नौजवान आओ रे, नौजवान गाओ रे ।।
लो क़दम बढ़ाओ रे, लो क़दम मिलाओ रे ।।
ऐ वतन के नौजवान, इक चमन के बागवान ।
एक साथ बढ़ चलो, मुश्किलों से लड़ चलो ।
इस महान देश को नया बनाओ रे ।।
नौजवान...
धर्म की दुहाइयां, प्रांत की जुदाइयां।
भाषा की लड़ाइयाँ, पाट दो ये खाइयाँ ।
एक मां के लाल, एक निशां उठाओ रे ।।
नौजवान...
एक बनो नेक बनो, ख़ुद की भाग्य रेखा बनो ।
सर्वोदय के तुम हो लाल, तुमसे यह जग निहाल ।
शांति के लिए जहाँ को तुम जगाओ रे ।।
नौजवान...
मां निहारती तुम्हें, मां पुकारती तुम्हें ।
श्रम के गीत गाते जाओ, हंसते मुस्कराते जाओ ।
कोटि कण्ठ एकता के गान गाओ रे ।।
नौजवान...
-रचना - बालकवि बैरागी ( BALKAVI BAAIRAGI)
एक दुलारा देश हमारा
प्यारा हिंदुस्तान
दुनिया में बेजोड अनोखा।
भारत वर्ष महान
हमारा प्यारा हिंदुस्तान।।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
जैन पारसी बौद्ध बहाई
धर्म भले हों न्यारे न्यारे
लेकिन बहन और भाई सारे
सर्व धर्म समभाव हमरा
इस पर हमें गुमान।। हमारा...
इसके बलिदानी सेनानी
स्वतंत्रता लाए लासानी
आजादी की रक्षा करना
खूब जानती है नई जवानी
गांधी जी की नई दिशा में
सौंपी हमें कमान।। हमारा....
सहनशीलता भाईचारा
प्यार मुहब्बत पंथ हमारा
सत्य अहिंसा अमन चैन से
हमने जग का रुप संवारा
अणुव्रत से करवाया हमने
मानव का कल्याण।। हमारा...
शिव संकल्प नहीं छूटेंगे
उससे नए पल्लव फूटेंगे
इतिहासों का पाठ यही है
जो तोड़ेगे वे टूटेंगे
लक्ष्य हमारा जय जगत
नारा है निर्माण ...हमारा....
( - बालकवि बैरागी)
बालकवि बैरागी - एक परिचय
राष्ट्रीय युवा योजना के हर शिविर में हर सुबह गाया जाने वाला जागरण गीत नौ जवान आओ रे....नौ जवान गाओ रे....बालकवि बैरागी की रचना है। सुब्बराव जी उनका एक और गीत एक दुलारा देश हमारा प्यारा हिंदुस्तान रे भी गाते हैं।
बालकवि बैरागी का जन्म 10 फरवरी 1931 में मंदसौर जिले की मनासा तहसील के रामपुर गांव में हुआ। उनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा। पर वे पढ़ाई में अत्यंत मेधावी रहे। उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय से हिन्दी में प्रथम श्रेणी में एम.ए. किया। महज 9 साल की उम्र से कविता लिखना शुरू कर दिया था। असली नाम नंदराम बैरागी है। पर चौथी कक्षा में एक स्कूल के आयोजन में कविता लिख देने के कारण वे बालकवि के नाम से जाने गए। ये राजनीति एवं साहित्य दोनों से जुडे रहे। मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री तथा लोकसभा ( 1984 से 1989) और राज्यसभा ( 1998 से 2004) के सदस्य रहे। वे हिन्दी काव्य- मंचों पर भी लोकप्रिय रहे। इनकी कविता ओजगुण सम्पन्न हैं। मुख्य काव्य-संग्रह हैं : 'गौरव-गीत, 'दरद दीवानी, 'दो टूक, 'भावी रक्षक देश के आदि। उन्होंने तू चंदा में चांदनी जैसे गीत फिल्मों के लिए भी लिखे। वे 25 से ज्यादा फिल्मों के लिए गीत लिख चुके हैं।
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