Friday 7 September 2018

आ रहीं हैं झूमती नौजवान टोलियां....

आ रहीं हैं झूमती...

आ रहीं हैं झूमती नौजवान टोलियां
उठो तुम्हे जगा रही हैं प्रभात फेरियां
देश देश में नए प्रसून आज खिल रहे
एक दीप से अनेक दीप आज जल रहे।

आज जागरण भरा विहान आ गया
आज राष्ट्र में फिर नवीन प्राण आ गया
क्रांति से भरा हुआ युग महान आ गया
फिर स्वदेश से गया नव विहान आ गया...
आ रही हैं...

आज देश के लिए मर मिटे पुकार है
मातृभूमि के लिए चल रहे गुहार है
क्रांति आज पूछती क्या मुझे अपनाओगे
क्या महल की ईंट से झोपड़ी बनाओगे
नौजवान ने कहा, हम गले लगाएंगे
हम महल की ईंट से झोपड़ी बनाएंगे
आ रही हैं...

ज्ञान दीप लिए हम गांव गांव जाएंगे
स्वदेश की पुकार को हम उन्हें सुनाएंगे
पास की स्वतंत्रता सुन रही खड़ी खड़ी
दीप मुस्कुरा उठे, झोपड़ी भी हंस पड़ी
बह चली प्राण वायु मूल्य आंकने लगी,
उच्च हिमगिरी वट से ऊषा झांकने लगी।
आ रही हैं झूमती....


आ गया आ गाया आ गया....


आ गया आ गाया आ गया
जागने का वक्त आ गया
मौत की चुनौतियों को सुन
जिंदगी कभी नहीं रूकी
काल की कराल शांति से
जिंदगी कभी नहीं झुकी
जो जवान देश के लिए शहीद हो गया
मौत को वही जगा गया...आ गया..3

खून है स्वदेश के लिए
जान है स्वदेश के लिए
आबरु का ये सवाल है
गरजता तूफान आज इन दिलों में उठ गया
मौत को वही झुका गया...आ गया...3

सरहदों की वो पहाड़ियां
झांक कर हमें निहारती
क्यों न सुनो वहां की घाटियां
गूंजती हमें निहारती
इंच-इंच भूमि हम स्वदेश की बचाएंगे

कफन बांध प्रण ये कर लिया... आ गया...3

बातें अब बंद करें

बातें अब बंद करे , मन में संकल्प करें
हिल मिल सब काम करें देश के लिए...
पथ के हर कांटे का हंस कर सम्मान करें
मेहनत पर हम अपनी केवल अभिमान करें
रुके नहीं हाथ कभी, थके नहीं पांव कभी
यत्न हम तमाम करें, देश के लिए...

श्रम की पूजा से खेतों में अन्न है
खुश होती है धरती मां लोग सब प्रसन्न हैं
जीवन का है मंत्र परम, लगातार केवल श्रम
हम उसे प्रणाम करें, देश के लिए...

आंखों में सपनों के नए नए रंग हों
जीवन में सपनों के नए नए छंद हों
मेहनती जवान हो या फिर कोई किसान हो
हम उन्हे सलाम करें, देश के लिए....
बातें अब बंद करें......

इसलिए हम राह
इसलिए हम राह संघर्ष की चुनें
जिंदगी आंसूओं से नहाई न हो
शाम सहमी न हो, रात हो न डरी डरी
भोर की आंख फिर डबडबाई न हो।
इसलिए हम राह....

सूर्य पर बादलों का पहरा न हो
रोशनी रोशनाई में डूबी न हो
यूं न ईमान फुटपाथ पर हो खड़ा
हर समय आत्मा सबकी उबी न हो
आसमां में रंगी हो न खुशहालियां
कैद महलों में सबकी कमाई न हो...
इसलिए हम राह....

कोई अपनी खुशी के लिए गैर की
रोटियां छीन ले हम नहीं चाहते
छिंट कर थोड़ा चारा कोई उम्र की
हर खुशी बीन ने हम नहीं चाहते
हो किसी के लिए मखमली बिस्तरा
किसी के लिए चटाई न हो...
इसलिए हम राह....

अब तमन्नाएं फिर न करें खुदकुशी
ख्वाब पर खौफ की चौकसी न रहे
श्रम के पांव में न हो बेड़िया
शक्तिकी पीठ अब ज्यादती न सहे
दम न तोड़े कहीं भूख से बचपना
रोटियोंके ले फिर लड़ाई न हो।
इसलिए हम राह....

एकता एकता एकता एकता का दीया....

एकता एकता एकता एकता का दीया
इस जमीं पे सदा जगमगता रहे
आदमी, आदमी के लिए प्यार के गीत
बुनता रहे, गुनगुनाता रहे।
एकता...

रंग और नस्ल का भेद बेकार है
आदमियत वहां जहां प्यार है...
भाईचारे का बंधन न टूटे कभी
वक्त चाहे हमें आजमाता रहे।
एकता...

फल फूल आएगा, पेड़ इतेहाद का
हम अगर एक हैं, हुश्न है ताज का
मादरे हिंद तेरा हर एक पासवां
तेरी अजमत के ही गीत गाता रहे।
एकता....

लाख तूफां आए चले आंधियां
आसमां से कौंधे बिजलियां
अपना अज्मे जमां साथियों दोस्तों
कठिन घड़ियों में भी मुस्काराता रहे।
एकता एकता.....


( गीतकार – यश शर्मा, 24 पी, गांधीनगर जम्मू) 

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