भोपाल। गांधीवादी विचारक डॉ. एस.एन. सुब्बाराव ने कहा है कि सज्जनों की निष्क्रियता और दुर्जनों की सक्रियता जैसी दो बुराईयां समाज में विद्यमान हैं, इसी वजह से अपराधवृत्ति समाप्त नहीं हो रही है। अच्छे लोग यदि सक्रिय हो जायें तो किसी हद तक अपराधों पर अंकुश लग सकता है। डॉ. सुब्बाराव ने यह बात आज यहां ''अपराध-विवेचना एवं सामाजिक जागरूकता'' विषय पर अपने व्याख्यान में कही। म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा बसंत व्याख्यानमाला के तहत ''मंथन'' कार्यक्रम में इस व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में म.प्र. मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री जस्टिस डी.एम. धर्माधिकारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। डॉ. सुब्बाराव ने कहा कि अपराधमुक्त समाज के लिये पुलिस और अच्छे लोगों के बीच समन्वय आवश्यक है। समाज जितना अधिक जिम्मेदार होगा सरकार और पुलिस पर काम का बोझ उतना ही कम होगा।
श्री सुब्बाराव ने कहा कि बापू ने सर्वप्रथम देश की एकता को कायम रखने का संदेश दिया था, इसलिये हमें क्षेत्रीयता और भाषायी संकीर्णताओं से ऊपर उठकर अपने वैविध्यपूर्ण सांस्कृतिक स्वरूप को बनाये रखने के लिये सामूहिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि भाषाओं के आधार पर देश को कमजोर करना घातक होगा। इसलिये हिन्दी के प्रसार के साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं को भी समान रूप से बढ़ने के अवसर मिलने चाहिये। श्री सुब्बाराव ने कहा कि अच्छा शहर वही होता है जहां पुलिस की कम से कम जरूरत पड़े। लेकिन विडंबना है कि चौराहों पर लाल बत्ती जलते रहने के बावजूद भी यातायात पर नियंत्रण के लिये 4-5 पुलिस कर्मियों का एक समूह खड़ा रहता है। जिस दिन लोग स्वेच्छा से नियमों का पालन करेंगे, उस दिन अपराधवृत्ति कम हो जायेगी। श्री सुब्बाराव ने कहा कि पाप से घृणा होनी चाहिये, पापी से नहीं। (February 14, 2010)
श्री सुब्बाराव ने कहा कि बापू ने सर्वप्रथम देश की एकता को कायम रखने का संदेश दिया था, इसलिये हमें क्षेत्रीयता और भाषायी संकीर्णताओं से ऊपर उठकर अपने वैविध्यपूर्ण सांस्कृतिक स्वरूप को बनाये रखने के लिये सामूहिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि भाषाओं के आधार पर देश को कमजोर करना घातक होगा। इसलिये हिन्दी के प्रसार के साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं को भी समान रूप से बढ़ने के अवसर मिलने चाहिये। श्री सुब्बाराव ने कहा कि अच्छा शहर वही होता है जहां पुलिस की कम से कम जरूरत पड़े। लेकिन विडंबना है कि चौराहों पर लाल बत्ती जलते रहने के बावजूद भी यातायात पर नियंत्रण के लिये 4-5 पुलिस कर्मियों का एक समूह खड़ा रहता है। जिस दिन लोग स्वेच्छा से नियमों का पालन करेंगे, उस दिन अपराधवृत्ति कम हो जायेगी। श्री सुब्बाराव ने कहा कि पाप से घृणा होनी चाहिये, पापी से नहीं। (February 14, 2010)
अपनी शक्ति पहचानें युवा: डा. एसएन सुब्बाराव
गोरखपुर: गांधी विचारक व चिंतक डा. एसएन सुब्बाराव (भाई जी) ने यहां युवाओं का आह्वान किया कि वे देश को विश्वगुरु बनाने के लिए जाति-धर्म एवं भेदभाव की संकीर्ण सोच से मुक्त होकर कार्य करें। कोई भी कार्य करते समय युवा शक्ति को भटकाव से बचना होगा। उन्हें अपनी शक्ति का सही आकलन और उपयोग करना होगा। अगर युवा सही दिशा में दिल और दिमाग से कार्य करेंगे तो वे निश्चित रूप से आगे बढ़ेंगे। साथ ही पूरा समाज व देश भी प्रगति पथ पर अग्रसर होगा।
सुब्बाराव बापू स्नातकोत्तर महाविद्यालय पीपीगंज के खेल मैदान में 22वें प्रादेशिक रोवर/रेंजर समागम समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व में सभी देश ताकत व हथियार की होड़ में अरबों रुपये पानी की तरह बहा रहे हैं। अगर किसी भी देश का युवा आगे बढ़कर देश व समाज हित में कार्य करें तो वे देश वैसे ही पूरे विश्व में आगे बढ़ जाएगा। देश के युवाओं को गांधी जी, बादशाह खान एवं मदर टेरेसा के विचारों और उनके आदर्शो को अपने जीवन में उतारते हुए समाज में कार्य करना होगा। (Mon, 23 Feb 2015, JAGRAN)
ललितपुर। गांधीवादी विचारक डॉ. एस.एन. सुब्बाराव ने कहा कि हमें नशे की गंदी लत से अपने देश को बचाना होगा। हमें मिलकर इस बुरी आदत को युवाओं से दूर करते हुए जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से सुबह जल्दी उठकर एक घंटा योग व एक घंटा देश सेवा करने की बात पर जोर देते हुए कहा कि बाकी 22 घंटे दिनचर्या के अन्य कार्यों को करें, तभी हमारा देश नशा मुक्त हो सकता है। राष्ट्रीय युवा योजना और जनचेतना मंच के तत्वावधान में नेहरू महाविद्यालय के प्रांगण में चल रहे नशा मुक्ति एकता शिविर में डॉ. एस.एन. सुब्बाराव व इंडोनेशिया से आए इन्द्रय उडयन शामिल हुए और संयुक्त रूप से शिविर का नेतृत्व किया। ( 22 JAN 2015)
समय की पाबंदी नहीं
आगरा: सर्वोदय चरखा मंडल और सर्वोदय सत्संग मंडल द्वारा लता कुंज बालूगंज में कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि गांधीवादी नेता एसएन सुब्बाराव ने कहा कि भारतवर्ष में लोगों के पास घड़ियां बहुत हैं लेकिन समय की पाबंदी नहीं है। आध्यात्म को सामाजिकता से जोड़ा जाए। गांधीजी ने इसी राष्ट्रवाद को समझाया था। जिसमें आध्यात्म और सामाजिकता मिली-जुली हुई थी। ( जागरण, 13 अप्रैल 2015)
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