुब्बराव को प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार से नवाजा गया। यह पुरस्कार उन्हें 6 नवंबर 2006 को मुंबई में इन्फोसिस के संरक्षक एनआर नारायणमूर्ति के हाथों मिला। इस पुरस्कार में उन्हें 5 लाख रुपए की राशि प्रदान की गई।
इससे पूर्व सुब्बराव जी को राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार दिया जा चुका है। उन्हें काशी विद्यापीठ वाराणसी ने मानद डाक्टरेट की उपाधि भी प्रदान कर रखी है।

सुब्बराव जी को लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड


नई दिल्ली में 14 मई 2015 को राष्ट्रीय युवा योजना के निदेशक श्री एस एन सुब्बराव जी को लाइफ टाइम एटीवमेंट अवार्ड से विभूषित करते प्रख्यात साहित्यकार डाक्टर नरेंद्र कोहली। सुब्बराव जी को ये सम्मान स्पंदन आर्ट फेस्टिवल की ओर प्रदान किया गया। संस्था के निदेशक अनंत विकास जी साथ हैंं।इस मौके पर गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष राधा भट्ट को भी संस्था ने लाइफ टाइम अचिवमेंट सम्मान से नवाजा गया। 





पुस्तक विमोचन - बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी की जीवनी बेघरों के घर से (संपादकः नरेन्द्र पाठक) का लोकार्पण प्रख्यात गांधीवादी डा. एस.एन. सुब्बराव (भाई जी), निदेशक-राष्ट्रीय युवा योजना द्वारा 3 जुलाई 2015 को संपन्न हुआ।




Subbarao in Abroad.
THE ENLIGHTENED ONE: Dr. S.N. Subba Rao (above right) shares an analogy, using beans, with EMU student Catherine Perrow during Rao's visit to campus Aug. 23. Rao, a recipient of numerous social services awards who has been called "the living spirit of Mahatma Gandhi," spent the day interacting with EMU students and community members to share his experiences and insights. Rao serves as the director of the National Youth Project Trust in India, teaching young people the principles of truthfulness, tolerance and self-help.

Rao was 13 when he joined — Aug. 8, 1942 — India's freedom struggle through the Quit India Movement. As he recalled that day, Rao said he, like many students, left their classrooms to protest in the streets against British occupation of India. Because he was wearing a shirt of woven cloth like Gandhi typically wore, he was taken to the "lockup" by British police. After he was released, he said to himself, "Well, this is something. I have my country." (you can see link www.emich.edu/focus_emu/ 083005/raophoto.html)



राष्ट्रीय युवा योजना की पत्रिका युवा संस्कार का साल 2015 का दूसरा अंक। 


No comments: